एचईसी के अधिकारी पिछले तीन महीनों से अपने वेतन की मांग को लेकर सड़क पर आंदोलनरत हैं. इस आंदोलन में अब अधिकारियों को कर्मचारियों का भी साथ मिल रहा है. एचईसी के मुख्यगेट के बाहर अधिकारी पिछले 90 दिनों से भी अधिक समय से प्रदर्शन कर रहें हैं. गुरूवार को एचईसी के मुख्य गेट के पास सभी ने मिलकर जोरदार प्रदर्शन किया. एचईसी के अधिकारियों को पिछले 14 जबकि कर्मचारियों को 10 महीने से उनका वेतन नहीं मिला है. साथ ही अभी जिस तरह की स्थिति चल रही है उस हिसाब से अधिकारियों को डर है कि न तो उनका वेतन मिलेगा और न ही एचईसी बच पाऐगी.
ऐसे में अब सभी एक मंच पर एचईसी को बुलंद और फिर से जिंदा करने के लिए प्रदर्शन कर रहें हैं. मालूम हो कि एचईसी की स्थापना वर्ष 1958 में हुई थी और इसका उदघाटन दीपावली के दिन 15 नंवबर 1963 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था. तब उन्होंने कहा था कि एचईसी देश के औद्योगिक विकास में मिल का पत्थर साबित होगा. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ही इसे मातृ उद्योग का दर्जा भी दिया था. एचइसी में स्टील, माइनिंग, सीमेंट, पावर और ऑटोमिट एनर्जी के क्षेत्र में उपकरण का निर्माण किया जाना था.
लेकिन एशिया का सबसे बड़ा और भारत के मातृ उद्योग के रूप में विख्यात भारी अभियंत्रण निगम लिमटेड (HEC) अपनी कई सफलताओं को समेटने के बाद अब बंदी के कगार पर पहुंच गया है. यहां वर्तमान में उत्पादन ठप पड़ा है. कर्मियों का 10 माह और अधिकारियों का 14 माह का वेतन बकाया हो गया है. इसे लेकर कर्मी पिछले 90 दिनों से अधिक समय से सड़क पर हैं. एचइसी की देनदारी 1200 करोड़ रुपये से अधिक हो गयी है, जिस कारण वेंडर कच्चे माल की सप्लाई नहीं कर रहे हैं. कार्यादेश समय पर पूरा नहीं करने पर कंपनियां अब नये कार्यादेश का ऑर्डर नहीं दे रही हैं.