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court news : सरकार बताये, कनहर बराज के निर्माण में क्यों हो रही देर : हाइकोर्ट

कनहर बराज प्रोजेक्ट शुरू होने में विलंब व फॉलो अप एक्शन बताने का दिया निर्देश

वरीय संवाददाता, रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने गढ़वा में कनहर नदी पर प्रस्तावित कनहर बराज निर्माण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कनहर बराज के निर्माण में हो रही देरी पर कड़ी नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि आखिर निर्माण कार्य शुरू होने में विलंब क्यों हो रहा है. क्या फॉलोअप एक्शन शुरू किया गया है. राज्य सरकार को अभी भी आठ वर्ष का समय क्यों चाहिए. खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि कनहर परियोजना में विलंब पर राज्य सरकार को जनता के समक्ष जवाब देना होगा. पलामू व गढ़वा की जनता पानी की समस्या से दशकों से जूझ रही है. वर्षों से वहां अकाल जैसी स्थिति रहती है. कनहर बराज परियोजना की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आ पाया है. मौखिक रूप से कहा कि वर्ष 2010 में भी राज्य सरकार की ओर से इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए पांच साल का समय मांगा गया था. अब वर्ष 2024 में भी आठ साल (86 माह) का समय मांगा जा रहा है. कनहर बराज के लिए जमीन अधिग्रहण, फॉरेस्ट क्लियरेंस, इनवायरमेंटल क्लियरेंस आदि का काम भी पूरा नहीं हुआ है. राज्य सरकार के लचीले रुख के कारण अब तक केंद्र सरकार से राशि भी आवंटित नहीं हो सकी है. राज्य सरकार को पहले कनहर बराज के अधूरे कार्य को पूरा कर लेना चाहिए था. इसके बाद परियोजना के लिए राशि को लेकर केंद्र पर दबाव बनाना चाहिए था. खंडपीठ ने राज्य सरकार को कनहर बराज परियोजना में विलंब का कारण बताने के साथ-साथ परियोजना को लेकर फॉलोअप एक्शन (अब तक की कार्रवाई) दो सप्ताह के अंदर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई छह सितंबर को होगी. इससे पूर्व केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव व अधिवक्ता शिवानी जालूका ने पैरवी की. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने क्लियरेंस के लिए केंद्र सरकार को अब तक कोई प्रस्ताव ही नहीं भेजा है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी पूर्व मंत्री (स्वर्गीय) हेमेंद्र प्रताप देहाती ने जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने गढ़वा, पलामू के खेतों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की थी.

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