vat savitri vrat 2020, amavasya, bada puja mahotsav in Jharkhand सुहागिनों के सबसे बड़ा त्योहारों में से एक, वट सावित्री पूजा हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी इसी शुक्रवार को मनाया जाना है. आपको बता दें कि इससे जुड़ा एक और पर्व झारखंड के रांची में काफी प्रचलित है. जिसे बड़ा पूजा के नाम से जाना जाता है. रांची के डोरंडा, मणिटोला स्थित मां काली की तीन दिवसीय पूजा कोरोना और लॉकडाउन के वजह से इस वर्ष नहीं हो पायेगी.
मणिटोला वाली मां के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में पहले की भांति इस वर्ष आयोजन नहीं किया जा रहा है. मंदिर के मुख्य पुजारी श्री रामेश्वर पासवान का कहना है कि कोरोना के वजह से जहां देश भर के देवालयों में लॉकडाउन है, वहीं लाखों भक्तों की आस्था से जुड़ा यह मंदिर भी नहीं खुल पाएगा. उन्होंने कहा कि आस्था भी कहीं न कहीं स्वास्थ्य से जुड़ा है. हमारे यहां ज्यादातर भक्त अपनों के सुखी जीवन और स्वास्थ्य की कामना लेकर ही आते थे. ऐसे में कोरोना महामारी के इस दौर में हम मंदिर खोलकर उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ कैसे कर सकते हैं. उन्होंने भक्तों से अनुरोध करते हुए कहा कि आप सब मां काली की अराधना घरों से ही करें. मां सर्वव्यापी है और कष्टों का निवारण करती है.
जय मां काली जगदम्बा ट्रस्ट के मुख्य सचिव पवन पासवान कहते हैं कि केवल मां की पूजा करने से ही नहीं बल्कि दूसरों की सेवा करने से भी सुख की प्राप्ति होती है. पहले लॉकडाउन से ही हमें अंदाजा था की यह कोरोना नाम की बला इतनी जल्दी नहीं समाप्त हो पाएगी. ऐसे में हमने लॉकडाउन के पहले और दूसरे चरण में करीब 2000 लोगों तक भोजन सामग्री बंटवायी. वहीं, दूसरे और तीसरे चरण में हमने करीब 4000 से ज्यादा जरूरतमंद लोगों को अबतक प्रतिदिन एक समय का भोजन करवाया है. उन्होंने बताया कि आगे भी जबतक लॉकडाउन जारी रहेगा तब तक हमारी कोशिश रहेगी कि गरीब, असहायों को भोजन करवाया जाए. उन्होंने कहा कि हम कोई पूंजीपती नहीं हैं, हमारे पास जितना है उतने में ही लोगों की सेवा करने का प्रयास कर रहे हैं.
पवन का कहना है कि वट सावित्री के दिन जेठ अमावस्या होता है. यह पूरे अमावस में सबसे बड़ा अमावस होता है. यही कारण है कि इसे बड़ा पूजा कहा जाता है.
उन्होंने आगे कहा कि इसी दिन हमारे पूर्वज को मां का आदेश हुआ था कि इसकी स्थापना की जाए. उसी के बाद से इसे धूमधाम से मनाया जा रहा है. पवन की मानें तो इसका आयोजन 41 वर्षों से लगातार किया जा रहा है. यह पहली बार है जब यह पर्व कोरोना महामारी के वजह से नहीं मनाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि हर वर्ष इसे लेकर हजारों भक्त मंदिर प्रांगण से शोभायात्रा निकालते थे. इसमें विभिन्न राज्यों के परंपरागत लोक वाद यंत्र और संगीतकार शामिल होते थे. लगातार तीनों दिन इस शोभायात्रा को निकालने के बाद लाखों भक्त मां का दर्शन कर भोग ग्रहण करते थे. और तीसरे दिन शाम में भव्य जागरण करके इसकी समाप्ति की जाती थी.
अंत में मुख्य पुजारी और सचिव कहते हैं कि सारे भक्त लॉकडाउन का पालन करें. बाहर निकलने से पूर्व मास्क जरूर लगा लें और सोशल डिस्टेंसिंग का भी सख्ती से पालन करें एवं बार-बार हाथों को भी धोते रहें.
– दंपति सुनील वर्मा और रेणु सिन्हा का कहना है कि मां की लीला अपरंपार है और मुख्य पुजारी के अनुसार ही हम कार्य करेंगे.
– इंदू और उनकी पत्नी का कहना है कि मां का आदेश सर्वोपरी है. हमलोग घरों से ही अराधना करेंगे.
– रानी और नंदकिशोर के बेटे सुमीत जयसवाल का कहना है कि हर वर्ष की भांति इस बार नहीं हो रही है तो कोई बात नहीं. हम पुजारी के अनुसार घरों से मां की अराधना करेंगे. लेकिन, मां से प्रार्थना है कि जल्द इस महामारी से दुनिया को बचाएं ताकि अगले वर्ष धूमधाम से पूजा की जा सके.