किसके आदेश से मिला बॉडीगार्ड, होगी जांच
अमित अग्रवाल उर्फ सोनू अग्रवाल और अरुण कुमार गुप्ता को बॉडीगार्ड कैसे और किसके आदेश से मिला, सीआइडी मुख्यालय इसकी जानकारी जूटा रहा है. इसके लिए सभी जिलों के एसपी को पत्र लिखा गया है.
रांची : अमित अग्रवाल उर्फ सोनू अग्रवाल और अरुण कुमार गुप्ता को बॉडीगार्ड कैसे और किसके आदेश से मिला, सीआइडी मुख्यालय इसकी जानकारी जूटा रहा है. इसके लिए सभी जिलों के एसपी को पत्र लिखा गया है. पत्र में इसका उल्लेख है कि मामले से संबंधित एक शिकायत वर्ष 2018 में डीजीपी कार्यालय को मिली थी.
इसके बाद पुलिस मुख्यालय की ओर से मामले में 12 अक्तूबर 2018 को जानकारी मांगी गयी थी. यह आवेदन सीआइडी मुख्यालय को छह जून 2020 को प्राप्त हुआ. गंभीर बात यह है कि सीआइडी मुख्यालय से पुलिस मुख्यालय की दूरी सात से आठ किमी है, पर सीआइडी मुख्यालय में आवेदन पहुंचने में 19 माह से ज्यादा लग गये.
सवाल यह है कि क्या मुख्यालय के आदेश के बाद आवेदन को दबा दिया गया था या इसके पीछे कोई दूसरी वजह है? पत्र में लिखा गया है कि मामले में सोनू अग्रवाल व अरुण गुप्ता को सुरक्षा के लिए पूर्व में अगर अंगरक्षक उपलब्ध कराया गया है, तो इससे संबंधित विवरण उपलब्ध करायें. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, रांची जिला बल से दो आरक्षी 24 दिसंबर 2012 को उपलब्ध कराये गये थे. बॉडीगार्ड उपलब्ध कराने के एवज में उसके पास 12 जुलाई 2019 तक 23,23,024 रुपये बकाया भी था, पर बाद में रांची पुलिस ने सोनू अग्रवाल का बॉडीगार्ड क्लोज कर लिया था.
सोनू अग्रवाल और अरुण गुप्ता को नियम विरुद्ध बॉडीगार्ड देने की हुई थी शिकायत
पुलिस मुख्यालय से सीआइडी मुख्यालय शिकायत पहुंचने में लग गये 19 माह
एसपी से इन बिंदुओं पर मांगी गयी है जानकारी
जिस व्यक्ति के साथ अंगरक्षक प्रतिनियुक्ति किया गया, उसका नाम, व्यवसाय और पता?
उपलब्ध कराये गये अंगरक्षक का नाम और अंगरक्षक की प्रतिनियुक्ति अवधि
किसके आदेश से अंगरक्षक उपलब्ध कराया गया. इसके आदेश की संख्या?
अंगरक्षक को कौन सा हथियार उपलब्ध कराया गया था?
प्रतिनियुक्ति के दौरान बॉडीगार्ड को कभी राज्य के बाहर जाने की अनुमति दी गयी थी या नहीं?
Posted by : Pritish Sahay