झारखंड विधानसभा के अंदर और बाहर खूब हुआ हंगामा, भाजपा विधायकों ने किया प्रदर्शन

Uproar in Jharkhand Vidhan Sabha. नेता प्रतिपक्ष को मान्यता देने के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक लगातार विधानसभा के अंदर और बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस मुद्दे पर भाजपा विधायकों और विधानसभा के अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो के बीच ठन गयी है.

By Mithilesh Jha | March 5, 2020 2:11 PM
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रांची : झारखंड विधानसभा के अंदर और बाहर गुरुवार (5 मार्च, 2020) को हंगामा जारी रहा. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने बाबूलाल मरांडी को विधायक दल का नेता की मान्यता देने की मांग पर विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया. विधायकों ने प्लास्टिक का एक जैकेट बनवा रखा था, जिस पर सरकार विरोधी नारे लिखे थे.

विधायकों ने जो जैकेट पहने थे, उस पर लिखा था : नेता प्रतिपक्ष को मान्यता दो, बेरोजगारों के साथ ठगी करने वाली हेमंत सरकार शर्म करो-शर्म करो, चाईबासा में आदिवासियों का हुआ नरसंहार हेमंत सोरेन शर्म करो-शर्म करो, नेता प्रतिपक्ष के बिना विधानसभा नहीं चलेगी और लोकतंत्र की हत्या बंद करो.

नेता प्रतिपक्ष को मान्यता देने के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक लगातार विधानसभा के अंदर और बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस मुद्दे पर भाजपा विधायकों और विधानसभा के अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो के बीच ठन गयी है. भाजपा के विधायक चाहते हैं कि उनके नेता बाबूलाल को जल्द से जल्द नेता प्रतिपक्ष की मान्यता मिले, लेकिन स्पीकर कह रहे हैं कि वह नियमसम्मत फैसला लेंगे. और इसमें वक्त लगेगा.

यही वजह है कि बजट सत्र के चार दिन हंगामे की भेंट चढ़ चुके हैं. पांचवें दिन भी सदन में हंगामा हुआ. हालांकि, गुरुवार का हंगामा अलग मुद्दे पर था. इरफान अंसारी और सीपी सिंह के बीच बुधवार (4 मार्च, 2020) को सदन के बाहर हुई तीखी बयानबाजी को लेकर विधानसभा के अंदर हो-हल्ला हुआ. फलस्वरूप सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी.

उल्लेखनीय है कि चौथे दिन भी भाजपा के सभी विधायकों ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू कर दिया था. ये लोग बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठाने की मांग को लेकर वेल में आकर हंगामा करने लगे. इसी बीच, प्रश्‍नकाल में कुछ प्रश्‍न पूछे गये, मगर भाजपा विधायकों का हंगामा नहीं रुका.

बजट सत्र का पहला, दूसरा और तीसरा दिन भी हंगामेदार रहा था. बजट सत्र शुरू होने से पहले ही बीजेपी विधायक सदन के बाहर धरना पर बैठ गये थे.

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