झारखंड: 15 प्रखंडों में अंडर ग्राउंड वाटर की स्थिति चिंताजनक, जल्दी से कर लें ये काम नहीं तो होगी परेशानी

झारखंड के 15 ब्लॉक में भू-गर्भ जल की स्थिति चिंताजनक है, सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड ने इसे लेकर चेतावनी जारी की है. वहीं रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग जरूरी को जरूरी बताया है

By Prabhat Khabar News Desk | April 6, 2022 10:13 AM

रांची: झारखंड के 15 ब्लॉक में भू-गर्भ जल की स्थिति चिंताजनक व गंभीर है. इसे लेकर सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड ने रिपोर्ट जारी कर आगाह किया है. बोर्ड की रिपोर्ट में सभी 260 ब्लॉकों का अध्ययन कर इन्हें चार वर्गों सेफ जोन, ओवर एक्सप्लोइटेड (अत्यधिक दोहन), क्रिटिकल व सेमी क्रिटिकल में बांटा गया है. एक तरफ राज्य के 260 में 245 ब्लॉक में भू-जल को सुरक्षित बताया गया है.

वहीं 15 ब्लॉक के भू-गर्भ जल की स्थिति पर चिंता जतायी गयी है. रिपोर्ट में बोकारो के बेरमो, धनबाद के तोपचांची व जुगसलाई के गोलमुरी को ओवर एक्सप्लाइटेड जोन में रखा गया है. वहीं धनबाद के बलियापुर व सिल्ली को क्रिटिकल जोन में रखा गया है. यहां पर रिचार्ज वाटर का 90 से 100 प्रतिशत का उपयोग हो रहा है. इसके अलावा सेमी क्रिटिकल जोन में चास व सोनारायठारी, धनबाद व झरिया, गढ़वा के भवनाथपुर, हजारीबाग के दारू, चितरपुर, मांडू, रामगढ़, कांके व खलारी को रखा गया है.

रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग जरूरी

सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के वैज्ञानिकों का कहना है कि माइनिंग व सिंचाई के लिए अधिक जल का उपयोग होने से राज्य के 15 ब्लॉक में भू-गर्भ जल की चिंताजनक स्थिति हो गयी है. जल स्तर को सामान्य बनाये रखने के लिए रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग करना जरूरी है.

राज्य में औसतन 1200-1400 मिमी होती है बारिश

झारखंड राज्य में प्राकृतिक रूप से पेयजल की उपलब्धता सतही स्रोत के रूप में ज्यादा नहीं है. राज्य में मात्र छह से सात नदियों में ही 12 माह पानी की उपलब्ध रहती है. शेष नदियां बरसाती हैं. भूगर्भीय संरचना पथरीली होने के कारण इनमें पानी की उपलब्धता मैदानी क्षेत्रों के मुकाबले कम होती है. राज्य में औसतन 1200 से 1400 मिमी बारिश होती है. बोर्ड की रिपोर्ट में राज्य के 474 कुओं का अध्ययन वर्ष 2020-21 में किया गया. इसमें पाया गया है कि एक वर्ष के अंदर राज्य में भू-गर्भ जल स्तर दो से पांच मीटर तक गिरा है.

Posted By: Sameer Oraon

Next Article

Exit mobile version