Jharkhand News: वीर बुधु भगत के गांव में कृषि को मिलेगा बढ़ावा, वैज्ञानिकों ने उठाया बड़ा कदम
वैज्ञानिक डॉ तिवारी ने गांव में वीर बुधु भगत के परिजनों से भेंट की और वहां आधुनिक कृषि तकनीक के प्रसार की जानकारी दी. डॉ तिवारी ने गांव के किसान राम किशुन उरांव की खेत में अदरख फसल की खेती देखी
बीएयू वीर बुधु भगत के गांव सिलागाईं में मसाला की खेती को बढ़ावा देगा. इसके लिए विवि के वैज्ञानिकों ने गांव का स्थल निरीक्षण भी किया है. विवि की ओर से वहां के किसानों को मसाला की खेती के लिए आवश्यक संसधान सहित प्रशिक्षण दिलाने का कार्य किया जायेगा. कुलपति डॉ ओएनस सिंह के निर्देश पर सोमवार को उद्यान वैज्ञानिक एवं परियोजना प्रभारी डॉ अरुण कुमार तिवारी व अन्य वैज्ञानिकों ने गांव का भ्रमण किया. उन्होंने पाया कि चान्हो प्रखंड स्थित इस गांव में लगभग 950 परिवार निवास करते हैं. जिनमें लगभग 52 प्रतिशत आबादी उरांव जनजाति परिवार के है. मुख्य खेती धान है.
वैज्ञानिक डॉ तिवारी ने गांव में वीर बुधु भगत के परिजनों से भेंट की और वहां आधुनिक कृषि तकनीक के प्रसार की जानकारी दी. डॉ तिवारी ने गांव के किसान राम किशुन उरांव की खेत में अदरख फसल की खेती देखी. साथ ही आधुनिक तकनीक की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि गांव में धनिया, मैथी, अजवाईन, हल्दी एवं अदरख की खेती की काफी संभावनाएं हैं.
वैज्ञानिक प्रबंधन से मसाला फसलों की व्यावसायिक खेती को अपनाकर स्थानीय किसान बढ़िया लाभ प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने ग्रामीण उत्पाद एवं मसाला की खेती की संभावना को देखते हुए मौजूद ग्रामीणों से गांव में मसाला की खेती को बढ़ावा देने में सहयोग देने की अपील की. ग्रामीणों ने विवि द्वारा गांव में आधुनिक कृषि के प्रसार में सहयोग देने की बात कही.
सिलागाई के किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण
डॉ तिवारी ने कहा कि जल्द ही सिलागाई गांव के किसानों को मसाला शोध परियोजना के अधीन मसाला फसलों की व्यावसायिक खेती पर प्रशिक्षण कार्यक्रम दिया जायेगा. साथ ही उन्नत बीज का वितरण तथा फील्ड डे कार्यक्रम किया जायेगा. उन्होंने बताया कि गांव में फसलों की व्यावसायिक खेती का प्रचलन नहीं के बराबर है. कुछ ही किसान गेहूं की खेती करते हैं. बाग-बगीचे और कुआं के आसपास पारिवारिक जरूरतों की पूर्ति के लिए ही परंपरागत तकनीक से सब्जी, अदरख, हल्दी और धनिया की खेती करते हैं. इस अवसर पर राम किशुन उरांव, मनोज कुमार, सुमित्रा उरांव, सलगी उरांव, सत्या उरांव, मानकी उरांव, सुकरी उराईन सहित लगभग 30 किसान मौजूद थे.