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झारखंड के आदिवासी गांवों का हाल बेहाल, विकास के लिए मिले 135 करोड़, लेकिन खर्च हुए सिर्फ इतने

2022-23 में 702 गांवों को विकसित करने का मामला अभी केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है. विशेष केंद्रीय सहायता मद से 50 प्रतिशत या उससे अधिक आबादीवाले आदिवासी बहुल गांव में विकास की योजनाएं चलायी जाती है.

आदिवासी बहुल गांवों के विकास की योजनाओं का हाल बेहाल है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में जनजातीय उपयोजना क्षेत्र (टीएसपी) में विशेष केंद्रीय सहायता मद से सिर्फ 13.11 करोड़ रुपये ही खर्च हुए, जबकि 70.49 करोड़ रुपये उपलब्ध थे. वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान इस मद से फूटी कौड़ी खर्च नहीं हुई, जबकि 65.31 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे. यानी दो वित्तीय वर्ष में केंद्र ने आदिवासी बहुल गांवों के विकास के लिए 135.8 करोड़ रुपये दिये, पर खर्च 13.11 करोड़ रुपये ही हुए.

2022-23 में 702 गांवों को विकसित करने का मामला अभी केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है. विशेष केंद्रीय सहायता मद से 50 प्रतिशत या उससे अधिक आबादीवाले आदिवासी बहुल गांव में विकास की योजनाएं चलायी जाती है.

100 फीसदी अनुदान देती है केंद्र सरकार :

केंद्र सरकार विशेष केंद्रीय सहायता के रूप में आदिवासी बहुल गांवों के विकास के लिए 100 प्रतिशत अनुदान देती है. खर्च राज्य सरकार को करना है. वर्ष 1977-78 में शुरू हुई विशेष केंद्रीय सहायता योजना का नाम बदल कर प्रधानमंत्री आदि ग्राम विकास योजना (पीएमएएजीवाइ) कर दिया गया. साथ ही वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2025-26 की अवधि में इस योजना के तहत वैसे गांवों को विकसित करने की फैसला किया गया, जिसमें एसटी की आबादी 50 प्रतिशत या कम से कम 500 हो.

झारखंड में प्रधानमंत्री आदि ग्राम विकास योजना के तहत 2021-26 तक की अवधि में कुल 3,891 आदिवासी बहुल गांवों को विकसित करने की योजना बनायी गयी. वित्तीय वर्ष 2020-21 में इस योजना के तहत केंद्र से मिली राशि में से वित्तीय वर्ष 2021-22 में झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (जेटीडीसी) को 13.64 करोड़ रुपये आवंटित किये गये. इस राशि से जेटीडीसी द्वारा सिंचाई सुविधा, वर्मी कंपोस्ट, मधुमक्खी पालन और मशरूम की खेती जैसी योजनाओं को क्रियान्वित करना था, लेकिन जेटीडीसी ने 13.64 करोड़ रुपये में से सिर्फ 3.93 करोड़ रुपये ही खर्च किये.

विशेष केंद्रीय सहायता मद 2020-21 में मिली राशि में से वर्ष 2021-22 में आदिवासी कल्याण आयुक्त को 32.47 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे. इस राशि से युवाओं को स्वरोजगार के लिए आर्थिक सहायता, सिलाई मशीन का वितरण, छात्रावास निर्माण, तालाब निर्माण व जीर्णोद्धार से संबंधित योजनाओं को क्रियान्वित करना है, लेकिन इस राशि में से सिर्फ तीन करोड़ रुपये की खर्च किया जा सके हैंं.

यह राशि सिर्फ प्रशासनिक मद में खर्च हुई है. किसी भी योजना पर पैसा खर्च नहीं हुआ है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में मिली राशि में से खूंटी और गुमला के उपायुक्त को वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान आदिवासी बहुल गांवों के विकास के लिए कुल 64.15 करोड़ रुपये आवंटित किये गये. पर एक भी पैसा खर्च नहीं किया जा सका है. राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में मिली विशेष केंद्रीय सहायता राशि में उपायुक्तों को कुल 24.37 करोड़ रुपये आवंटित किये थे. इस राशि में से अब तक सिर्फ 6.17 करोड़ रुपये की खर्च किये जा सके हैं.

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