फरवरी में ही रांची के कुछ हिस्सों में पानी की किल्लत शुरू हो गयी है. कई जगह कुएं सूख गये हैं और बोरिंग जवाब देने लगे हैं. इसके बावजूद राजधानीवासी जलसंरक्षण को लेकर जागरूकता नहीं हैं. राजधानी में ‘रेन वाटर हार्वेस्टिंग’ के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं. रांची नगर निगम से मिले आंकड़ों के अनुसार, शहर में 2,36,000 छोटे-बड़े भवन हैं.
लेकिन, इनमें से महज 11 फीसदी (20,036) भवनों में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गयी है. जबकि, वर्ष 2016 में ही भीषण जलसंकट होने के बाद राज्य सरकार ने राजधानी के बड़े भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का आदेश दिया था. शहर के कई हिस्से ‘ड्राई जोन’ के रूप में चिह्नित हैं, जहां लोग हर साल जलसंकट से जूझते हैं.
इन इलाकों में रांची नगर निगम अपने 40 टैंकरों को भेज कर पानी बंटवाता है. इसके अलावा जलसंकट वाले मोहल्ले में नगर निगम हर साल 350 मिनी एचवाइडीटी लगाता है. हर साल पानी की परेशानी झेलने के बावजूद जल संरक्षण के प्रति राजधानीवासियों की अनदेखी चिंता का विषय है. राजधानी में हर साल औसतन 4000 नये घर बन रहे हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाया जाता है. जाहिर है कि आनेवाले समय में राजधानी का बड़ा हिस्सा पानी की किल्लत से जूझ रहा होगा.
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जल संरक्षण का आधुनिक तरीका है. इससे वर्षा जल का संचयन किया जाता है. घरों में इसे लगाने से भूमिगत जल रिचार्ज होता रहता है. जलस्तर बरकरार रहता है और जल संकट से निजात मिल सकती है.
स्वर्ण जयंती नगर रातू रोड, मधुकम, लोअर चुटिया, आनंद नगर, गंगानगर, विद्यानगर, यमुनानगर, हरमू हाउसिंग कॉलोनी, हरमू बस्ती, हिंदपीढ़ी, नाला रोड, पथलकुदवा, थड़पखना, एदलहातू व चिरौंदी. इन इलाकों जलस्तर काफी नीचे चला गया है.