गुजर गया साल लेकिन झारखंड में अब भी 53% आबादी पानी के लिए चापाकल, कुआं व नदी पर निर्भर

इधर झारखंड में प्राकृतिक रूप से पेयजल की उपलब्धता सतही स्रोत के रूप में ज्यादा नहीं है. राज्य में मात्र छह से सात नदियों में ही 12 माह पानी उपलब्ध रहता है. शेष नदियां बरसाती हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 31, 2023 6:27 AM

रांची: झारखंड गठन के 23 वर्ष बाद भी लोगों की प्यास बुझाने में पूरी तरह सफलता नहीं मिल पायी है. राष्ट्रीय स्तर पर प्यास बुझाने में सफलता नहीं मिली है. राष्ट्रीय स्तर पर शहरी क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति 135 लीटर व ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति 40 लीटर पानी की आवश्यकता का आकलन किया गया है. राज्य बनने के बाद सभी घरों में शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए हजारों योजनाएं शुरू की गयीं, लेकिन अब तक लगभग 47 प्रतिशत घरों तक ही शुद्ध पेयजल पहुंचाने में सफलता मिल पायी है. अब भी झारखंड की 53 प्रतिशत आबादी पानी के लिए चापाकल, कुआं, नदी-नालों व अन्य प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर है. राज्य सरकार 61.86 लाख घरों में से 29 लाख घरों तक पाइपलाइन से पानी पहुंचा पायी है.

झारखंड की नदियों में कम रहता है पानी

इधर झारखंड में प्राकृतिक रूप से पेयजल की उपलब्धता सतही स्रोत के रूप में ज्यादा नहीं है. राज्य में मात्र छह से सात नदियों में ही 12 माह पानी उपलब्ध रहता है. शेष नदियां बरसाती हैं. भूगर्भीय संरचना पथरीली होने के कारण इसमें पानी की उपलब्धता मैदानी क्षेत्रों के मुकाबले काफी कम होती है. ऐसे में राज्य में उपलब्ध संसाधनों से बचे हुए 32 लाख घरों तक नल से जल पहुंचाने का काम चुनौतीपूर्ण है.

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32 लाख घरों तक जल पहुंचाना चुनौतीपूर्ण

जल शक्ति मंत्रालय की ओर से जारी जल जीवन मिशन (हर घर जल) के अनुसार, वर्ष 2024 तक राज्य के सभी घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाना है. राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में नौ माह में 9.91 लाख घरों तक नल से जल पहुंचाया है. बचे हुए तीन माह के अंदर 32 लाख घरों तक जल पहुंचाना चुनौतीपूर्ण काम है. ऐसे में राज्य सरकार की ओर से केंद्र को पत्र लिख कर झारखंड में जल जीवन मिशन की अवधि को विस्तार देने का आग्रह किया गया है. कहा है कि भौगोलिक परिस्थिति के कारण योजना के पूर्व क्रियान्वयन मार्च 2024 तक संभव प्रतीत नहीं होता है. नल से जल पहुंचाने के मामले में झारखंड की प्रगति राष्ट्रीय स्तर से लगभग 24. 82 प्रतिशत पीछे है. राष्ट्रीय औसत 72.15 प्रतिशत के मुकाबले झारखंड की प्रगति मात्र 47.32 प्रतिशत है. लेकिन राज्य में सिमडेगा जिला की प्रगति सबसे बेहतर है. यहां पर 73 प्रतिशत घरों में नल से जल पहुंचाया जा चुका है. वहीं पाकुड़ की स्थिति सबसे खराब है, यहां पर सिर्फ 11.50 प्रतिशत घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाया गया है.

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