रांची : हाइकोर्ट के जस्टिस एचसी मिश्र की अदालत ने शनिवार को प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति को लेकर दायर अवमानना मामले की सुनवाई की. अदालत ने प्रतिवादियों द्वारा एक-दूसरे पर विलंब का आरोप लगाने को देखते हुए नाराजगी जतायी. इसके साथ ही झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) और विनोबाभावे विश्वविद्यालय (विभावि) हजारीबाग को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया.
जेपीएससी से कहा गया कि आपको कब पत्र मिला व विश्वविद्यालय से कहा कि आपने पत्र कब आयोग को भेजा इसे शपथ पत्र के माध्यम से बतायें. अदालत ने यह भी कहा कि जिसका तथ्य गलत पाया जायेगा, वह दंडित होगा. अगली सुनवाई 16 अक्तूबर को होगी. इससे पूर्व विश्वविद्यालय की अोर से अधिवक्ता डॉ अशोक कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि छह मार्च 2020 को अनुशंसा पत्र जेपीएससी को भेजा गया था.
प्रोन्नति देने में विलंब के लिए विश्वविद्यालय जिम्मेवार नहीं है. वहीं, जेपीएससी की अोर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा भेजा गया पत्र उन्हें 28 सितंबर 2020 को मिला है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अनिल कुमार वार्ष्णेय ने अवमानना याचिका दायर की है. उन्होंने एकल पीठ के आदेश का अनुपालन कराने की मांग की है.
दूसरी ओर हाइकोर्ट के जज डॉ एसएन पाठक की अदालत ने प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय के शिक्षक-कर्मचारियों की सेवा नियमितीकरण को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. सरकार का पक्ष सुनने के बाद सेवा नियमितीकरण संबंधी आदेश का अनुपालन करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया. कहा कि सरकार आदेश का अनुपालन कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करे. सरकार की ओर से बताया गया कि हाइकोर्ट के आदेश के अनुपालन की दिशा में कार्य प्रारंभ कर दिया गया है. कोरोना को लेकर अनुपालन में कुछ विलंब हो गया है. उल्लेखनीय है कि एकल पीठ ने प्रोजेक्ट बालिका विद्यालय के शिक्षाकर्मियों की सेवा मान्यता व बकाया वेतन भुगतान करने का आदेश दिया था.
posted by : sameer oraon