रांची: राष्ट्रपति चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया है और वोट भी दिया. पर इसके साथ ही होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव में झामुमो यूपीए की प्रत्याशी मार्ग्रेट अल्वा का समर्थन कर सकता है. इस मुद्दे पर झामुमो में विचार मंथन चल रहा है. झामुमो के वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी की राजनीति आदिवासी-मूलवासी को लेकर होती है. एनडीए ने संताली आदिवासी द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया था.
वह झारखंड में राज्यपाल भी रह चुकी हैं. ऐसे में झामुमो यदि श्रीमती मुर्मू का समर्थन नहीं करता तो जनता को जवाब देते नहीं बनता. यूपीए ने यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया था. वह भी झारखंड से ही हैं. पर झामुमो अपनी राजनीतिक विरासत को बचाते हुए एक आदिवासी उम्मीदवार के पक्ष में फैसला लिया है. वजह है कि देश में पहली बार कोई आदिवासी सर्वोच्च पद पर आसीन होने जा रहा है. झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन ने सोच-समझ कर फैसला लिया और द्रौपदी मुर्मू को वोट करने की अपील करते हुए पार्टी के सभी सांसदो और विधायकों को निर्देश भी दिया.
झामुमो के वरिष्ठ नेता ने बताया कि उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार एनडीए ने जगदीप धनखड़ को बनाया है. जबकि यूपीए ने मार्ग्रेट अल्वा को बनाया है. झामुमो अब भी यूपीए गठबंधन में ही है. कांग्रेस राज्य में सरकार में शामिल है. ऐसे में सहयोगी दलों का साथ देते हुए झामुमो यूपीए के पक्ष में ही जायेगा.
हालांकि इस बाबत पूछे जाने पर झामुमो के पूर्व महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि अभी उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर पार्टी का रुख स्पष्ट नहीं है. जल्द ही पार्टी की बैठक होगी और इस पर निर्णय लिया जायेगा. वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता विनोद पांडेय ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी अध्यक्ष शिबू सोरेन जो आदेश दिया उसका अनुपालन किया गया. इसी तरह उपराष्ट्रपति चुनाव में पार्टी के अध्यक्ष श्री सोरेन और कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन फैसला लेंगे. इनका जो फैसला होगा पार्टी उनके ही पक्ष में जायेगी. दोनों के फैसले का इंतजार पार्टी को है.
Posted By: Sameer Oraon