वरीय संवाददाता, रांची़ झारखंड हाइकोर्ट ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की रांची में स्थायी पीठ की स्थापना को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान प्रार्थी, राज्य सरकार व महाधिवक्ता की दलील सुनने के बाद केंद्र सरकार को दो सप्ताह के अंदर शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने केंद्र सरकार से पूछा कि झारखंड राज्य में कैट की स्थायी पीठ की स्थापना कब तक हो जायेगी. साथ ही झारखंड में कैट के अलावा आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण, राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण व राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की पीठ की स्थापना करने से संबंधित जानकारी देने को कहा. खंडपीठ ने कहा कि चूंकि राज्य सरकार ने कैट के निर्माण के लिए पहले ही भूमि उपलब्ध करा दी है, लेकिन सशस्त्र बल न्यायाधिकरण की स्थापना के लिए अभी भी भूमि के लिए प्रस्ताव दिया जाना है. इस संबंध में राज्य सरकार की प्रतिक्रिया भी अपेक्षित है. इस बाबत खंडपीठ ने राज्य सरकार को भी जवाब दायर करने का निर्देश दिया. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 अगस्त की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन व अधिवक्ता चैताली चटर्जी ने कहा कि झारखंड राज्य में भी आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आइटीएटी), राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) व राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के पास कोई स्थायी न्यायालय/न्यायाधिकरण नहीं है. यहां तक कि सर्किट बेंच भी नहीं है. इनसे संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए लोगों को कोलकाता जाना पड़ता है. इनकी भी स्थापना हो, तो बेहतर होगा, लोगों को कोलकाता जाना नहीं पड़ेगा. यह भी कहा गया कि कैट के निर्माण के लिए पहले से ही भूमि उपलब्ध है. अन्य न्यायाधिकरण की आवश्यकता के आधार पर अतिरिक्त भूमि भी प्रदान की जा सकती है, ताकि सभी न्यायाधिकरण एक ही परिसर में हों. प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता एमएम पाल, केंद्र सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार व कैट की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी प्रदीप कुमार ने जनहित याचिका दायर की है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है