रांची के मोरहाबादी मैदान में जनजातियों ने अपने लोक संगीत और नृत्य से बिखेरा जलवा, देखें तस्वीरें
रांची के मोरहाबादी मैदान मंगलवार की शाम झारखंड की जनजातीय कला-संस्कृति का साक्षी बना. राज्य के विभिन्न जिलों से आये कलाकारों ने जनजातीय लोक संगीत और नृत्य प्रस्तुत कर लोगों की वाहवाही लूटी. दर्शकों ने ताली व सीटी बजा कर कलाकारों का उत्साह बढ़ाया.
मोरहाबादी मैदान मंगलवार की शाम झारखंड की जनजातीय कला-संस्कृति का साक्षी बना. राज्य के विभिन्न जिलों से आये कलाकारों ने जनजातीय लोक संगीत और नृत्य प्रस्तुत कर लोगों की वाहवाही लूटी. दर्शकों ने ताली व सीटी बजा कर कलाकारों का उत्साह बढ़ाया. राज्य के 22वें स्थापना दिवस पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम में 13 जनजातियों ने अपनी लोक कला-संस्कृति को गीत और नृत्य के जरिये गौरवान्वित किया.
तमाड़ से सृष्टिधर महतो व दल ने मंच पर मूक नृत्य नाटक के जरिये मानभूम छऊ नृत्य पेश किया. नृत्य नाटिका के जरिये असत्य पर सत्य की जीत को महिषासुर मर्दिनी के जरिये जीवंत किया. वहीं, पद्मश्री मुकुंद नायक व दल ने मर्दानी झूमर गीत पेश कर जमकर तालियां बटोरी. वहीं, मंच पर अंतिम प्रस्तुति लिये पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख पहुंचे. उन्होंने झारखंड कर कोरा…. व हम गांव छोड़ब नाही, जंगल छोड़ नहीं… गीत से लोगों को अपनी कला-संस्कृति व घर-परिवार से प्रेम करने की सीख दी.
सांस्कृतिक संध्या में लोक कलाकारों ने दर्शकों को अपनी प्रस्तुति से रोमांचित किया. खड़िया जनजाति के कलाकार लाल पाड़ साड़ी और कुखेना धोती पहने मंच पर पहुंचे. सिमडेगा से पहुंचे लिली अनिलता डुंगडुंग के दल ने खड़िया नृत्य की प्रस्तुति दी. दुमका से रसिक बास्के व दल ने संताली नृत्य पेश किया. खूंटी के सुखराम पहान व दल ने मुंडारी नृत्य की प्रस्तुति दी. बिनोद महतो व दल ने खोरठा गीत की प्रस्तुति दी. पाकुड़ के मार्शल टुडू व दल ने माल पहाड़िया नृत्य, पलामू से विजय खेरवार व दल ने खेरवार लोक नृत्य, रांची की बुटन देवी व दल ने पंचपरगनिया गीत-नृत्य से राधा-कृष्ण की लीला पेश की. वहीं, अशोक कच्छप व दल ने पाईका नृत्य पेश किये. जनजातीय नृत्य संगीत के जरिये कलाकर झारखंड के वीर स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देते नजर आये.
शगुन पाठक ने केसरिया तेरा इश्क है पिया, रंग जाऊं जो मैं हाथ लगाऊं…, दो लफ्ज की है बातें नयी सी… जैसे बॉलीवुड गीत पेश कर युवाओं को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया. रोहन देव पाठक ने मैं भी नाचूं मनाऊं सोरेया… और छाप तिलक सब छीन ली… गाने से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. वहीं, रजत आनंद ने एक्सटेंपोर म्यूजिक के साथ दर्शकों में जोश भरने का काम किया. दमा दम मस्त कलंदर, अली दा पहला नंबर… गीत पर अंतिम छोड़ में बैठे दर्शकों को खूब झुमाया.
सांस्कृतिक संध्या में बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शामिल हुए. उन्होंने कहा कि राज्य का निर्माण लंबी तपस्या, त्याग व बलिदान से हुआ है. झारखंड वीर सपूतों की धरती है. भगवान बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू, बुधु भगत समेत अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को अब सब जानने लगे हैं. राज्य के संसाधनों से पूरा देश जगमगा रहा है. लोगों की मानसिकता सरल है. मान-सम्मान और गौरव के साथ जीने वाले लोगों को अब मिलकर राज्य को नयी दिशा देनी होगी. कार्यक्रम का संचालन राजश्री मिश्रा ने किया. इस अवसर पर श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण मंत्री सत्यानंद भोक्ता, राज्यसभा सांसद डॉ महुआ माजी, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, डीसी राहुल सिन्हा, एसएसपी किशोर कौशल समेत अन्य उपस्थित थे.
सांस्कृतिक संध्या का आगाज जोहार नागपुर… स्वागत समूह गीत से हुआ. महिला दल ने मांदर और नगाड़ा बजाकर गीतों को लयबद्ध किया. महिला गायन दल की प्रस्तुति पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी ताली बजाकर अभिवादन करते दिखे.
इसके बाद सुरों की महफिल सजी. कार्यक्रम में राज्य से इंडियन आइडल फेम रहे चार कलाकार- शगुन पाठक, रोहन देव पाठक, शालिनी दुबे और रजत आनंद पहुंचे थे. चारों ने खुद के कंपोजिशन जय जय हो बिरसा मुंडा, जय झारखंड… गीत गाकर समां बांध दिया.