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unemployment rate in jharkhand : झारखंड के सरकारी विभागों में एक लाख से ज्यादा पद खाली

झारखंड में बेरोजगारी के आंकड़े चिंताजनक, सरकारी विभागों में एक लाख से ज्यादा पद खाली

रांची : झारखंड के विभिन्न सरकारी विभागों सहित विश्वविद्यालयों और स्कूलों को मिला कर लगभग एक लाख से ज्यादा नियमित पद रिक्त हैं. इनमें सबसे अधिक शिक्षा, गृह विभाग में पद रिक्त हैं. स्कूल में जहां 23 हजार शिक्षकों के पद रिक्त हैं, वहीं विश्वविद्यालयों में चार हजार से अधिक शिक्षकों व कर्मचारियों के पद रिक्त हैं. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग में लगभग 13 हजार रिक्तियां हैं, जबकि जेपीएससी में लगभग 2300 नियुक्तियां होनी हैं.

राज्य में नियोजन नीति स्पष्ट नहीं होने और कई विभागों में नियुक्ति नियमावली में पेच रहने, मामला सुप्रीम कोर्ट तथा हाइकोर्ट में रहने के कारण नियुक्ति बाधित है. राज्य बनने के बाद से अब तक जेपीएससी द्वारा लगभग 17 हजार युवाअों को नौकरी मिली है. इनमें से 18 नियुक्ति परीक्षा सीबीआइ के जांच के दायरे में हैं. 22 मामले हाइकोर्ट में है.

द्वितीय सिविल सेवा परीक्षा का मामला सुप्रीम कोर्ट में है. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित सिपाही नियुक्ति, वनरक्षी, हाइस्कूल शिक्षक, स्नातकोत्तर शिक्षक, दारोगा नियुक्ति, जेल वार्डन नियुक्ति, इंटर व स्नातकस्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा आदि मामले भी कोर्ट में हैं.

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हर पांच हजार युवा में एक बेरोजगार :

नेशनल सैंपल सर्वे के मुताबिक, झारखंड में हर पांच युवा में एक बेरोजगार है. आंकड़े पर गौर करें, तो राज्य में सात लाख से अधिक युवाओं ने नियोजनालय में नौकरी पाने के लिए अपना निबंधन कराया है. विशेषज्ञ बताते हैं कि हर युवा की पहली पसंद सरकारी नौकरी होने के कारण राज्य में बेरोजगारी का प्रतिशत बढ़ा है. रोजगार की तलाश में हर वर्ष सैकड़ों युवक/युवती राज्य के बाहर चले जा रहे हैं. राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर अधिक है.

हर साल खड़ी हो रही और स्नातकों की फौज :

विवि में हर वर्ष स्नातक व स्नातकोत्तर करनेवालों की फौज खड़ी हो रही है. 49 प्रतिशत स्नातक व 46 प्रतिशत स्नातकोत्तर उत्तीर्ण युवा रोजगार की तलाश में हैं. लॉकडाउन से पहले राज्य में जहां बेरोजगारी दर 11.5 प्रतिशत था. वहीं यह बढ़ कर अब लगभग 59 प्रतिशत हो गयी है. बेरोजगारी इस कदर बढ़ी है कि राज्य सरकार को पांच हजार से सात हजार रुपये तक बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा करनी पड़ी है.

2008 के बाद नहीं हुई नियमित शिक्षकों की नियुक्ति :

विवि में ही विद्यार्थियों की संख्या जिस रफ्तार से बढ़ रही है. वहीं शिक्षकों की संख्या घटती जा रही है. वर्ष 2008 के बाद से विवि शिक्षकों की नियमित नियुक्ति नहीं हो सकी है. स्थिति यह है कि यूजीसी नियमानुसार 40 विद्यार्थी पर एक शिक्षक की जगह झारखंड में 73 विद्यार्थी पर एक शिक्षक हैं. श्रम विभाग द्वारा पिछले वर्ष तक विभाग द्वारा 373 भर्ती कैंप व 225 रोजगार मेला लगाकर 44 हजार युवाअों को रोजगार से जोड़ने का दावा किया है. अब प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाने की योजना तैयार की गयी है. मनरेगा में मनरेगा कर्मियों के लगभग 1500 पद वर्षों से रिक्त हैं.

सरकारी नौकरी है युवाओं की पहली पसंद, इसलिए राज्य में बढ़ा बेरोजगारी का प्रतिशत

राज्य में सात लाख से अधिक युवाओं ने नौकरी के लिए नियोजनालय में कराया है निबंधन

झारखंड में चिंताजनक हैं बेरोजगारी के आंकड़े

राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी 6.1% है, लेकिन झारखंड में यह 7.7% है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी द्वारा कराये गये सर्वे से पता चलता है कि अप्रैल 2020 में बेरोजगारी दर 47.1% हो गयी है. जबकि राष्ट्रीय अौसत 23.5 % है.

झारखंड विधानसभा में ही वित्तीय वर्ष 2019-2020 के लिए पेश हुुए आर्थिक सर्वेक्षण में झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.1% है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 10.5% है. झारखंड में पुरुषों में बेरोजगारी दर 8.2% है, जबकि महिलाओं की कुल बेरोजगारी दर 5.3% है. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह क्रमश: 6.2% व 7.5% है. इतना ही नहीं झारखंड में 61.3% लोग स्वरोजगार के क्षेत्र में हैं, जबकि 23.6% अनियमित श्रमिक हैं. 15.1% ही नियमित वेतन पर श्रमिक कार्यरत हैं.

posted by : sameer oraon

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