आदिवासियों का धर्म परिवर्तन रोकने के लिए क्या कार्रवाई हो रही है : हाइकोर्ट
झारखंड हाइकोर्ट ने जबरन और प्रलोभन देकर राज्य में आदिवासियों के हो रहे धर्म परिवर्तन को रोकने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने केंद्र व राज्य सरकार से पूछा कि झारखंड में आदिवासियों के धर्म परिवर्तन को रोकने को लेकर क्या कार्रवाई की जा रही है.
झारखंड हाइकोर्ट ने जबरन और प्रलोभन देकर राज्य में आदिवासियों के हो रहे धर्म परिवर्तन को रोकने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी का पक्ष सुना. इसके बाद खंडपीठ ने केंद्र व राज्य सरकार से पूछा कि झारखंड में आदिवासियों के धर्म परिवर्तन को रोकने को लेकर क्या कार्रवाई की जा रही है. खंडपीठ ने केंद्र व राज्य सरकार को इस मामले में शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दायर करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 12 जून को होगी. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता रोहित रंजन सिन्हा ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि राज्य में बिना डर-भय के आदिवासी परिवारों का धर्मांतरण कराया जा रहा है. यह धर्म परिवर्तन जबरन तथा तरह-तरह का प्रलोभन देकर कराया जा रहा है. आदिवासियों का धर्मांतरण क्यों हो रहा है, इसकी जांच के लिए सरकार को समिति का गठन करना चाहिए. अधिवक्ता श्री सिन्हा ने यह भी बताया कि झारखंड में सभाओं के माध्यम से आदिवासियों को लालच देकर दूसरे धर्म में शामिल किया जा रहा है. इस पर पूरी तरह से रोक लगाने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट में भी धर्मांतरण से संबंधित मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है. सुप्रीम कोर्ट भी इस विषय को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सहित राज्य सरकारों से जवाब मांगा है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सोमा उरांव ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने याचिका में कहा है कि झारखंड में जबरन व प्रलोभन देकर आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. आदिवासी परिवारों के धर्म परिवर्तन पर पूर्ण रोक लगाने तथा मामले की जांच कराने की मांग की गयी है.