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सेवानिवृत्त शिक्षकों की समस्याएं सुननेवाला कोई नहीं, मनमानी कर रहा विवि

राज्य के विभिन्न विवि के सेवानिवृत्त शिक्षकों ने कहा है कि उनकी समस्याओं को सुननेवाला कोई नहीं है. ज्यादातर विवि में प्रशासनिक अधिकारी कुलपति हैं. विवि की तरफ उनका ध्यान कम रहता है. कई विवि में वित्त परामर्शी, प्रतिकुलपति, रजिस्ट्रार और वित्त पदाधिकारी जैसे पदों पर स्थायी नियुक्ति नहीं होने से कुलपति मनमानी कर रहे हैं.

रांची. राज्य के विभिन्न विवि के सेवानिवृत्त शिक्षकों ने कहा है कि उनकी समस्याओं को सुननेवाला कोई नहीं है. ज्यादातर विवि में प्रशासनिक अधिकारी कुलपति हैं. विवि की तरफ उनका ध्यान कम रहता है. कई विवि में वित्त परामर्शी, प्रतिकुलपति, रजिस्ट्रार और वित्त पदाधिकारी जैसे पदों पर स्थायी नियुक्ति नहीं होने से कुलपति मनमानी कर रहे हैं. वह मनमाने ढंग से पदाधिकारियों को अस्थायी तौर पर पदस्थापित करते हैं और उनकी कार्यकुशलता पर नहीं, बल्कि अपने प्रति वफादारी पर जोर देते हैं. समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है. सेवानिवृत्त शिक्षक शनिवार को फेडरेशन ऑफ रिटायर्ड यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन की बैठक में शामिल हुए. अध्यक्षता डॉ जगत नंदन प्रसाद ने की. उक्त बैठक रांची विवि परिसर में संघ कार्यालय में हुई.

कोर्ट से मिले न्याय पर विवि व विभाग नहीं कर रहा कार्रवाई

शिक्षकों ने कहा कि वर्षों की भागदौड़ के बाद उच्च न्यायालय से शिक्षकों को मिलनेवाले न्याय पर विवि व उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. जिससे 70, 80, 90 वर्ष वाले शिक्षक, जो बीमारियों या उम्र संबंधित समस्याओं की वजह से विवि परिसर नहीं आ सकते हैं, के साथ घोर ज्यादती हो रही है. सेवानिवृत्त शिक्षकों से संबंधित डाटा और रिकॉर्ड नहीं रहने से कई तरह के लाभ से शिक्षक वंचित रह जा रहे हैं. रांची विवि द्वारा बनायी गयी 15 पॉलिसी में सेवानिवृत्त शिक्षकों की समस्याओं के निराकरण को लेकर एक भी पॉलिसी नहीं रहने से शिक्षकों में क्षोभ है. कोल्हान विवि में सेवानिवृत्ति लाभ और पेंशन नहीं मिल रही है.

राज्यपाल और सचिव से मिलने का निर्णय

बैठक में शिक्षकों ने निर्णय लिया कि वह लोग शीघ्र ही राज्यपाल और उच्च शिक्षा सचिव से मिलेंगे. जरूरत पड़ी, तो प्रधानमंत्री को जानकारी देंगे. बैठक में महासचिव डॉ हरि ओम पांडेय, सचिव डॉ राम इकबाल तिवारी सहित डॉ एसके झा, डॉ आरए तिवारी, डॉ चंद्रकांत शुक्ल, डॉ विनोदानंद त्रिपाठी, डॉ हरि उरांव, डॉ जीतेंद्र प्रसाद सिन्हा, डॉ ओंकारनाथ श्रीवास्तव, डॉ एनएन तिवारी, डॉ एसएन पाल, डॉ अमल चौधरी, डॉ श्रवण सिंह, डॉ जेपी खरे और डॉ टुलू सरकार आदि शामिल थे.

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