मनोज लाल, रांची : झारखंड में ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की शुरुआत वर्ष 2010 से हुई थी. उसके बाद से ही गांव में स्थानीय लोगों द्वारा चुने गये जनप्रतिनिधियों के माध्यम से व्यवस्था चल रही है. यहां अब तक दो बार (वर्ष 2010 और वर्ष 2015 में) गांव की सरकार बनी है. 2020 में तीसरी बार सरकार बनने का इंतजार है. हालांकि, इस व्यवस्था की जमीनी हकीकत पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं.
क्योंकि, गांव की सरकार के 10 साल अधिकार और पैसा मांगते गुजर गये. पंचायती संस्थाओं को जिन 14 विभागों के 29 विषय के अधिकार दिये गये हैं, वे कागजों तक ही सीमित हैं. गांवों के महत्वपूर्ण विषयों में उनका हस्तक्षेप नहीं हो पा रहा है. कई मांगों को लेकर आज भी वे समय-समय पर आंदोलन कर रहे हैं.
पंचायती राज संस्थाओं को 14 विभागों के 29 विषयों में सीधे दखल की व्यवस्था की गयी है. इन्हें स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा, कृषि, पशुपालन, पर्यटन, खेलकूद, कल्याण, वन, खाद्य आपूर्ति, खान आदि मामलों में मॉनिटरिंग का अधिकार दिया गया है. पंचायती चुनाव होने से पेसा कानून भी लागू हुए हैं. पंचायती व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए पंचायत सचिवालय के गठन की दिशा में आगे बढ़ा गया. पंचायत सचिवालय के लिए 4367 पंचायत भवनों में से करीब 4220 पंचायत भवनों का निर्माण करा लिया गया है.
सरकार ने इस पंचायत भवन के माध्यम से ही गांव की सरकार के संचालन की व्यवस्था की है. इस पंचायत भवन में पंचायत सचिवों के बैठने की पूरी व्यवस्था है. वहीं, 17592 पंचायत स्वयं सेवकों के विरुद्ध 17257 स्वयंसेवक रख लिये गये हैं. पंचायत सचिवालय से ही गावों की सरकार चलाने की योजना है. इतना ही नहीं, पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ तथा प्रभावी बनाने के लिए पंचायत राज्य शासन परिषद के गठन की दिशा में प्रयास किये गये हैं. इससे नीति निर्धारण में सहयोग मिलेगी. इस व्यवस्था को भारत सरकार से सीधे ग्रांट के रूप में राशि मिल रही है.
10 साल में केंद्र ने झारखंड को दिये 10 हजार करोड़ : गांव की सरकार बनने की वजह से भारत सरकार ने झारखंड को 10 वर्षों में करीब 10 हजार करोड़ रुपए दिये हैं. वर्ष 2015- 16 से वर्ष 2019 -20 तक 14वें वित्त आयोग से 6046.73 करोड़ रुपये और वर्ष 2010-11 से 2014-15 तक 13 वें वित्त आयोग और बीआरजीएफ के माध्यम से करीब 4000 करोड़ रुपये झारखंड को मिले हैं. इस राशि से झारखंड के गावों में विकास की योजनाएं तैयार हुई हैं. छोटी-छोटी योजनाएं गांव की सरकार के प्रतिनिधियों के माध्यम से बनी हैं.
पंचायती राज
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14 विभागों के 29 विषयों में पंचायती राज संस्थाओं के लिए की गयी है सीधे दखल की व्यवस्था
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कागजों तक सीमित हैं अधिकार, गांवों के महत्वपूर्ण विषयों में नहीं हो पा रहा इनका हस्तक्षेप
Posted by : Pritish Shaya