Vishwakarma Puja 2023: समाज के विश्वकर्मा, जिन्होंने संकट आने पर खुद तैयार किया मैकेनिकल वेंटिलेटर का डिजाइन

कोरोना संकट ने जब झारखंड में छोटे उद्यमों को भी बुरी तरह प्रभावित करना शुरू किया, तो उस वक्त एक इंडस्ट्री ने चिकित्सा क्षेत्र के लिए जीवन रक्षक उपकरण तैयार करने की कोशिश की. टाटीसिलवे स्थित ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़ी कंपनी आजादी के पहले 1946 में स्थापित हुई.

By Prabhat Khabar News Desk | September 17, 2023 10:19 AM
an image

हमारे समाज की बुनियाद सृजन पर आधारित है. सृजन से ही समृद्धि आती है. समाज में कई ऐसे लोग हैं, जो लगातार सृजन में लगे रहते हैं. इनके कार्यों की बदौलत ही समाज की तरक्की सतत जारी रहती है. आज विश्वकर्मा दिवस पर हम ऐसे ही समाज के सृजनकर्ताओं से आपको रूबरू करा रहे हैं. आज का दिन इनके कौशल, सृजन और प्रयास को नमन करने का है. समाज के इन विश्वकर्मा रूपी सृजनकर्ताओं को हम प्रणाम करते हैं.

भगवान विश्वकर्मा की आज होगी पूजा

शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना रवि व सोमवार को है. वाराणसी पंचांग के अनुसार सोमवार को सूर्योदय पूर्व 4.55 बजे कन्या का संक्रांति है. जबकि सूर्योदय 5.56 में हो रहा है. पंडित कौशल कुमार मिश्र व दिलीप ने कहा कि संक्रांति का पुण्यकाल छह घंटा पूर्व व बाद तक होता है.इस कारण से कई लोग सोमवार को भी विश्वकर्मा पूजा मना रहे हैं. जबकि अधिकतर लोग जो तिथि को मानते हैं, वह रविवार को पूजा-अर्चना कर रहे है. मिथिला पंचांग के अनुसार सोमवार को विश्वकर्मा पूजा मनायी जायेगी, क्योंकि संक्रांति का पुण्यकाल 18 को मान्य होने के कारण इसी दिन विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की जायेगी. इसी दिन मिथिला का लोकपर्व चौठ चंद्र भी मनाया जायेगा. उधर भगवान विश्वकर्मा की पूजा को लेकर सभी तैयारी पूरी कर ली गयी है. मंदिरों व पूजा पंडालों को सजा संवार दिया गया है.

प्रशांत की देखरेख में हो रहा फोर लेन ब्रिज का निर्माण

कांटाटोली चौक को जाममुक्त करने के लिए राज्य सरकार द्वारा 198 करोड़ की लागत से फ्लाइओवर का निर्माण कराया जा रहा है. यह फ्लाइओवर 2240 मीटर लंबा होगा. अप्रैल 2024 तक इसके निर्माण कार्य को पूरा कर लिया जायेगा. इस प्रोजेक्ट को जहां डीआरए कंपनी द्वारा धरातल पर उतारा जा रहा है. वहीं इसकी मॉनिटरिंग का सारा कार्य प्रोजेक्ट हेड प्रशांत कुमार द्वारा किया जा रहा है. फ्लाइओवर निर्माण के संबंध में प्रशांत बताते हैं कि यह सेगमेंटल ब्रिज है. इसमें एक-एक सेगमेंट को जोड़कर पूरे ब्रिज का निर्माण किया जायेगा. बड़े बड़े शहरों में जितने भी मेट्रो के लिए काम किया गया है, सभी सेगमेंटल ब्रिज पर ही बना हुआ है. फोर लेन होगा ब्रिज: यह सेंगमेंटल ब्रिज फोर लेन का होगा. इसमें छोटे व बड़े वाहन आराम से फर्राटा भरते हुए गुजरेंगे. तय समय पर काम पूरा हो, इसके लिए कंपनी के पदाधिकारी से लेकर मजदूर तक रात-दिन जुटे हुए हैं. कांटाटोली शहर का सबसे व्यस्ततम चौराहा है. ऐसे में जितनी जल्दी इसका कार्य पूरा होगा, शहर के लोगों को उतना ही इसका फायदा मिलेगा.

Also Read: Vishwakarma Puja 2023: टाटा मोटर्स में हुई भगवान विश्वकर्मा की पूजा, कर्मियों को आज मिलेगा अलग-अलग कूपन

जीवन पर संकट आया, तो खुद तैयार किया मैकेनिकल वेंटिलेटर का डिजाइन

कोरोना संकट ने जब झारखंड में छोटे उद्यमों को भी बुरी तरह प्रभावित करना शुरू किया, तो उस वक्त एक इंडस्ट्री ने चिकित्सा क्षेत्र के लिए जीवन रक्षक उपकरण तैयार करने की कोशिश की. टाटीसिलवे स्थित ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़ी कंपनी आजादी के पहले 1946 में स्थापित हुई. संस्थापक के तौर पर पूर्णानंद गर्ग ने 1950 के दशक में कोलकाता, टाटीसिलवे और बाद में बूटी मोड़ में ऑटोल्यूब्रिकेंट इंडस्ट्री स्थापित की. कोरोना संकट के दौर में वैक्सपॉल के एमडी प्रवीर गर्ग और निदेशक श्रेय गर्ग ने कंपनी के उत्पादन को आम लोगों के प्रति समर्पित कर दिया.

कंपनी ने तैयार किया मैकेनिकल वेंटिलेटर का डिजाइन

कोरोना संकटकाल में कई लोगों की मौत अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं मिलने से हो गयी थी. कंपनी के जीएम वर्क्स विश्वराम चौधरी, जो कंपनी से लगभग पांच दशकों से जुड़े थे, ने इसका जिम्मा लेते हुए खुद अपने कर्मचारियों से तकनीकी मदद लेते हुए मैकेनिकल वेंटिलेटर तैयार कर लिया. इस आर्टिफिशियल वेंटिलेटर को बिजली, बैट्री और सोलर से भी आसानी से चलाया जा सकता था. संकट के उस दौर में इजाद इस देशी चिकित्सा उपकरण के अंदर संक्रमित फेफड़ा में प्राणवायु-ऑक्सीजन पंप करने की क्षमता थी.

फिनाइल के ड्रग लाइसेंस से तैयार किया सेनेटाइजर

कंपनी ने कोरोना संकट टालने में अपनी सक्रिय भूमिका निभायी. शुरुआती दिनों में यह फिनाइल बनाती थी. जब कोरोना संकट के दौर में ऑटोल्यूब का कोर बिजनेस बंद हो गया, तो कंपनी ने पूरा ध्यान सेनेटाइजर बनाने पर लगा दिया. मानवीय आधार पर यह वक्त की डिमांड भी थी.

फ्लाइओवर निर्माण में दिखा रहे अपने कौशल का हुनर

राजधानी में बन रहे फ्लाइओवर में कई मिस्त्री अपना हुनर दिखा रहे हैं. ये ऐसे अनुभवी राजमिस्त्री हैं, जिन्होंने वर्षों पहले मजदूरी से काम शुरू किया था. छड़-सीमेंट ढोने से लेकर बालू उठाने तक का भी काम किया. अपनी मेहनत और हुनर के बल पर आगे बढ़ते गये. मजदूर से मिस्त्री बने, फिर राजमिस्त्री और अब राजमिस्त्री के कार्यों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. अपने अनुभव और हुनर से फ्लाइओवर के कार्यों को आगे बढ़ा रहे हैं. कहीं कोई त्रुटि न रह जाये, इस पर बारीक नजर रखते हैं. कार्यों के सुपरविजन के साथ ही खुद भी काम पर लग रहे हैं. उनकी बदौलत फ्लाइओवर का काम तेजी से बढ़ता जा रहा है. इन्हीं कुशल और अनुभवी हाथों से राजधानी रांची को तीन-तीन फ्लाई ओवर की सौगात मिलने जा रही है, जिसका निर्माण रातू रोड, कांटाटोली और सिरमटोली-मेकन चौक पर हो रहा है. निर्माण क्षेत्र के इन कुशल, मेहनती और अनुभवी लोगों ने अपनी भूमिका के बारे में बताया.

हीरालाल एलिवेटेड कॉरिडोर का कर रहे हैं निर्माण

हीरा लाल अपना घर-बार छोड़कर रांची में रातू रोड के एलिवेटेड कॉरिडोर में लगे हैं. वह मूल रूप से मोतिहारी के रहनेवाले हैं. उनका परिवार भी वहीं रहता है. वह 20 वर्षों से निर्माण कार्यों से जुड़े हुए हैं. इसके पहले भी उन्होंने फ्लाइओवर सहित अन्य बड़े निर्माण कार्यों में अपना योगदान दिया है. वह कहते हैं कि सबसे पहले उन्होंने लेबर से अपनी जिंदगी की शुरुआत की थी, फिर आगे बढ़ते गये. अभी सारे कार्यों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. कैसे लोहा बांधना है. कैसे ढलाई हो, इन सारे कार्यों को करा रहे हैं.

26 वर्षों से निर्माण में जुटे हैं बंधु महतो

बंधु महतो मूल रूप से बोकारो के हैं. वह 26 वर्षों से निर्माण कार्य से जुड़े हुए हैं. कई बड़े प्रोजेक्ट में काम करने का मौका मिला है. रांची में एलिवेटेड कॉरिडोर में काम करना अनूठा लग रहा है. अपने झारखंड के काम से संतुष्टि मिल रही है. वह कहते हैं कि काफी समय तक राजमिस्त्री का काम किया. अब उन्हें बता रहे हैं कि किस तरह काम करना है. काम पर नजर रखते हैं. कहीं भी काम में किसी तरह की परेशानी न हो, यह सुनिश्चित करना है.

फ्लाइओवर बनानेवाली टीम में हैं धनंजय, काम में मिलता है सुकून

धनंजय शर्मा सिरमटोली-मेकन चौक फ्लाइओवर का काम कर रहे हैं. वह एल एंड टी कंपनी में कार्यरत हैं. वर्ष 2008 से लगातार इसका काम कर रहे हैं. फिलहाल यहां फ्लाइओवर में काम करना उन्हें सुकून दे रहा है. वह कहते हैं कि दूसरे राज्यों में काम करना और अपने झारखंड में काम करना थोड़ा अलग लगता है. वह गढ़वा जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि कोलकाता-हुगली आरओबी में भी उन्होंने काम किया है. शुरू में उन्होंने निर्माण सामग्री भी ढोयी है. मिस्त्री का काम करते आगे बढ़ते रहे. अभी फ्लाइओवर में निर्माण से संबंधित सारे कार्य में लगे हुए हैं.

Exit mobile version