रंगदारी में हिस्सा देना बंद किया, तो सलमान को घर से निकाल पुलिस ने मार दी थी गोली

तरा जिले के पिपरवार थाने में पदस्थापित पुलिसकर्मियों ने रंगदारी में हिस्सा देना बंद करने के बाद बहेरा गांव के सलमान की गोली मार कर हत्या की थी. सीबीआइ ने मामले की जांच के बाद कोर्ट में पेश अपनी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 8, 2020 3:48 AM

शकील अख्तर, रांची : चतरा जिले के पिपरवार थाने में पदस्थापित पुलिसकर्मियों ने रंगदारी में हिस्सा देना बंद करने के बाद बहेरा गांव के सलमान की गोली मार कर हत्या की थी. सीबीआइ ने मामले की जांच के बाद कोर्ट में पेश अपनी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है. राज्य में पहली बार किसी केंद्रीय जांच एजेंसी ने पुलिस द्वारा की गयी हत्या का कारण रंगदारी में हिस्सा नहीं देना बताया है.

इस मामले में मृतक के पिता की शिकायत पर घटना के दूसरे दिन पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था. लेकिन पुलिस और सीआइडी ने इसे गैर-इरादतन हत्या का मामला करार दिया था. हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति आनंद सेन ने पुलिस और सीआइडी की जांच को ‘घटिया जांच’की संज्ञा देते हुए स्वत: ही सीबीआइ को जांच का आदेश दिया था.

गलत रिपोर्ट दर्ज कर दिया घटना को अंजाम : दिल्ली सीबीआइ (स्पेशल क्राइम ब्रांच) की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि पिपरवार थाना के पुलिसकर्मियों ने 23 जून 2017 की रात सलमान को घर से निकाल कर गोली मार कर हत्या कर दी थी. वह पिपरवार कोलियरी से कोयले की ढुलाई करनेवाले ट्रकों के चालकों से जबरन पैसा वसूलता था. वह रंगदारी के रूप में वसूली गयी राशि का एक हिस्सा पिपरवार थाने को दिया करता था.

बाद में उसने थाना को हिस्सा देना बंद कर दिया. यह बात तत्कालीन थाना प्रभारी विनोद कुमार सिंह को नागवार गुजरी. इसके बाद पुलिस ने सलमान उर्फ राजा को रास्ते से हटाने की योजना बनायी. इसके लिए सलमान के नाम पर स्टेशन डायरी में ट्रक (नंबर 1226) लूट और एक दूसरे ट्रक के खलासी को गोली मार कर घायल करने की गलत सूचनाएं दर्ज कीं, जबकि उस नंबर का ट्रक उस इलाके में गया ही नहीं था.

फोरेंसिक जांच में इसकी पुष्टि हुई कि ट्रक लूट के मामले में सनहा दर्ज करने की शिकायत खुद थाने के मुंशी सुखदेव प्रसाद यादव ने लिखी थी. वह अब प्रोन्नत होकर एएसआइ हो गये हैं. इस शिकायती पत्र पर शाहिद नामक व्यक्ति के अंगूठे का निशान लिया गया था.

पिपरवार का सलमान हत्याकांड : 23 जून, 2017

सलमान कोयले की ढुलाई करनेवाले ट्रकों के चालकों से पैसा वसूलता था. इसमें एक हिस्सा वह पुलिसकर्मियों को देता था

कुछ दिनों बाद उसने थाना को हिस्सा देना बंद कर दिया, यह बात तत्कालीन थाना प्रभारी विनोद कुमार सिंह को नागवार गुजरी

23 जून 2017 की रात पिपरवार थाना के पुलिसकर्मियों ने बहेरा गांव के सलमान को घर से निकाल कर मार दी थी गोली

सीबीआइ की जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा

पुलिस ने जांच के बाद हत्या के इस मामले को गैर इरादतन हत्या करार दिया, वहीं, दुर्घटनावश गोली चलने की बात आरोप पत्र में दायर किया.

पुलिस और सीआइडी की जांच पर हाइकोर्ट ने उठाया था सवाल, 21अगस्त 2018 को सीबीआइ को मिला था जांच का आदेश

राज्य में पहली बार किसी केंद्रीय जांच एजेंसी ने पुलिस द्वारा की गयी हत्या का कारण रंगदारी में हिस्सा नहीं देना बताया है

पुलिस ने केस में जबरन डाला सलमान का नाम

कोल लिफ्टर सुजीत कुमार ने 23 जून की रात में सीआइएसएफ द्वारा दी गयी सूचना पर थाना को यह जानकारी दी थी कि कोल डंप के पास गोली चली है. इसमें खलासी घायल हुआ है. सुजीत ने थाने के दी गयी सूचना में सलमान का नाम नहीं लिया था. लेकिन थाने में यह सूचना दर्ज की गयी कि कोल लिफ्टर सुजीत ने यह सूचना दी है कि सलमान ने गोली मार कर ट्रक के खलासी को घायल कर दिया है.

इस सूचना के बाद पुलिस दल जांच और कार्रवाई के नाम पर घटनास्थल पर जाने के बदले बिना नंबर प्लेट की सफेद स्कॉर्पियो से सलमान के घर पहुंचा. हालांकि स्टेशन डायरी में सरकारी गाड़ी से जाने की बात लिखी. सलमान के घर में घुस कर उसे पीटा और कहते रहे कि ‘साले को गोली मार दो.’

इसके बाद उसे घर से निकाल कर भुइंया टोली की तरफ ले गये और गोली मार दी. इस घटना को अंजाम देने के बाद ‘चलिये सर काम हो गया’ कहते हुए पुलिसकर्मी वहां से भाग गये. इस पूरी घटना के दौरान थाना प्रभारी गाड़ी में ही बैठे रहे. गोली की आवाज सुनने के बाद सलमान के घरवाले भुइंयाटोली की तरफ दौड़े. खून से लथपथ सलमान को पड़ोसियों की मदद से अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. अस्पताल की ओर से सलमान की गोली से मौत की सूचना पिपरवार थाने को दी गयी. लेकिन पुलिस वहां नहीं गयी.

सिपाही को जमानत के बदले सीबीआइ जांच का हुआ आदेश

मृतक के पिता के बयान पर सलमान की हत्या के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज की गयी. इसमें थाना प्रभारी विनोद कुमार सिंह, एएसआइ प्रेम कुमार मिश्रा, सशस्त्र बल के जवान रवि राम व अन्य पांच पुलिसकर्मियों को नामजद अभियुक्त बनाया गया. हालांकि पुलिस ने जांच के बाद हत्या के इस मामले को गैर इरादतन हत्या का करार दिया. साथ ही दुर्घटनावश गोली चलने की बात कहते हुए सिर्फ सिपाही रविराम के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया.

क्योंकि गोली रवि राम की इंसास राइफल से चली थी. निचली अदालत से नियमित जमानत याचिका खारिज होने के बाद रवि राम ने हाइकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की. सुनवाई के दौरान हत्या की इस घटना को दुर्घटना के रूप में पेश करते हुए गैर-इरादतन हत्या का मामला बताया गया.साथ ही यह भी कहा गया कि सलमान को पकड़ने की कोशिश में दुर्घटनावश गोली चल गयी थी. राज्य के तत्कालीन महाधिवक्ता ने इस मामले में सीआइडी द्वारा भी जांच करने की सूचना दी.

हाइकोर्ट के आदेश पर सीआइडी ने भी कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की. इसमें भी गलती से गोली चलने से हुई मौत का मामला बताया. न्यायमूर्ति आनंद सेन ने घटनास्थल से पुलिस के भाग जाने को गंभीरता से लिया. अदालत ने कहा कि पुलिस का घटनास्थल से भाग जाना न केवल संदेहास्पद है, बल्कि यह किसी अभियुक्त द्वारा किया जानेवाला सामान्य व्यवहार है. न्यायमूर्ति ने पुलिस और सीआइडी की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद उसे ‘ घटिया जांच’ की संज्ञा दी. साथ ही अभियुक्त को जमानत देने के बदले 21अगस्त 2018 में घटना की सीबीआइ जांच का आदेश दे दिया. इस आदेश के आलोक में सीबीआइ दिल्ली की विशेष अपराध शाखा ने मामले की जांच की.

पुलिसकर्मियों के खिलाफ पिता ने दर्ज करायी थी प्राथमिकी

24 जून की सुबह सलमान के परिजनों और ग्रामीणों ने शव के साथ सड़क जाम कर दी. इसके बाद पुलिस वहां पहुंची. मृतक के पिता के बयान पर पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई. सीबीआइ जांच में पाया गया कि घटना को अंजाम देने के लिए थाना प्रभारी जिस सफेद स्कॉर्पियो (जेएच-02-5854 रजिस्ट्रेशन नंबर) से गये थे, वह उनकी बेनामी संपत्ति थी. इसे 10 फरवरी 2017 को रंजीत कुमार गुप्ता के नाम पर खरीदा गया था.

आरोपी पुलिसकर्मी

विनोद कुमार सिंह (तत्कालीन थाना प्रभारी), प्रेम कुमार मिश्रा (एएसआइ), सुखदेव प्रसाद यादव (मुंशी,अब एएसआइ में प्रोन्नत), अशोक (हेड कांस्टेबल), जीतन सोरेन (सिपाही), रवि राम (सिपाही), सुबोध कुमार मेहता (सिपाही), जयराम प्रसाद (सिपाही), संतोष कुमार (सिपाही).

Next Article

Exit mobile version