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पोटा के 22 साल पुराने मामले में दो आरोपी बरी

गढ़वा जिला निवासी दोनों आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में किया गया बरी

रांची. न्यायायुक्त दिवाकर पांडे की अदालत ने 22 साल पुराने पोटा अधिनियम 2002 के तहत ट्रायल फेस कर रहे आरोपी दारा चंद्रवंशी (58) और रामाधार राम (66) को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. दोनों आरोपी गढ़वा जिला के निवासी हैं. मामले में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से दो आइओ, डॉक्टर, छापेमारी दल में शामिल पुलिस व स्थानीय लोग समेत 24 गवाहों को प्रस्तुत किया गया था. इसमें से सात स्थानीय गवाही के दौरान मुकर गये, जिसका लाभ आरोपियों को मिला. घटना को लेकर साल 2002 में पोटा अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था. घटना का अंजाम 21 दिसंबर 2001 को गढ़वा जिला के रंका थाना क्षेत्र में दिया गया था. रंका थाना में इस संबंध में केस दर्ज किया गया था. बाद में इसे पोटा अधिनियम 2002 में टेक ओवर किया गया था. क्या थी घटना : रंका थाना के चिनिया ओपी में संजय सिंह को 21 दिसंबर 2001 को वायरलेस पर सूचना मिली थी कि कुछ अपराधी चिनिया पिकेट पर गोलाबारी कर रहे हैं. वरीय पुलिस पदाधिकारियों के कहने पर एक छापेमारी दल का गठन किया गया, जिसमें काफी संख्या में पुलिसकर्मी शामिल थे. छापेमारी के दौरान संदिग्ध उग्रवादियों की ओर से अंधाधुंध गोलाबारी की जाने लगी. जिसमें पुलिसकर्मी रामचंद्र साही की मौत हो गयी थी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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