सहायक पुलिसकर्मियों पर क्यों बरसीं पुलिस की लाठियां? झारखंड में क्या चल रहा ये नया विरोध, पढ़ें विशेष रिपोर्ट
झारखंड में शुक्रवार (18 सितंबर, 2020) को सहायक पुलिसकर्मियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. आंसू गैस के गोले भी दागे. इसमें दर्जनों सहायक पुलिसकर्मी घायल हो गये. सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया. पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा, क्योंकि सहायक जवानों ने वरीय पुलिस अधिकारियों की बात नहीं सुनी.
रांची : झारखंड में शुक्रवार (18 सितंबर, 2020) को सहायक पुलिसकर्मियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. आंसू गैस के गोले भी दागे. इसमें दर्जनों सहायक पुलिसकर्मी घायल हो गये. सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया. पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा, क्योंकि सहायक जवानों ने वरीय पुलिस अधिकारियों की बात नहीं सुनी.
झारखंड पुलिस में स्थायी नौकरी देने की मांग कर रहे ये सहायक पुलिसकर्मी नक्सल प्रभावित 12 जिलों में तैनात किये गये थे. तीन साल पहले रघुवर दास की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट पर तीन साल के लिए इन्हें 10 हजार रुपये प्रति माह के वेतन पर नौकरी दी थी. इनका कॉन्ट्रैक्ट 31 अगस्त को पूरा हो गया.
अब ये सहायक पुलिसकर्मी चाहते हैं कि इन्हें झारखंड पुलिस में समायोजित किया जाये. या यह आश्वासन दिया जाये कि आने वाले दिनों में जब भी राज्य में पुलिस बल में नयी बहाली होगी, तो उन्हें नियुक्ति में प्राथमिकता दी जायेगी. वरीय पुलिस अधिकारियों के साथ इनकी दो दौर की वार्ता विफल हो चुकी है.
Also Read: Jharkhand News: नौकरी नहीं दे सकते तो गोली मार दीजिये सर, रांची में सहायक पुलिसकर्मियों पर लाठीचार्ज के बाद बोले जवानसरकार और वरीय पुलिस अधिकारी न तो इन 2,350 सहायक पुलिसकर्मियों के कॉन्ट्रैक्ट को आगे बढ़ाने के मूड में है, न ही इन्हें स्थायी नौकरी देने का ठोस आश्वासन दे रहे हैं. इससे ठेका पर बहाल किये गये सहायक पुलिसकर्मियों के मन में गुस्सा है. इनका कहना है कि तीन साल तक इन्होंने जान जोखिम में डालकर नक्सल प्रभावित जिलों में लोगों को सुरक्षा दी.
ये कह रहे हैं कि तत्कालीन सरकार ने जब इन्हें नौकरी दी थी, तो कहा था कि तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें झारखंड पुलिस में स्थायी नौकरी दी जायेगी. अब जबकि तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया, तो सरकार उन्हें बेरोजगार कर रही है. 10 हजार रुपये पहले ही कम थे, अब बेरोजगारी में उनका परिवार कैसे चलेगा.
अंतत: इन्होंने तय किया कि रांची में अपनी आवाज बुलंद करेंगे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास और राज भवन का घेराव करेंगे. अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाकर रहेंगे. इसी उद्देश्य से ये लोग 12 सितंबर, 2020 को रांची पहुंचे. रास्ते में इन्हें जिला पुलिस ने रोकने की कोशिश की, लेकिन ये लोग जैसे-तैसे रांची पहुंचे.
Also Read: शरणार्थी या बंजारे नहीं, ये सहायक पुलिसकर्मी हैं, गरज के साथ हुई भारी बारिश में खुले आसमान के नीचे ऐसे गुजरी रातनक्सलियों और अपराधियों के सामने पस्त झारखंड सरकार अपने डंडे का जोर निहत्थे सहायक पुलिसकर्मियों आजमा रही है। यह राज्य सरकार की दमनकारी नीति है। अपनी जायज मांगों के लिए आंदोलन कर रहे हमारे आदिवासी-मूलवासी सहायक पुलिसकर्मियों पर लाठीचार्ज व आंसू गैस का प्रयोग करना घोर निंदनीय है। pic.twitter.com/CK3VQs0chq
— Raghubar Das (@dasraghubar) September 18, 2020
पुलिस के वरीय अधिकारी इनसे बात कर रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री या सरकार का कोई प्रतिनिधि इनसे बात करने अब तक नहीं आया. मोरहाबादी मैदान में उनके आंदोलन को 6 दिन बीत गये. जब भी उन्होंने मुख्यमंत्री आवास या राज भवन जाने की कोशिश की, पुलिस के वरीय पदाधिकारियों ने उन्हें समझाकर वापस भेज दिया. उन्होंने कभी हिंसा नहीं की.
शुक्रवार को सहायक पुलिसकर्मियों ने तय किया कि वे आज किसी भी कीमत पर राज भवन का घेराव करके रहेंगे. रांची के एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा को सहायक पुलिसकर्मियों के राज भवन मार्च करने की जानकारी मिल गयी. जिला पुलिस बल के सभी वरीय पदाधिकारियों (एसपी, जिले के सभी डीएसपी, जिला के सभी थानों के थानाध्यक्ष)समेत सैकड़ों पुलिसकर्मियों के साथ एसएसपी मोरहाबादी मैदान पहुंचे.
पुलिस की इस कार्रवाई में कई सहायक पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गये. बाद में एंबुलेंस और पुलिस की गाड़ियों में घायल हुए लोगों को अस्पताल भेजा गया. पुलिस की कार्रवाई के बाद सहायक पुलिसकर्मियों में आक्रोश है. हालांकि, अभी स्थित नियंत्रण में है.
Posted By : Mithilesh Jha