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उड़ान परियोजना : झारखंड के PVTG परिवारों के जीवन में आ रहा बदलाव, जानें कैसे

झारखंड के 16 जिलों में 425 पीवीटीजी चेंजमेकर (पीसीएम) पीवीटीजी परिवारों के जीवन में बदलाव ला रहे हैं. ये चेंजमेकर पीवीटीजी परिवारों को सरकार की विभिन्न योजनाओं के जरिए विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं.

Jharkhand News: झारखंड में करीब 73 हजार विशिष्ट जनजातीय (पीवीटीजी) परिवार हैं, जो मुख्य रूप से प्रकृति पर निर्भर रहते हैं. ये शिक्षा एवं अन्य बुनियादी जरूरतों से आज भी दूर हैं. इन समूहों की अपनी सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान है. राज्य के ऐसे हजारों पीवीटीजी परिवार आज भी विकास की मुख्यधारा से दूर हैं. यह समूह गरीबी में गुजर बसर करते हैं और इनके बीच शिक्षा, चिकित्सा जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव हैं. इन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए राज्य सरकार और ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS), उड़ान परियोजना के जरिए लगातार कार्य कर पीवीटीजी परिवारों के समग्र विकास को सुनिश्चित कर रही है.

समाज में बदलाव लाने की कोशिश

इस परियोजना के तहत लक्षित पीवीटीजी परिवारों को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा जा रहा है, जिससे उन्हें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिए आजीविका के साधनों से जोड़ा जा सके, ताकि इनकी नियमित आमदनी का जरिया मिल सके. इसके लिए स्थानीय लोगों के एक कैडर पीवीटीजी चेंज मेकर (पीसीएम) की शुरुआत की गयी. इसमें उन्हें चयनित किया गया है, जो बखूबी अपने समुदाय की समस्या को समझते हो. साथ ही अपने समाज में बदलाव लाना चाहते हैं.

पीवीटीजी चेंजमेकर (पीसीएम) पीवीटीजी परिवारों के जीवन में ला रहे बदलाव

पाकुड़ जिला के लिट्टीपाड़ा प्रखंड स्थित पतवारा गांव में मीना माल्टो पीवीटीजी चेंजमेकर (पीसीएम) हैं. वह बताती है कि शुरुआत में मेरे गांव में मेरी कोई पहचान नहीं थी. मेरे समुदाय में बहुत कम ही ऐसे लोग हैं, जिन्होंने मैट्रिक पास किया है. शिक्षित होने के बावजूद भी मैने कभी अपने समुदाय के विकास के बारे में नहीं सोचा. लेकिन, जब मुझे चेंजमेकर के रूप में चुना गया और प्रशिक्षित किया गया, तब मुझे विभिन्न सरकारी योजनाओं और कार्यक्रम के बारे में पता चला. जिसके जरिए अपने गांव में जरूरतमंद लोगों की मदद की. आज गांव के प्रधान और निर्वाचित प्रतिनिधि मेरे कार्य की सराहना करते हैं. चेंजमेकर्स के रूप में काम से हमें संतुष्टि मिलने के साथ ही लोगों के बीच हमारी सामाजिक स्थिति में भी सुधार हुआ है.

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JSLPS द्वारा खास प्रशिक्षण दिया जाता

पीवीटीजी चेंजमेकर बदलाव के इस प्रयास की मुख्य भूमिका में है. चेंजमेकर को पीवीटीजी समुदाय से ही चयनित किया जाता है. वैसे युवा जो अपने समुदाय में कुछ परिवर्तन लाने के लिए उत्सुक रहते हैं और पढ़े-लिखे होते हैं. उनका JSLPS द्वारा चयन कर खास प्रशिक्षण दिया जाता है. जिसमें उन्हें पीवीटीजी समुदाय के लिए चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी देने के साथ ही कैसे वह इन योजनाओं को अपने समुदाय के बीच पहुंचाएं, यह बताया जाता है. इस दौरान राज्य के 16 जिलों में 369 पीवीटीजी चेंजमेकर (पीसीएम) सक्रिय है.

जरुरतमंद गरीब परिवारों को पेंशन

प्रशिक्षित चेंजमकर पीवीटीजी परिवार और स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को सरकारी योजनाओं के लाभ और कार्यप्रणाली के बारे में समझा कर इन योजनाओं से जुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं. इसके साथ ही जरुरतमंद गरीब परिवार को पेंशन, आवास, बीमा, पीवीटीजी डाकिया योजना आदि योजनाओं का लाभ दिलावाना सुनिश्चित करते हैं.

2020 में पीवीटीजी पाठशाला की शुरुआत

झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) के प्रयास से पीवीटीजी समुदाय के बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने में उड़ान परियोजना के तहत 2020 में ‘पीवीटीजी पाठशाला’ की शुरुआत की गई है. इसके जरिए 11 जिलों (पाकुड़, दुमका, देवघर, गोड्डा, गढ़वा, लातेहार, पलामू, गुमला, सरायकेला-खारसावां, लोहरदगा और पूर्वी सिंहभूम) के अति पिछड़े इलाकों में जहां बुनियादी ढांचा भी विकसित नहीं है, वहां लगभग 4500 पीवीटीजी बच्चे पढ़ रहे हैं.

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पीवीटीजी पाठशाला में बच्चों को मिल रहे शिक्षा का महत्व

पाकुड़ स्थित लिट्टीपाड़ा की साइमन माल्टो कहती हैं कि मुझे एहसास हुआ कि सामुदायिक विकास की नींव शिक्षा से ही हैं. इसलिए इंटर पास करने के तुरंत बाद ही अपने गांव में अभिभावक और बच्चों को शिक्षा का महत्व समझकर उन्हें पीवीटीजी पाठशाला में आने के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया.

चेंजमेकर की भूमिका अदा कर रहा पाठशाला

पीवीटीजी पाठशाला में पाठशाला चेंजमेकर एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. इनका चयन गांव में मौजूद पीवीटीजी समूह के बीच से ही किया जाता है, ताकि बच्चों को पढ़ने में सहूलियत हो. यह चेंजमेकर्स नौनिहालों के लिए हर दिन सुबह-शाम पाठशाला का आयोजन कर उन्हें बुनियादी शिक्षा प्रदान करते हैं. महामारी के इस कठिन समय में जब पीवीटीजी समुदाय के बच्चे अपनी प्राथमिक शिक्षा से पूरी तरह से कटे हुए थे. ऐसे वक्त में पीवीटीजी पाठशाला मील का पत्थर साबित हुआ था. पाठशाला में न सिर्फ बच्चों को पढ़ाई के प्रति रुचि फिर से जाग रही है, बल्कि अब अभिभावक भी शिक्षा के महत्व और अपने बच्चों की भविष्य को लेकर थोड़ा चिंतामुक्त हुए हैं.

Posted By: Samir Ranjan.

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