अधर्मी संतान को कभी संरक्षण नहीं देना चाहिए, कृष्ण जन्म कथा में बोले पंडित रामदेव
महाभारत काल में सभी राष्ट्र द्वारिका और मथुरा को पाने के लिए लालायित थे. मथुरा में अपने ही पिता, बहन और जीजा को बंदी बनाने वाला कंस हो या राजगीर में हजारों राजाओं को बंदी बनाने वाला जरासंध. 16 हजार युवतियों को कैद करने वाला भोमासुर गुवाहाटी का शासक था.
अधर्मी संतान को कभी संरक्षण नहीं देना चाहिए. भले कुल का नाश ही क्यों न हो जाये. कृष्ण जन्म के समय जो परिस्थितियां थीं, कमोबेश आज भी वैसी ही परिस्थितियां हैं. जिस तरह द्वापर में सभी द्वारिका और मथुरा को हासिल करने के लिए लालायित थे, उसी तरह आज भी देश में तमाम राजनीतिक दल सत्ता के लिए हर तरह के तिकड़म भिड़ा रहे हैं. पंडित रामदेव ने बुधवार को श्रीमद्भागवत की कथा के दौरान कृष्ण जन्म का प्रसंग सुनाते हुए ये बातें कहीं.
अनैतिक कार्यों में लिप्त थे उस समय के राजा
रांची में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में उन्होंने कहा कि कृष्ण के जन्म के समय जिस तरह की राजनीतिक, सामाजिक परिस्थितियां थीं, आज वैसी ही परिस्थितियों से देश गुजर रहा है. महाभारत काल में सभी राष्ट्र द्वारिका और मथुरा को पाने के लिए लालायित थे. मथुरा में अपने ही पिता, बहन और जीजा को बंदी बनाने वाला कंस हो या राजगीर में हजारों राजाओं को बंदी बनाने वाला जरासंध. 16 हजार युवतियों को कैद करने वाला भोमासुर गुवाहाटी का शासक था.
Also Read: भारत ही विश्व को देता है शांति और मुक्ति, रांची में श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह में बोले रामदेव
राज दरबार में हिंसा की शिकार थी द्रौपदी
श्रीमद्भागवत कथा का प्रसंग सुनाते हुए श्री पांडेय ने कहा कि नागपुर में शिशुपाल राजा था, तो हिमाचल प्रदेश में मानव खाने वाला राक्षस हिडिंब. धृतराष्ट्र की संतान दुर्योधन कभी अपने भाईयों को लाक्षागृह में जिंदा जलाने की योजना बना रहा था, तो कभी अज्ञातवास भेजकर हस्तिनापुर पर अकेले राज करना चाहता था. द्रौपदी राज दरबार में स्त्री हिंसा की शिकार थी.
धरती को पाप से मुक्ति दिलाने के लिए कृष्ण ने रची महाभारत
यही वजह है कि भगवान कृष्ण को धरती को पाप से मुक्ति दिलाने के लिए महाभारत की योजना बनानी पड़ी. उन्होंने इसके लिए अनैतिक रास्ता नहीं अपनाया. राजनीतिक और कूटनीतिक मार्ग चुना और महाभारत के युद्ध में अनैतिक कार्यों में लिप्त राजाओं से इस संसार को मुक्ति दिलायी. भगवान कृष्ण ने भारत में धर्म की स्थापना की. साथ ही संदेश दिया कि धर्म ही सर्वोपरि है.
20 अक्टूबर को होगा रुक्मिणी-कृष्ण विवाह प्रसंग
रामदेव पांडेय ने श्रीमद्भागवत कथा में कहा कि भले ही कुल का नाश हो जाये, अधर्मी संतान को कदापि संरक्षण नहीं देना चाहिए. उन्होंने कहा कि गुरुवार को रुक्मिणी-कृष्ण विवाह का प्रसंग होगा. श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन बरियातू स्थित रांची यूनवर्सिटी कॉलोनी के पास स्थित राम मंदिर में किया गया है. इसका आयोजन महिला भक्ति परिषद ने किया है. 21 अक्टूबर को इसका समापन होगा.