रिम्स के शिशु सर्जरी विभाग में वार्मर और सीआर्म मशीन खराब, आइसीयू में प्रशिक्षित नर्स नहीं
विभाग के ओपीडी में प्रतिदिन 50 से 60 मरीजों को दिया जाता है परामर्श. हर माह 150 से ज्यादा मेजर और माइनर सर्जरी होती है.
राजीव पांडेय,रांची. रिम्स के शिशु सर्जरी विभाग में बच्चों के इलाज की सामान्य उपकरण वार्मर खराब है. विभाग में 15 साल पुरानी छह वार्मर मशीन तो है, लेकिन सभी खराब है. इनका एलुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रेक्ट व कॉम्प्रिहेंसिव मेंटेनेंस कॉन्ट्रेक्ट (एएमसी/सीएमसी) खत्म हो गया है. इसके अलावा सीआर्म मशीन भी खराब है और इसका भी एएमसी और सीएमसी नहीं है. वहीं, ऑपरेशन थियेटर में दो ओटी टेबल भी कम है. इन असुविधाओं से बच्चों के इलाज में डॉक्टरों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. हालांकि विभाग द्वारा प्रबंधन को लगातार जरूरी मशीनों को उपलब्ध कराने से संबंधित प्रस्ताव भेजा जा चुका है.
इधर, विभाग में पांच सीनियर डॉक्टर हैं, जिसमें प्रोफेसर डॉ हिरेंद्र बिरुआ अधीक्षक का कार्यभार संभाल रहे हैं. वहीं, डॉ अभिषेक रंजन को फिलहाल प्रभारी विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गयी है. एमसीएच की पढ़ाई दो साल पहले शुरू हुई है, इसलिए अभी छह एकेडमिक सीनियर रेजीडेंट कार्यरत हैं. वहीं, एक सीनियर रेजीडेंट सेवा दे रहे हैं.10 बेड का आइसीयू, अपग्रेड करने की है जरूरत
शिशु सर्जरी विभाग में 10 बेड का आइसीयू है, लेकिन सात से आठ साल पुरानी सुविधाओं वाली है. सूत्रों ने बताया कि आइसीयू में मशीन और सुविधाओं को बेहतर करने की जरूरत है. इसके अलावा बच्चों की सर्जरी के बाद देखभाल करने के लिए प्रशिक्षित नर्स नहीं है. इससे इलाज की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है. वहीं, कई जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता विभाग में नहीं रहता है, जिससे अक्सर परिजनों से निजी दुकानों से दवा मंगानी पड़ती है.
मरीजों का लोड ज्यादा
शिशु सर्जरी विभाग में निजी अस्पतालों की तुलना में ज्यादा सर्जरी होती है. कई ऐसी सर्जरी होती है जो निजी अस्पतालों में नहीं होते है. विभाग में बच्चों के पित्त की सर्जरी, पेशाब की थैली के बाहर आने की सर्जरी, जन्मजात विकारों जैसे पेशाब या पैखाने का रास्ता का नहीं होना आदि सर्जरी की जाती है. इंडोस्कोपी से भी बच्चों की सर्जरी की जाती है. ऐसे में आइसीयू सहित ओटी को अपग्रेड करने की जरूरत है.ओपीडी में प्रतिदिन 60 और महीने में 150 सर्जरी
शिशु विभाग में पांच दिन ओपीडी के माध्यम से बच्चों को परामर्श दिया जाता है. प्रतिदिन 50 से 60 बच्चों काे परामर्श मिलता है. इसके अलावा महीने में 150 से ज्यादा सर्जरी की जाती है, जिसमें मेजर और माइनर सर्जरी शामिल है. सर्जरी कराने के लिए पड़ोसी राज्य से भी मरीज आते हैं.
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