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शहरी श्रमिकों को काम की गारंटी, नहीं तो मिलेगा भत्ता

सरकार ने मुख्यमंत्री श्रमिक (शहरी रोजगार मंजूरी फाॅर कामगार) योजना तैयार की है. श्री सोरेन ने शुक्रवार को प्रोजेक्ट भवन में इस योजना की शुरुआत करते हुए टोकन के रूप में सांकेतिक रूप से पांच श्रमिकों को जॉब कार्ड सौंपा.

रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कोरोना काल में पता चला कि लगभग 10 लाख श्रमिक रोजगार की तलाश में झारखंड से बाहर चले जाते हैं. महामारी के दौरान सबसे अधिक परेशानी श्रमिकों को ही हुई. श्रमिक बंधुओं की वापसी को राज्य सरकार ने रोजगार की चुनौती के रूप में लिया. ग्रामीण क्षेत्रों में तो मनरेगा के तहत लाखों की तादाद में श्रमिकों को रोजगार दिया गया.

लेकिन, शहरी क्षेत्र के मजदूरों के लिए रोजगार की समस्या अब भी बरकरार थी. इसी के मद्देनजर सरकार ने मुख्यमंत्री श्रमिक (शहरी रोजगार मंजूरी फाॅर कामगार) योजना तैयार की है. श्री सोरेन ने शुक्रवार को प्रोजेक्ट भवन में इस योजना की शुरुआत करते हुए टोकन के रूप में सांकेतिक रूप से पांच श्रमिकों को जॉब कार्ड सौंपा. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शहरी जनसंख्या के लगभग 31% लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं.

सरकार की मंशा उन सभी लोगों को इस योजना से जोड़ने की है. करीब पांच लाख लोग श्रमिक योजना से लाभांवित होंगे. योजना के तहत काम के लिए आवेदन देने के अधिकतम 15 दिनों के अंदर उनको शहरी क्षेत्र में ही रोजगार दिया जायेगा. श्रमिकों को साफ-सफाई, हरियाली और विकास योजनाओं में काम दिया जायेगा.

काम नहीं देने की स्थिति में रोजगार की गारंटी के तहत उनको बेरोजगारी भत्ता दिया जायेगा. श्री सोरेन ने कहा कि लॉकडाउन में फंसे मजदूरों की वापसी राज्य सरकार ने बसों और ट्रेनों के साथ हवाई जहाज से भी करायी. झारखंड देश का पहला राज्य बना, जिसने श्रमिकों की वापसी के लिए केंद्र से अनुमति हासिल की. दाल-भात योजना, दीदी किचन और महिला समूहों के जरिये घर लौटनेवाले मजदूरों का पेट भरा गया.

समारोह में ये लोग थे मौजूद : समारोह में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे, पेयजल एवं स्वच्छता सचिव प्रशांत कुमार, रांची के नगर आयुक्त मुकेश कुमार, आइटी निदेशक राय महिमापत रे, सूडा के निदेशक अमित कुमार, नगरीय प्रशासन निदेशक विजया जाधव समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे.

हेमंत सोरेन ने लांच की मुख्यमंत्री श्रमिक योजना

  • रोजगार की तलाश में झारखंड से बाहर चले जाते हैं 10 लाख श्रमिक

  • कोरोना महामारी के दौरान सबसे अधिक परेशान हुए प्रवासी श्रमिक

  • इन श्रमिकों की घर वापसी को चुनौती के रूप में लिया राज्य सरकार ने

इन श्रमिकों को सांकेतिक रूप से दिया गया जॉब कार्ड :

सरिता तिर्की,

शिवम भेंगरा,

शांति मुकुल खलखो,

रोहित कुमार सिंह और

सूरज कुमार वर्मा

शहरी गरीबों को 100 दिनों के रोजगार की गारंटी : नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे ने बताया कि मुख्यमंत्री श्रमिक योजना के तहत शहरी क्षेत्र में रहनेवाले सभी बेरोजगारों को 100 दिनों के रोजगार की गारंटी दी जा रही है. इसके लिए क्रिटीकल फंड की व्यवस्था की गयी है.

जॉब कार्ड करने के लिए 18 वर्ष से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति वेब पाेर्टल http://msy.jharkhand.gov.in पर लॉगिन कर आवेदन सकता है. इसके बाद स्वयं, प्रज्ञा केंद्र, निकाय कार्यालय के एनयूएलएम कोषांग, सामुदायिक संसाधन सेवक या सेविका से जॉब कार्ड लिया जा सकता है. संबंधित वार्ड के कैंप कार्यालय पर भी जॉब कार्ड के लिए आवेदन दिया जा सकता है.

24 जिलों में रोज हो रही 10,000 से अधिक जांच : श्री सोरेन ने कहा कि श्रमिकों की वापसी के बाद संक्रमण से लड़ने की व्यवस्था की. पहले राज्य में कोई टेस्टिंग लैब नही था. लेकिन, आज सभी 24 जिलों में रोज 10,000 से अधिक कोविड-19 टेस्टिंग की जा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि संक्रमण के भय से रोजगार का अभाव हो गया था. दिहाड़ी मजदूरों के लिए यह मरने के सामान था. गरीबों के लिए हर स्तर पर योजना बना कर उन्हें काम दिया जा रहा है.

सरकार राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए काम कर रही है. दीदी किचन योजना से ग्रामीण क्षेत्रों के कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर हुआ है. शहरी क्षेत्रों के लिए चिह्नित कार्य के साथ हरियाली बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. राज्य सरकार विकास की अंधी दौड़ में शामिल होने के बजाय पूरी जिम्मेवारी के साथ लोगों के विकास के लिए कदम उठा रही है.

Post by : Pritish Sahay

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