मानसिक रोग क्यों छिपाते हैं लोग? इलाज में देरी से होते हैं कई नुकसान, बोले सीआईपी के निदेशक डॉ बासुदेव दास

Prabhat Khabar EXCLUSIVE|अगर आप बीमार पड़ते हैं, तो डॉक्टर के पास जाते हैं. फिर जब मानसिक परेशानी होती है, तो आप डॉक्टर के पास क्यों नहीं जाते? ओझा-गुणी के चक्कर में पड़कर अपना पैसा और सेहत दोनों क्यों बर्बाद करते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि मानसिक रोगों का 100 फीसदी इलाज संभव है.

By Mithilesh Jha | April 24, 2023 7:05 PM

Prabhat Khabar EXCLUSIVE|झारखंड ही नहीं, देश भर में मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ रही है. लोग मानसिक रोगों को छिपाते हैं. उसका इलाज नहीं करवाते. इसका नतीजा यह होता है कि लोगों की स्थिति बिगड़ जाती है और उनके इलाज में बाद में काफी दिक्कतें पेश आती हैं. मरीज के परिजनों को भी काफी परेशानियां होती हैं. आंकड़ों और शोध पर गौर करेंगे, तो पायेंगे कि वैश्विक महामारी कोरोना के बाद 20 से 30 फीसदी मानसिक रोगी बढ़े हैं.

हर दिन 350 लोगों ने कराया सीआईपी रांची में इलाज

केंद्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान (सीआईपी) रांची के निदेशक डॉ बासुदेव दास कहते हैं कि कोरोना के बाद जो भी शोध हुए हैं, सभी में यही बात सामने आयी है कि लोगों में मानसिक रोग बढ़ रहा है. उन्होंने प्रभात खबर (prabhatkhabar.com) को बताया कि पिछले साल हर दिन औसतन 350 लोग उनके यहां इलाज के लिए पहुंचे. यानी साल में करीब 1 लाख लोगों ने सीआईपी रांची में अपना इलाज करवाया.

Also Read: Alert! सबसे बड़े नशे की गिरफ्त में युवा, अभी नहीं संभले तो होगी मुश्किल, सीआईपी रांची के डायरेक्टर की चेतावनी
अन्य शारीरिक बीमारियों की तरह ही है मानसिक रोग

डॉ दास कहते हैं कि लोग यह समझ ही नहीं पाते कि मानसिक रोग भी अन्य शारीरिक रोगों की तरह ही एक बीमारी है. अगर अच्छे से इसका इलाज करवाया जाये, तो रोगी बिल्कुल स्वस्थ हो सकता है. मानसिक रोगों का इलाज उपलब्ध है. रोगी पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं. एक आम आदमी की तरह वह भी सामान्य दिनचर्या में लौट सकते हैं. यहां तक कि किसी एक्सपर्ट की तरह विशेष काम भी कर सकते हैं.

झाड़-फूंक, ओझा-गुणी के चक्कर में न फंसें, डॉक्टर को दिखायें

सीआईपी के निदेशक डॉ दास कहते हैं कि जानकारी के अभाव में लोग या तो इलाज ही नहीं करवाते हैं या झाड़-फूंक, ओझा-गुणी के चक्कर में फंस जाते हैं. जो लोग ओझा-गुणी या झाड़-फूंक में फंस जाते हैं, उनका सही से इलाज नहीं हो पाता. उनके पैसे भी खर्च हो जाते हैं और स्वस्थ भी नहीं हो पाते. बीमारी जब गंभीर रूप ले लेता है, तब वे डॉक्टर के पास पहुंचते हैं. तब तक काफी देर हो चुकी होती है. इससे डॉक्टरों की परेशानी भी बढ़ जाती है.

Also Read: Internet Addiction: इंटरनेट एडिक्ट हो रहे हैं बच्चे, बचाने के लिए करने होंगे ये उपाय
मानसिक रोगों का 100 फीसदी इलाज संभव : डॉ बासुदेव दास

डॉ दास कहते हैं कि अगर शुरू में ही लोग डॉक्टर के पास चले जायें, तो वह पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं. 100 फीसदी इलाज संभव है. उनका कहना है कि आज के समय में कई तरह की बीमारियां बढ़ रही हैं. खासकर तनाव, स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन की समस्या लोगों में बहुत बढ़ गयी है. इसके अलावा बाइपोलर इलनेस, सिजोफ्रेनिया जैसी गंभीर मानसिक बीमारी भी बढ़ी है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

Next Article

Exit mobile version