मिलिए झारखंड के इन युवाओं से जिन्होंने UPSC की परीक्षा में लहाराया परचम, ऐसी रहा सफर
झारखंड के कई युवाओं ने यूपीएससी की परीक्षा में परचम लहराया है. देश की इस सबसे बड़ी परीक्षा में मनीष को 114 अंक मिला है. इसके अलावा स्वाति संदीप का 490 रैंक है. आज हम उन सभी यूपीएससी परीक्षा के सफल अभ्यर्थियों की कहानी से रू-ब-रू कराएंगे.
झारखंड से कई युवाओं ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता पायी है. वह राज्य के अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गये हैं. कई सालों की मेहनत और लगन ने आखिरकार उनके सपनों को पूरा कर दिया है. इन कामयाब युवाओं से प्रभात खबर आपको करा रहा है रूबरू.
पांचवें प्रयास में सफलता मिली मनीष को
रांची/जमशेदपुर. जमशेदपुर के मनीष भारद्वाज को 114वां स्थान मिला है. मनीष का परिवार बारीडीह के विजया गार्डेन में रहता है. मनीष ने दसवीं की परीक्षा डीएवी पब्लिक स्कूल बिष्टुपुर व 12वीं बिष्टुपुर के सेंट मेरीज इंग्लिश स्कूल से की. मनीष फिलहाल बेगुसराय में डीसीएलआर हैं. मनीष ने प्रभात खबर के साथ मन की बात की. इसमें उन्होंने जीवन में एक असफलता से उम्मीद छोड़ देने वाले लोगों को सफलता का मंत्र बताया. मनीष ने कहा कि उन्होंने यह सफलता अपने पांचवें प्रयास में हासिल की. चार बार इंटरव्यू देने के बाद भी यूपीएससी में उनका चयन नहीं हो सका था.
चतरा की स्वाति संदीप को मिला 490वां रैंक
चतरा स्थित पुराना पेट्रोल पंप के पास रहनेवाली स्वाति संदीप ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 490 वां रैंक हासिल की हैं. झारखंड शिक्षा परियोजना के पूर्व एडीपीओ कृष्ण कुमार वर्मा की पुत्री स्वाति आरंभ से मेधावी रही हैं. 2021 में संत कोलंबस कॉलेज हजारीबाग से भौतिकी में स्नातक करने के बाद पहली बार यूपीएससी परीक्षा में शामिल हुईं. परीक्षा की तैयारी के लिए कोई कोचिंग संस्थान नहीं गयीं, बल्कि स्वयं पढ़ाई की अौर सफलता हासिल की. इन्होंने स्कूली शिक्षा डीएवी हजारीबाग से पूरी की. अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता व गुरुजनों को दिया है.
मर्चेंट नेवी की नौकरी छोड़ सफल हुए आलोक
रांची/गोड्डा. गोड्डा स्थित लोहियानगर निवासी राजकुमार पंजियारा के पुत्र आलोक कुमार ने इस वर्ष यूपीएससी की परीक्षा में 549 वां रैंक हासिल किया है. आलोक ने वर्ष 2013 -17 में नवी मुंबई टीएस चाणक्या से मर्चेंट नेवी की पढ़ाई करने के बाद मर्चेंट नेवी की नौकरी शुरू की. अपने साथियों के आग्रह पर मर्चेंट नेवी की नौकरी छोड़ कर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी.
पिछले वर्ष 66 वें बीपीएससी में सफलता हासिल करने के बाद बतौर आपूर्ति पदाधिकारी के पद पर नौकरी ज्वाइनकी. स्टडी लीव लेकर पुन: यूपीएससी की तैयारी में जुट गये. आलोक कहते हैं कि बेहतर प्रारंभिक शिक्षा सबसे बड़ी बात होती है. लगातार साधना से ही सफलता के द्वार खुलते हैं. आलोक बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ी भी हैं. इन्होंने अपनी सफलता का श्रेय मां ललित देवी व पिता राजकिशोर पंजियारा को दी है.
इपीएफओ राउरकेला में अफसर हैं चंदन
तोरपा के चंदन प्रसाद ने यूपीएससी परीक्षा में 671वां रैंक हासिल किया है. सेवानिवृत्त शिक्षक देवनारायण महतो व सुशीला देवी के पुत्र चंदन वर्तमान में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन राउरकेला (ओड़िशा) में लेखा पदाधिकारी के रूप में कार्यरत हैं. इसके पूर्व वह इंफोसिस में छह वर्षों तक कार्य कर चुके हैं. उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा श्री हरी उच्च विद्यालय तोरपा तथा इंटरमीडिएट (विज्ञान) की परीक्षा संत जेवियर कॉलेज रांची से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की.
इसके बाद कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, भुवनेश्वर से बीटेक की डिग्री हासिल की. चंदन ने शुरू से ही यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल करने का लक्ष्य तय किया था. यह उनका यह दूसरा प्रयास है. उन्होंने सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है. चंदन के बड़े भाई उमेश प्रसाद वन विभाग रांची में तथा कुंदन प्रसाद बिहार राज्य उपभोक्ता व खाद्य संरक्षण विभाग में सहायक प्रबंधक हैं. बहन अर्चना मेहता एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद सोलापुर महाराष्ट्र में शिशु रोग विशेषज्ञ के रूप में पीजी कर रही हैं.
दारोगा पुत्र शिवम को मिला 216 वां रैंक
रांची/ जमशेदपुर. सरायकेला कोर्ट में पदस्थापित दारोगा अरविंद कुंवर के पुत्र शिवम कुमार ने यूपीएससी की परीक्षा में 216 वां रैंक हासिल किया है. शिवम दिल्ली में रह कर तैयारी कर रहे थे. शिवम को यूपीएससी परीक्षा में दूसरी बार में सफलता मिली है. पहली बार में उनकी तबीयत खराब हो गयी थी, जिससे उन्हें सफलता नहीं मिल सकी. लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी. इन्होंने आइआइटी गुवाहाटी से मेकैनिकल ब्रांच से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. 2017 में कैंपस हो गया था और बेंगलुरू में नौकरी की.
लेकिन यूपीएससी की तैयारी के लिए शिवम ने नौकरी छोड़ दी और दिल्ली में रह कर तैयारी की. शिवम की प्राथमिक शिक्षा गांधी शिक्षा संस्थान रतनपुर बेगूसराय से हुई. इसके बाद रामकृष्ण मिशन विद्यापीठ देवघर से 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की. कोटा में रह कर इंजीनियरिंग की तैयारी की और यहीं से 12वीं की पढ़ाई पूरी की. शिवम की मां माला देवी गृहिणी है.
क्षितिज ने तीसरे प्रयास में पायी सफलता
जेवीएम श्यामली से 10वीं और 12वीं तक पढ़ाई करनेवाली क्षितिज वर्मा ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता पायी है. उन्हें 366वां स्थान मिला है. यह उनका तीसरा प्रयास था. क्षितिज वर्मा ने अमेटी यूनिवर्सिटी दिल्ली से इकोनॉमिक्स में स्नातक किया है. भू-राजस्व विभाग में पदस्थापित रहे राजेश वर्मा के पुत्र श्री वर्मा यूपीएससी की परीक्षा में अर्थशास्त्र विषय से शामिल हुए थे. क्षितिज की मां कैंब्रियन स्कूल, धुर्वा में शिक्षिका है. बहन बेंगलुरु में विधि की प्रोफेसर है. क्षितिज ने कहा कि एक बार और यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होंगे. कोशिश होगी रैंक में सुधार हो.
किसान के बेटे अभिनव तीसरे प्रयास में सफल
रांची/हंटरगंज(चतरा). चतरा जिला अंतर्गत हंटरगंज प्रखंड के गोदोबार गांव निवासी मनोज सिंह के बेटे अभिनव प्रकाश को इस बार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 279 वां रैंक आया है. इन्होंने ज्ञान भारती गया से मैट्रिक, बोकारो से इंटर और दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. दिल्ली में ही रहकर तीन वर्षों से यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे. अपने दूसरे प्रयास में इन्होंने यह सफलता पायी है. पिता मनोज सिंह साधारण किसान हैं. अभिनव कहते हैं कि लक्ष्य निर्धारित कर तैयारी करने से सफलता जरूर मिलती है. विद्यार्थियों को मन लगाकर व लक्ष्य निर्धारित कर पढ़ाई करनी चाहिए.
पढ़ाई में कभी सेकेंड नहीं आयी इशिता
रांची/गुमला. यूपीएससी टॉपर इशिता किशोर का नाना घर गुमला में है. गुमला से उसका काफी लगाव रहा है. गुमला शहर के थाना रोड निवासी अधिवक्ता शैलेश कुमार की भगिनी इशिता किशोर ने यूपीएससी में प्रथम प्रयास में ही सफलता हासिल की. इस संबंध में अधिवक्ता शैलेश कुमार ने कहा कि इशिता किशोर को बचपन से ही पढ़ाई में रूचि था. वह स्कूल हो या फिर कॉलेज की पढ़ाई, कभी भी सेकेंड नहीं आयी है.
हमेशा टॉप की है और हर साल स्कूल कॉलेज से मेडल हासिल करती थी. इशिता दिल्ली स्थित ग्रेटर नोयडा में अपने घर में रह कर यूपीएससी की तैयारी की और सफलता प्राप्त की है. वह विंग कमांडर स्व संजय किशोर की पुत्री है. पिता के निधन के बाद से इशिता की मां ज्योति किशोर अपनी बेटी व छोटा बेटा हर्ष की परवरिश कर पढ़ाई करायी. उन्होंने बताया कि इशिता जब भी गुमला आती थी, तो वह पढ़ाई ही करती थी. उसका शुरू से पढ़ाई के प्रति काफी लगन था. वह जब भी गुमला आती थी, तो उसके लिए एक कमरा था, जहां वह अहले सुबह उठ कर पढ़ती थी. शाम को भी वह पढ़ने बैठ जाती थी. दोपहर में भी समय का सदुपयोग कर वह पढ़ाई करती थी.
बोकारो स्टील प्लांट में इंजीनियर हैं रजत
रांची/कतरास. कतरास के रमेश कुमार के बड़े पुत्र तथा बोकारो स्टील प्लांट के इंजीनियर कुमार रजत ने 423 वां स्थान प्राप्त किया है. कुमार रजत ने पहले प्रयास में ही यह सफलता हासिल की है. इन्होंने 2007 में डीएवी प्लस टू हाइस्कूल कतरासगढ़ से 84.6 प्रतिशत अंक लाकर पूरे जिले में दूसरा स्थान पाया था. वर्ष 2009 में राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर धनबाद से 12वीं साइंस में 91.4 प्रतिशत नंबर हासिल किया था.
इसके बाद एनआइटी जमशेदपुर से 2013 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की. पिछले साल बोकारो स्टील प्लांट में बतौर इंजीनियर योगदान किया. रजत ने इसके बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखी. वर्ष 2021 में 64वीं बीपीएससी की परीक्षा में 150 वां रैंक हासिल कर इंप्लायमेंट ऑफिसर के रूप में चयनित हुए, लेकिन योगदान नहीं दिया. नौकरी के साथ-साथ बचे हुए समय में यूपीएससी की तैयारी करते रहे.
बीटेक के बाद तैयारी में जुट गये थे गगन
रांची/हजारीबाग. हजारीबाग के चलकुशा स्थित अलगडीहा मस्केडीह गांव के गगन कुमार ने 556 रैंक हासिल किया है. गगन को पांचवें प्रयास में यह सफलता मिली है. गगन कुमार बीटेक के बाद सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी में जुट गये थे. समाजशास्त्र विषय को यूपीएससी में शामिल किया था. गगन ने विद्यार्थियों को संदेश दिया है कि लक्ष्य को ध्यान में रखकर अपनी क्षमता का हमेशा आकलन करें.
शिक्षक, मां-पिता सभी के आशीर्वाद पर भरोसा रखें. उन्होंने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए पाठयक्रम पर केंद्रित करना जरूरी है. यूपीएससी के पैटर्न, सफल छात्रों की जानकारी लेकर परीक्षा की तैयारी करें. उन्होंने 10वीं की परीक्षा एसएसआर हाइस्कूल सरिया और आइएससी की पढ़ाई छोटानागपुर इंटर कॉलेज बेड़ोकला बरकट्ठा से की है.
नौकरी छोड़कर सफल हुए प्रदीप वर्णवाल
रांची/पुटकी (धनबाद). पुटकी के राशन दुकान संचालक केदार प्रसाद वर्णवाल के छोटे पुत्र प्रदीप कुमार वर्णवाल को 601 रैंक मिला है. प्रदीप ने 84 प्रतिशत अंक के साथ 10वीं फागू महतो स्कूल कपुरिया से पूरी की. वहीं डीएवी स्कूल मुनीडीह से विज्ञान संकाय में 12 वीं की. इसके बाद बीआइटी सिंदरी कॉलेज से मैकेनिकल से बीटेक की डिग्री हासिल की. प्रदीप ने बताया कि एचपीसीएल हल्दिया में बतौर सहायक मैनेजर एक वर्ष तक नौकरी की है. लेकिन सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में नौकरी आड़े आने लगी, तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी. दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. प्रदीप ने चौथे प्रयास में सफलता हासिल की.