Jharkhand news, Koderma news : कोडरमा (विकास) : पेड़- पौधे हैं तो जीवन है. ये संदेश हम कई बार सुनते हैं, पर पेड़- पौधों के संरक्षण को लेकर गंभीरता नहीं दिखती, लेकिन कोडरमा में एक पीपल के पेड़ को उखाड़ने के बाद उसे बचाने के लिए अब हाई लेवल की कवायद चल रही है. वन विभाग ने बकायदा इसको लेकर पत्र जारी कर कार्य एजेंसी एनएचएआई (NHAI) को पेड़ बचाने के लिए पहल करने को कहा है. मामला बरही-कोडरमा फोरलेन चौड़ीकरण (एनएच-33) से जुड़ा है. वन विभाग की यह सक्रियता स्थानीय पर्यावरणविद् इंद्रजीत सामंता (Environmentalist Indrajit Samanta) के द्वारा ध्यान आकृष्ट कराये जाने के बाद दिखी है. विभाग के पत्र के बाद एनएचआएई उक्त पीपल के पेड़ को ट्रांसप्लांट करने की तैयारी में है.
जानकारी के अनुसार, राज्य भर में सड़क चौड़ीकरण कार्य को लेकर हजारों पेड़ काटे जा रहे हैं. इस स्थिति को देखते हुए गत वर्ष पर्यावरणविद् इंद्रजीत सामंता ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. इस याचिका के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर पेड़ की कटाई से उसे बचाने को लेकर पूरा निर्णय लेने के लिए हाई पावर कमेटी (High power committee) का गठन किया गया है. उक्त कमेटी ने बरही- कोडरमा फोरलेन चौड़ीकरण में प्रभावित हो रहे 3518 पेड़ में 7 इंच से कम व्यास वाले 1727 पेड़ को ट्रांसप्लांट करने का निर्देश दिया है.
सड़क चौड़ीकरण कार्य के दौरान झुमरी के पास सड़क की बायीं ओर वर्षों पुराने पीपल के पेड़ को उखाड़ दिया गया. इस पेड़ को नियमत: ट्रांसप्लांट करने का निर्देश नहीं था. निर्माण एजेंसी ने पेड़ को उखाड़ कर नीचले हिस्से को सड़क किनारे छोड़ दिया. इस बीच इस पेड़ में कुछ हरे पत्ते निकल आये.
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पर्यावरणविद् इंद्रजीत सामंता ने देखा कि उक्त पेड़ स्वस्थ प्रतीत हो रहा है, पर बचाने की पहल नहीं हो रही है. ऐसे में उन्होंने इसकी तस्वीर के साथ एक ईमेल गत 8 नवंबर, 2020 को क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक रांची व कोडरमा वन प्रमंडल पदाधिकारी (Regional Chief Conservator of Forests, Ranchi and Koderma Forest Division Officers) को भेजी. इस पर त्वरित संज्ञान लेते हुए क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक ने डीएफओ को पहल करने का निर्देश दिया.
डीएफओ ने गत 10 नवंबर, 2020 को एनएचएआई के परियोजना निदेशक को पत्र लिखकर उक्त पीपल के पेड़ को ट्रांसप्लांट करने को कहा है. अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि उक्त पेड़ ट्रांसप्लांट करने पर सर्ववाइव कर सकता है. पेड़ में पुर्नजीविता की प्रबलता ज्यादा है. ऐसे में जल्द ही इसे अन्यत्र जगह ट्रांसप्लांट करना सुनिश्चित करें, ताकि पेड़ की उत्तरजीविता बनी रहे.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो पीपल एकमात्र ऐसा वृक्ष है, जो रात में भी ऑक्सीजन छोड़ता है. इसीलिए अन्य वृक्षों की अपेक्षा इसका महत्व काफी अधिक बताया गया है. वहीं, हिंदू धर्म में मान्यता है कि इसके पत्ते-पत्ते में देवता का वास होता है. विशेषकर विष्णु का. अथर्ववेद और छंदोग्य उपनिषद में इस वृक्ष के नीचे देवताओं का स्वर्ग बताया गया है. पीपल का पेड़ दीर्घायु होता है और सैकड़ों वर्षों तक रहता है.
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वन प्रमंडल पदाधिकारी कोडरमा के सूरज कुमार सिंह ने कहा कि इंद्रजीत सामंता के द्वारा पीपल पेड़ को बचाने के लिए प्राप्त ईमेल के आधार पर एनएचएआई को ट्रांसप्लांट करने के लिए पत्र लिखा गया है. कोडरमा वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी को अपनी देखरेख में पेड़ ट्रांसप्लांट करने की जिम्मेवारी दी गयी है. मंगलवार को परियोजना निदेशक से मुलाकात में भी पेड़ को जल्द ट्रांसप्लांट करने को कहा गया है. उन्होंने छठ बाद इसे कराने की बात कही है. वैसे भी पेड़- पौधों को बचाने के लिए हर व्यक्ति को सजग रहने की जरूरत है.
Posted By : Samir Ranjan.