Jharkhand: हर सरकार की कृपा रही अभियंता बीरेंद्र राम पर, साढ़े आठ साल तक चीफ इंजीनियर के पद पर रहे काबिज
ग्रामीण पुल-पुलिया की योजना तैयार करने से लेकर उसे बनवाने तक में उनका ही कब्जा रहा. हर साल अरबों के पुल-पुलिया बनते हैं. इसके टेंडर निबटारा से लेकर सारा कुछ मुख्य अभियंता के जिम्मे होता है
जल संसाधन विभाग के इंजीनियर बीरेंद्र राम की दखल ग्रामीण कार्य विभाग में जबरदस्त रही. वह जल संसाधन विभाग के अधीन जमशेदपुर स्वर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना में कार्यरत रहते हुए भी यहां ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के मुख्य अभियंता बने रहे. राज्य गठन के 22 साल में से साढ़े आठ साल तक तो बीरेंद्र राम ही मुख्य अभियंता बने रहे.
इस तरह ग्रामीण पुल-पुलिया की योजना तैयार करने से लेकर उसे बनवाने तक में उनका ही कब्जा रहा. हर साल अरबों के पुल-पुलिया बनते हैं. इसके टेंडर निबटारा से लेकर सारा कुछ मुख्य अभियंता के जिम्मे होता है. अभी वह साढ़े पांच साल से लगातार इस पद पर हैं. सबसे बड़ी बात है कि अधीक्षण अभियंता स्तर के इंजीनियर होने के बाद भी उन्हें मुख्य अभियंता बना कर रखा गया.
इस बार तो सरकार की हुई बड़ी कृपा, गलत तरीके से दिया पद :
इस बार तो सरकार ने उन्हें विशेष प्रमंडल के मुख्य अभियंता के साथ ही साथ ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य अभियंता की भी जिम्मेवारी दे दी है. ग्रामीण कार्य विभाग का पद जल संसाधन विभाग के इंजीनियर को नहीं दिया जा सकता है. यह पथ विभाग का कैडर पोस्ट है, पर सारे नियमों को तोड़ कर उन्हें ग्रामीण कार्य विभाग का मुख्य अभियंता बना दिया गया है.
पुल धंसने की जांच को भी दबाया राम ने :
हाल के वर्षों में पुल धंसने की जांच को भी बीरेंद्र राम ने दबा कर रखा. डेढ़ साल पहले कांची नदी में बामलाडीह पुल धंस गया था. इसकी जांच बीरेंद्र राम को करनी थी, पर उन्होंने मामले को दबा कर रखा. जांच नहीं हुई. कांची नदी के हराडीह-बूढ़ाडीह पुल धंसने की जांच पूरी हुई और कार्रवाई के लिए बीरेंद्र राम से इंजीनियरों के नाम मांगे गये, पर आज तक किसी का नाम नहीं दिया.
दोनों सरकार में पैठ :
बीरेंद्र राम सबके चहेता रहे हैं. यही वजह है कि अभी दोनों सरकार को मिला कर वह साढ़े पांच साल से मुख्य अभियंता के पद पर हैं और इसके पहले भी लगातार तीन साल तक मुख्य अभियंता बने रहे.
बीरेंद्र राम को अंगरक्षक देने के लिए मंत्री आलमगीर ने डीजीपी से की थी अनुशंसा
आरइओ व विशेष प्रमंडल के चीफ इंजीनियर बीरेंद्र राम को अंगरक्षक देने के लिए ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने 17 नवंबर 2021 को तत्कालीन डीजीपी से अनुशंसा की थी. अनुशंसा में कहा था कि वीरेंद्र राम ग्रामीण विकास विशेष प्रक्षेत्र रांची के मुख्य अभियंता हैं. इनका आवासीय पता सीइ-01, आवास रोड नंबर सात, सीएच एरिया, बिष्टुपुर, जमशेदपुर है.
इन्होंने सुरक्षा कारणों से अंगरक्षक प्रदान करने के लिए आवेदन दिया है. तथ्यों के आलोक में अंगरक्षक प्रदान करने के लिए नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाये. इस बाबत पूछे जाने पर जमशेदपुर के एसपी ने कहा कि बीरेंद्र राम को उनके यहां से कोई सरकारी अंगरक्षक मुहैया नहीं कराया गया है.
सड़क बनाने का अनुभव नहीं, पर बने चीफ इंजीनियर
बीरेंद्र राम मूल रूप से जल संसाधन विभाग के इंजीनियर हैं. हाल में उन्हें ग्रामीण सड़कों के निर्माण की जिम्मेवारी देते हुए ग्रामीण कार्य विभाग का मुख्य अभियंता बनाया गया. उन्हें सड़क बनाने का कोई अनुभव नहीं था, पर उन्हें चीफ इंजीनियर ही बना दिया गया. साल भर से ज्यादा समय से वह इस पद पर भी हैं.
टेंडर में बार्गेन की शिकायतें मिलती रही है :
लगातार टेंडर में गड़बड़ियों की शिकायतें मिल रही है. कहा जाता है कि मुख्य अभियंता कार्यालय के एक सहायक अभियंता टेंडर के खेल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. मुख्य अभियंता की उस पर कृपा है. उसे दो प्रमंडलों की जिम्मेवारी दी गयी है, लेकिन राज्य में कहीं का भी टेंडर हो, वही टेंडर सेट करने में भूमिका अदा करते हैं. यहां तक कि कम रेट में काम करने को तैयार ठेकेदार एल-वन होने के बावजूद छांट दिये जाते हैं और ज्यादा रेट में दूसरे ठेकेदारों को बार्गेन करके काम दिया जा रहा है. यह खेल चल रहा था.