केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने योगदा सत्संग कॉलेज के नए शैक्षणिक भवन का किया उद्घाटन, पर्यावरण पर कही ये बात
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कार्यक्रम के विधिवत उद्घाटन के बाद कहा कि का भवन के औपचारिक उद्घाटन समारोह में उपस्थित होना उनके लिए सौभाग्य की बात है. जिस विद्यालय की कल्पना स्वामी परमहंस जी ने की थी, संयोग से भारत सरकार ने इसी के बीज बोए हैं.
रांची: योगदा सत्संग महाविद्यालय के नए शैक्षणिक भवन का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने शनिवार को किया. उद्घाटन के बाद केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने नए भवन का निरीक्षण किया. इस क्रम में कैंपस के बीचोंबीच केंद्रीय मंत्री ने पौधरोपण कर हरियाली बढ़ाने की ओर इशारा किया.
बेहतर संस्था ही ला सकती है आदमी के मन में सुधार
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कार्यक्रम के विधिवत उद्घाटन के बाद कहा कि का भवन के औपचारिक उद्घाटन समारोह में उपस्थित होना उनके लिए सौभाग्य की बात है. जिस विद्यालय की कल्पना स्वामी परमहंस जी ने की थी, संयोग से भारत सरकार ने इसी के बीज बोए हैं. वह आगे कहते हैं कि पर्यावरण मंत्री होने के कारण मुझे दुनिया की सबसे दो बड़ी चिंता सताती है. पहला तो पर्यावरण और दूसरा आदमी के मन की. पर्यावरण में सुधार तो हर किसी का हाथ में है, लेकिन आदमी के मन में सुधार बेहतर संस्था ही कर सकती है.
नयी शिक्षा नीति का मकसद है सर्वांगीण विकास
भारत की नयी शिक्षा नीति केवल छात्रों को बहुत तेज बनाने या फिर बहुत आगे निकलने पर केंद्रित नहीं है, बल्कि वह छात्रों के सर्वांगीण विकास पर भी जोर देती है. ऐसे में इस तरह के विद्यालय का निर्माण छात्रों के भविष्य और पढ़ाई में सुधार के कई मायने में बदलाव करेगा. इस दौरान स्वामी स्वर्णानंद ने कहा कि पढ़ाई की कोई भी संस्था छात्रों की आत्मा होती है. इस तरह से छात्रों के बेहतर विकास के लिए बना नया अत्याधुनिक भवन छात्रों की पढ़ाई में काफी सहायक होगा. क्लासरूम को कुछ इस तरह से तैयार किया गया है ताकि छात्र न सिर्फ क्लासरूम में रहकर बल्कि क्लासरूम से बाहर भी एक बेहतर माहौल में पढ़ाई कर सकें.
बहुउद्देश्यीय कक्ष में 1000 लोगों के बैठने की व्यवस्था
जगरनाथपुर स्थित शैक्षणिक परिसर में बहुउद्देश्यीय कक्ष तथा एक बड़े सभागार का निर्माण किया गया है. अत्याधुनिक सभा भवन एवं बहुउद्देश्यीय कक्ष में 1000 लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है. प्रथम तल पर दस हज़ार वर्ग फुट का एक कक्ष और 2 हज़ार वर्ग फुट के पास कब का उपयोग बच्चों को पढ़ाने के लिए किया जाएगा. 24 कक्षाओं को 6-6 कक्षाओं के समूह में बांटा गया है. परिसर भवन का निर्माण इस तरह से किया गया है ताकि छात्रों को भरपूर सूर्य का प्रकाश और वायु संचार उपलब्ध हो सके. वह प्रकृति में निकट होकर पढ़ाई कर सकें.