रांची: विश्वविद्यालयों में पीएचडी के लिए प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष में अब 60 प्रतिशत सीट नेट/जेआरएफ उत्तीर्ण योग्य अभ्यर्थियों से भरा जायेगा. शेष 40 प्रतिशत सीट विश्वविद्यालय/सामान्य प्रवेश परीक्षा के माध्यम से भरा जायेगा. यूजीसी ने वर्तमान में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) के माध्यम से योग्यता के अलावा प्रवेश परीक्षा को शामिल कर पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए नेट/जेआरएफ के नियमों में संशोधन किया है.
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर व फेलोशिप के लिए आयोजित नेट/जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फेलोशिप) वह परीक्षा है, जो भारतीय विश्वविद्यालयों में पीएचडी में नामांकन के लिए विद्यार्थियों की योग्यता का परीक्षण करती है. इसलिए नेट/जेआरएफ उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के पीएचडी करने के लिए छूट प्रदान की गयी है.
यूजीसी ने इस बाबत नियम में संशोधन किया है. यूजीसी (पीएचडी डिग्री अवार्ड के लिए न्यूनतम मानक और प्रक्रिया) विनियम, 2022 को मंजूरी दे दी है. पीएचडी पूरा करने के लिए न्यूनतम दो वर्ष (छह माह का कोर्स वर्क छोड़कर) तथा अधिकतम छह वर्ष करने का प्रावधान रखा जा रहा है.
यूजीसी के अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार के अनुसार आयोग शीघ्र ही संशोधित नियम यूजीसी की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर देगा. नये नियम को अंतिम रूप से लागू करने से पूर्व आम लोगों, शिक्षकों व विद्यार्थियों से 31 मार्च 2022 तक सुझाव लेने का निर्णय लिया गया है.
इसके बाद इसे केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजा जायेगा. पीएचडी के लिए नेट/जेआरएफ के अभ्यर्थी प्रवेश परीक्षा में शामिल नहीं होंगे. उनका चयन साक्षात्कार/वाइवा-वॉयस के आधार पर होगा.
नियमानुसार प्रवेश परीक्षा में चयन का मूल्यांकन 70 अंक (लिखित परीक्षा) से 30 अंक (साक्षात्कार) के अनुपात में किया जायेगा. विवि द्वारा दोनों के लिए मेरिट सूची अलग से प्रकाशित की जायेगी. किसी भी श्रेणी में खाली सीट रहने पर उसे अन्य श्रेणियों के उम्मीदवारों से भरा जा सकेगा.
Posted By : Sameer Oraon