जल संरक्षण को बढ़ावा दे रहा झारखंड के अंशु का ये स्टार्टअप, जानें कैसे है ये बड़े काम की चीज
शेखर का स्टार्टअप जल संरक्षण के लिए ऐसे किफायती उपकरण तैयार कर रहा है, जो मोटर से पानी की टंकी फुल होने की जानकारी मोबाइल पर देता है.
रांची, अभिषेक रॉय :
शहरीकरण के कारण भूजल का दोहन बढ़ा है. इस कारण भू-जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है. ऐसे में जल संरक्षण वक्त की मांग है. इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान राजधानी के कांके रोड निवासी अंशु शेखर ने अपने कॉलेज के हॉस्टल में पानी की बर्बादी देखी. वे जल संरक्षण के लिए कुछ करने की सोच रहे थे, तभी उन्हें अपने स्टार्टअप ‘शेखर टेलीसिस्टम्स’ का आइडिया मिला.
शेखर का स्टार्टअप जल संरक्षण के लिए ऐसे किफायती उपकरण तैयार कर रहा है, जो मोटर से पानी की टंकी फुल होने की जानकारी मोबाइल पर देता है. यह स्वचालित उपकरण टंकी के भर जाने पर मोटर को बंद और पानी कम होने मोटर को चालू भी कर देता है. इस आइडिया को अंशु और उनके मित्र सह पार्टनर दीपक कुमार ने झारखंड स्टार्टअप 2019 में साझा किया.
अंशु ने कंपनी को स्थापित करने के लिए पिता रामा शंकर सिंह (बिहार पुलिस के सेवानिवृत्त एसआइ) से 1.5 लाख रुपये की सहयोग राशि ली थी. इस राशि का इस्तेमाल रिसर्च एंड डेवलपमेंट में इस्तेमाल किया. आज यह कंपनी 1.5 करोड़ रुपये का सालाना का टर्नओवर दे रही है.
स्टार्टअप का प्रोटोटाइप :
अंशु ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान कॉलेज हॉस्टल में थे. अक्सर पानी की टंकी को ओवरफ्लो होता देख उन्होंने चिंता होती थी. फाइनल इयर प्रोजेक्ट में ‘वाटर कंजर्वेशन थ्रू ऑटोमेटिक पंप कंट्रोल’ का प्रोटोटाइप तैयार किया. पंप कंट्रोलर जो कि पूर्ण रूप से एक हार्डवेयर है, को सॉफ्टवेयर से जोड़ा.
इसके तहत एक ऐप के जरिये पंप को ऑपरेट किया जा रहा है. वहीं, पंप के सेंटर स्वत: जल संरक्षण के लिए डिजाइन किये गये हैं. इसके अलावा बोरिंग में इस्तेमाल होनेवाले समरसेबल को भी ऑटोमेशन से जोड़ चुके हैं. नयी डिजाइन के पंप कंट्रोलर को इंटरनेट ऑफ थिंक (आइओटी) से जाेड़ा गया है. अब मांग के अनुरूप बिजनेस-टू-बिजनेस (बी-टू-बी) और बिजनेस-टू-कस्टमर (बी-टू-सी) मॉडल पर उपलब्ध कराया जा रहा है.
एनआइटी पटना व सीयूजे से मिल इंक्यूबेशन :
शेखर टेलीसिस्टम्स को एनआइटी पटना व सेंट्रल यूनिवर्सिटी से 2019 में इंक्यूबेशन मिला. झारखंड सरकार ने आइडिया की सराहना की, लेकिन उपयुक्त सहयोग उपलब्ध नहीं कराया. जबकि, स्टार्टअप को बिहार में सराहना मिली और 10 लाख रुपये बतौर फंड उपलब्ध कराया. इस रकम को कंपनी के प्रमोशन न रिसर्च में खर्च किया. इससे कंपनी अब झारखंड, बिहार और ओड़िशा में बेहतर काम कर रही है. जल्द ही कंपनी इस्टर्न रेलवे से जुड़कर काम करेगी, इस पर चर्चा चल रही है.