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झारखंड के इन नक्सल प्रभावित इलाकों में होने लगी पेय जलापूर्ति, दो लाख की आबादी को मिलने लगा शुद्ध पेयजल

योजना के तहत पूर्वी सिंहभूम, दुमका, गढ़वा, खूंटी, पलामू और सरायकेला के सुदूर गांवों में घरों तक लोगों को शुद्ध पेयजल पहुंचाया जाना है. अब तक इनमें से लगभग 1100 योजनाओं को पूरा कर लिया गया है. करीब दो लाख की आबादी को योजना के तहत शुद्ध पेयजल प्राप्त हो रहा है. पंचायतों की स्वच्छता समितियों से यह काम कराया जा रहा है.

Water Supply Scheme In Jharkhand रांची : राज्य के नक्सल प्रभावित इलाके के दो हजार गांवों में सौर ऊर्जा (सोलर एनर्जी) का इस्तेमाल कर जलापूर्ति शुरू की जा रही है. सुदूर क्षेत्र होने की वजह से गांवों में पाइपलाइन से जलापूर्ति संभव नहीं है. वर्ष 2018 में नक्सल प्रभावित जिलों में नल का पानी पहुंचाने के लिए सौर आधारित 2000 लघु जलापूर्ति योजनाओं को स्वीकृति दी गयी थी, जिसमें 1844 लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं भी शामिल हैं.

योजना के तहत पूर्वी सिंहभूम, दुमका, गढ़वा, खूंटी, पलामू और सरायकेला के सुदूर गांवों में घरों तक लोगों को शुद्ध पेयजल पहुंचाया जाना है. अब तक इनमें से लगभग 1100 योजनाओं को पूरा कर लिया गया है. करीब दो लाख की आबादी को योजना के तहत शुद्ध पेयजल प्राप्त हो रहा है. पंचायतों की स्वच्छता समितियों से यह काम कराया जा रहा है.

170 करोड़ की है योजना :

सौर ऊर्जा के जरिये गांवों के घरों तक पानी पहुंचाने की पूरी योजना 170 करोड़ रुपये की है. इसमें 100 करोड़ रुपये भारत सरकार सहायता के रूप में उपलब्ध करा रही है. दरअसल, भारत सरकार की योजना में केवल बोरिंग कराने और पानी की टंकी बनाने के लिए राशि जारी की गयी थी. केंद्र ने 2000 गांवों में इतनी ही टंकी बनाने के लिए प्रति टंकी 5.5 लाख रुपये की योजना की स्वीकृति प्रदान की थी.

राज्य सरकार ने योजना का विस्तार करते हुए टंकी से पाइप लाइन के जरिये गांव के प्रत्येक घरों में पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा. इसके लिए प्रति गांव तीन लाख रुपये का अतिरिक्त इंतजाम किया गया. योजना की लागत 100 करोड़ रुपये से बढ़ कर 170 करोड़ हो गयी. योजना के क्रियान्वयन के लिए अतिरिक्त 70 करोड़ रुपये का खर्च राज्य सरकार वहन कर रही है.

पाइप लाइन बिछाने का जिम्मा पंचायत को :

भारत सरकार के सहयोग से पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से राज्य के दो हजार गांवों में पानी टंकी का निर्माण कराया जा रहा है. टंकी में पानी भरने के लिए बोरिंग करायी जा रही है. बोरिंग का पानी टंकी तक चढ़ाने के लिए बिजली के विकल्प के रूप में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जा रहा है.

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