समाज के प्रतिनिधियों का सामाजिक बहिष्कार करना तुगलकी फरमान : जनजाति सुरक्षा मंच

समाज के प्रतिनिधियों का सामाजिक बहिष्कार करना तुगलकी फरमान : जनजाति सुरक्षा मंच

By Prabhat Khabar News Desk | July 30, 2020 11:20 PM

रांची : जनजाति सुरक्षा मंच के प्रांत संयोजक संदीप उरांव ने कहा है कि आदिवासियों के विभिन्न संगठनों द्वारा महापंचायत बुलाकर समाज के प्रतिनिधियों का सामाजिक बहिष्कार करना तुगलकी फरमान है. जिन संगठन द्वारा महापंचायत आयोजित की गयी थी, उन सभी का चर्च से प्रत्यक्ष रूप से संबंध है. रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय व भाषा विभाग में पढ़ाई की जाने वाली कुडुख भाषा की पुस्तक में उरांव संस्कृति के साथ खिलवाड़ किया गया है, जिसमें डॉ करमा उरांव का महत्वपूर्ण योगदान है.

बंधन तिग्गा द्वारा सरना प्रार्थना सभा कर विभिन्न जगह में आदिवासियों की धर्म संस्कृति, परंपरा, रीति-रिवाज और समाज के कस्टमरी लॉ के प्रति गुमराह किया जा रहा है. नौ अगस्त विश्व आदिवासी दिवस के दिन राष्ट्रवादी विचारधारा वाले संगठन का विरोध करने की बात से यह स्पष्ट हो गया है कि महापंचायत का आयोजन चर्च द्वारा सुनियोजित था, जिससे आदिवासी समाज के पाहन, बैगा, मांझी, परगना, मुंडा, मानकी, महतो ,पइनभोरा, कोटवार का कोई लेना-देना नहीं है.

पांच अगस्त के बाद विभिन्न संगठनों द्वारा अखरा में बैठक कर महापंचायत बुलाकर मिट्टी देने का विरोध करने वाले संगठनों का सामाजिक बहिष्कार और उनका पर्दाफाश किया जायेगा. इस मुद्दे पर आयोजित बैठक में विश्वकर्मा पाहन, संतु उरांव, कैलाश मुंडा, बिमल पाहन, बहादुर पाहन, महेश पाहन, जयमंगल उरांव उपस्थित थे.

Post by : Pritish Sahay

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