Ranchi news : मुकदमा लड़ने से पहले समझौता करने की कोशिश करें : एलसीएन शाहदेव

प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने लोगों के सवालों के जवाब दिये.

By Prabhat Khabar News Desk | January 18, 2025 8:10 PM

रांची. झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव का मानना है कि दो लोगों के बीच यदि कोई समस्या हो, तो आपसी समझौता सबसे बेहतर विकल्प है. कोई भी मुकदमा लड़ने के पहले इसकी संभावना तलाशनी चाहिए. जब समझौते का कोई विकल्प नहीं बचा हुआ हो, तभी मुकदमा लड़ने का निर्णय लेना चाहिए. लोगों में यह प्रवृति विकसित होगी, तो आमलोगों के साथ-साथ ज्यूडिशियल सिस्टम को भी सुविधा होगी. एलसीएन शाहदेव झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता हैं. वह पिछले 23 वर्षों से अधिक समय से वकालत कर रहे हैं. शनिवार को प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में वह लोगों के सवालों का जवाब दे रहे थे.

बरियातू के राजेंद्र प्रसाद का सवाल :

मैं जिस अपार्टमेंट में रहता हूं, उसका निर्माण वर्ष 2005 में पूरा हुआ था, लेकिन ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट रांची नगर निगम नहीं दे रहा है, क्या करें?

अधिवक्ता की सलाह :

अपार्टमेंट का निर्माण पूरा होने पर बिल्डर ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट लेता है. यह उसकी जिम्मेवारी है. फ्लैट मालिक को अपने बिल्डर से बात करनी चाहिए. नहीं तो रांची नगर निगम में आवेदन दाखिल करना चाहिए.

अरसंडे कांके के चंद्रदीप कुमार का सवाल :

मैं पंचायत सहायक का काम करता हूं. 12 अगस्त 2024 को सरकार ने प्रोत्साहन राशि 2500 रुपये प्रतिमाह देने का निर्णय लिया था. कैबिनेट ने भी पास किया था, लेकिन लागू नहीं किया है. वैसी स्थिति में पंचायत सहायकों को क्या करना चाहिए?

अधिवक्ता की सलाह :

देखिए, इस मामले में मेरी सलाह यह होगी कि आप अपने विभाग में लिखित आवेदन देकर कैबिनेट के निर्णय को लागू करने का आग्रह करें. जरूरत पड़ेने पर आप हाइकोर्ट भी जा सकते हैं. रिट याचिका दाखिल कर सकते हैं.

ओरमांझी के मनोज कुमार महतो का सवाल :

ओरमांझी में 1992-93 में उन्हें बंदोबस्ती से जमीन मिली थी, उस पर उन्होंने घर बनाया था, लेकिन उस पर कब्जा हो गया है. ऐसे में कानून की शरण ली जा सकती है क्या?

अधिवक्ता की सलाह :

कानून की शरण में जाने से पहले आप इसकी शिकायत सीओ, एसडीओ से करें.

कोकर के अक्षय कुमार का सवाल :

383 खाते की उनकी जमीन है. रजिस्ट्री के बाद उनकी जमीन का म्यूटेशन अंचल द्वारा नहीं किया जा रहा है. ऐसे में क्या करें?

अधिवक्ता की सलाह :

म्यूटेशन के लिए सभी दस्तावेजों के साथ अंचल में आवेदन करें. म्यूटेशन नहीं होने पर डीसीएलआर, उपायुक्त के पास भी आवेदन दे सकते हैं. म्यूटेशन नहीं होने पर आप हाइकोर्ट में रिट दायर कर सकते हैं. न्याय जरूर मिलेगा. हजारीबाग के नंद कुमार विश्वकर्मा का सवाल : उनके साथ दुर्घटना हुई थी, लेकिन थाना द्वारा प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है. क्या करें?

अधिवक्ता की सलाह :

थाना में अपनी बात को लिखित में दें. प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाती है, तो आप सीजेएम हजारीबाग के पास शिकायतवाद दायर कर सकते हैं.

रांची के विपुल के सवाल :

लीज पर एक दुकान लेना चाहते हैं. इसमें हम क्या कर सकते हैं.

अधिवक्ता की सलाह : दुकान या जमीन लीज पर ले सकते हैं. लीज को रजिस्टर्ड लेनाचाहिए.

इन्होंने भी पूछे सवाल

प्रभात खबर की ऑनलाइन काउंसेलिंग में राज्य की विभिन्न जगहों से फोन आये. जिन लोगों ने सवाल किये, उन्हें अपने जवाब से अधिवक्ता श्री शाहदेव ने पूरी तरह से संतुष्ट किया. अधिवक्ता का जोर सुलह समझौते पर रहा. उन्होंने लोगों को अनावश्यक मुकदमा से बचने की सलाह दी. सबसे ज्यादा सवाल भूमि विवाद से संबंधित आये. लीगल काउंसेलिंग में रिम्स के प्रो (डॉ) पीडी सिंह, कांके से शशि कुमार गुप्ता, तमाड़ के मनोरंजन साहू, बरियातू के दीपक कुमार, सूरज उरांव, गोला से गिरिधारी प्रजापति, रामगढ़ से राजेश कुमार, पुरानी रांची से शमीम, सेवानिवृत्त शिक्षक लीलपदो महतो, हरमू के निखिल कुमार सिन्हा, चतरा के संतोष पाठक, पलामू के एके सिंह, रांची के उमाशंकर, नीतू वर्मा, ठाकुरगांव के शाैकत अली, रातू रोड के अमित कुमार, नामकुम से लुईस होरो, हजारीबाग के नंदकिशोर महतो, विजय कुमार आदि ने भी सवाल पूछे.

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