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रिम्स में दो नीतियां, दो दर्जन डॉक्टरों का प्रमोशन फंसा

रिम्स में शैक्षणिक संवर्ग के दो दर्जन से अधिक डॉक्टरों को प्रोन्नति नहीं मिल पा रही है. ऐसा रिम्स में नियुक्ति प्रोन्नति के मामले में एक साथ दो नीतियां लागू होने से हो रहा है.

विशेष संवाददाता (रांची).

रिम्स में शैक्षणिक संवर्ग के दो दर्जन से अधिक डॉक्टरों को प्रोन्नति नहीं मिल पा रही है. ऐसा रिम्स में नियुक्ति प्रोन्नति के मामले में एक साथ दो नीतियां लागू होने से हो रहा है. एक नीति में सभी शैक्षणिक पदों पर विज्ञापन प्रकाशित कर नियुक्ति करने का प्रावधान है. दूसरी नीति में एम्स नयी दिल्ली के अनुसार, नियुक्ति प्रोन्नति का प्रावधान है. हालांकि, रिम्स में शैक्षणिक संवर्ग में ऊपर के पदों पर भी विज्ञापन प्रकाशित कर सीधी नियुक्ति की जाती है. इससे प्रोन्नति से भरनेवाले रिक्त पदों की संख्या कम हो जाती है और प्रोन्नति मिलना मुश्किल हो जाता है. राज्य गठन के बाद राजेंद्र चिकित्सा महाविद्यालय(आरएमसीएच) को एम्स की तर्ज पर रिम्स बनाया गया. इसके लिए वर्ष 2002 में ‘रिम्स अधिनियम’ बनाया गया, जिसकी धारा-11 में नियुक्ति प्रोन्नति का प्रावधान किया गया है. इसमें उल्लेख है कि शैक्षणिक संवर्ग के सभी पदों पर नियुक्ति खुले विज्ञापन के सहारे की जायेगी. भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा निर्धारित शैक्षणिक योग्यता और अनुभव के आधार पर शैक्षणिक स्वर्ग के सभी पदों पर नियुक्ति की जायेगी. इस तरह अधिनियम में नियुक्ति प्रोन्नति का आधार भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा निर्धारित मापदंड को बनाया गया है. इसके बाद वर्ष 2014 में नियमावली बना कर 22 दिसंबर 2014 को असाधारण गजट में प्रकाशित किया गया. इस नियमावली में शैक्षणिक संवर्ग के पदों पर नियुक्ति और प्रोन्नति का प्रावधान किया गया. इस नियमावली में कहा गया है कि आरएमसीएच को रिम्स में परिवर्तित किया गया है. शैक्षणिक संवर्ग के डॉक्टरों की कमी है. देश के कई संस्थानों में यह प्रावधान किया गया है कि रिक्त पदों को पहले प्रोन्नति से भरा जायेगा. इसके बाद बाकी बचे पदों को विज्ञापन प्रकाशन कर सीधी नियुक्ति से भरा जायेगा. इसी के मद्देनजर इस नियमावली में नयी दिल्ली एम्स की तर्ज पर ‘न्यू असेसमेंट प्रमोशन स्कीम फॉर फैकल्टी’ के नियम का लागू किया गया. साथ ही एम्स नयी दिल्ली में विभिन्न शैक्षणिक संवर्ग के पदों पर नियुक्ति के लिए निर्धारित मापदंड को रिम्स के लिए भी लागू किया गया. 2014 की इस नियमावली में यह भी कहा गया कि एम्स नयी दिल्ली द्वारा प्रोन्नति नियमावली में किये जानेवाले संशोधन को रिम्स में अक्षरशः लागू किया जायेगा.

एम्स में तीन साल बाद ही एसोसिएट प्रोफेसर में प्रोन्नति, रिम्स में पांच साल बाद भी प्रमोशन नहीं :

एम्स नयी दिल्ली में लागू नियम के अनुसार, वहां शैक्षणिक संवर्ग में सिर्फ असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर सीधी नियुक्ति होती है. इसके ऊपर के सभी पद यथा एसोसिएट प्रोफेसर, एडिशनल प्रोफेसर, प्रोफेसर के पदों को प्रोन्नति के सहारे ही भरा जाता है. एम्स नियमावली में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में तीन साल काम करने के बाद एसोसिएट प्रोफेसर में प्रोन्नति का प्रावधान है. इसी तरह अन्य पदों पर प्रोन्नति के लिए समय सीमा निर्धारित है. लेकिन, रिम्स में एक दर्जन से अधिक असिस्टेंट प्रोफेसर पांच साल की नौकरी पूरी कर चुके हैं. इसके बावजूद उन्हें नियमित प्रोन्नति नहीं मिली है. इसकी वजह ऊपर के पदों को सीधी नियुक्ति से भरना है. सीधी नियुक्ति से एसोसिएट प्रोफेसर के पदों को भरने के लिए निकाले गये विज्ञापन में रिम्स में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर भी आवेदन दे सकते हैं. लेकिन एसोसिएट प्रोफेसर में नियुक्त होने पर उनकी नौकरी नयी मानी जायेगी. साथ ही असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में किये गये काम का कोई महत्व नहीं रह जायेगा. यही स्थित शैक्षणिक संवर्ग के दूसरे ऊपर के पदों की है.

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