क्या आपने कभी सोचा है कि इंसान आत्महत्या क्यों कर लेता है? जब वह आत्महत्या करता है, तब उसके दिमाग में क्या चल रहा होता है? किन कारणों से इंसान आत्महत्या करने के बारे में सोचता है? आज आपके इन सभी सवालों का जवाब मिलेगा. यह भी बताएंगे कि अगर आपके या आपके आसपास किसी के मन में आत्महत्या करने का विचार आ रहा है, तो उसे क्या करना चाहिए. हम आपको बताएंगे कि खुद को नुकसान पहुंचाने के विचारों को कैसे त्यागें. अगर आपको ऐसा लगने लगा है कि जिंदगी बेकार है, अब जीकर क्या करेंगे. इससे अच्छा मर जाना है, तो इस सोच को कैसे बदलें, इसके बारे में बताएंगे. ऐसे समय में आपको किसकी मदद लेनी चाहिए, यह भी बताएंगे. अपनों को दुख देने की बजाय खुशी से जिंदगी को कैसे आगे बढ़ाएं. अगर आप किसी विपरीत परिस्थिति में फंस गए हैं और खुद कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं, तो परेशान न हों. मदद लें. किसी व्यक्ति के पास नहीं जाना है. सिर्फ आपको अपना फोन उठाना है और 14416 डायल करना है. इस एक नंबर ने लाखों लोगों की मदद की है.
कोटा में आत्महत्या कर लेते हैं बिहार-झारखंड के बच्चे
राजस्थान के कोटा शहर का नाम आपने जरूर सुना होगा. हायर स्टडीज यानी उच्च शिक्षा की कोचिंग के लिए मशहूर है यह नगर. देश के कोने-कोने से बच्चे यहां मेडिकल-इंजीनियरिंग समेत तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने आते हैं. यहां परीक्षा की तैयारी करने आने वाले बच्चों में हर साल कई बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं. खासकर गांवों और छोटे शहरों से आने वाले बच्चे. ये बच्चे या तो गरीब परिवार से होते हैं या मिडिल क्लास फैमिली से. तनाव में आकर अपनी जिंदगी खत्म कर लेते हैं. इस साल अब तक दो दर्जन बच्चे अपनी जान दे चुके हैं. थोड़ी-सी समझदारी दिखाएं, तो बच्चों की परेशानी दूर हो जाएगी. उनका बहुमूल्य जीवन बच जाएगा. ऐसे कई लोगों के उदाहरण हमारे पास मौजूद हैं, जिन्होंने 14416 पर मदद मांगी और उन्हें मदद मिली.
कोटा में झारखंड की बेटी की ऐसे बची जान
झारखंड की एक बच्ची ने कोटा में आत्महत्या करने का फैसला लगभग कर ही लिया था. वह बेहद तनाव में थी. उसे लग रहा था कि वह अपने परिवार की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर रही. उसके मन में विचार आने लगे थे कि अब जिंदगी बेकार है. मैं अपने परिवार का पैसा बर्बाद कर रही हूं. परिवार ने जिस उम्मीद से मुझे यहां भेजा है, मैं पूरी नहीं कर पाऊंगी. इसलिए अब मुझे आत्महत्या कर लेनी चाहिए. परेशानी के इस दौर में उसे इंटरनेट पर इस नंबर का पता चला. उसने इस नंबर पर डायल किया. फोन अटेंड करने वाली महिला थी. उन्होंने कोटा (राजस्थान) में पढ़ाई कर रही उस बच्ची से काफी देर तक बातें कीं. उसके मन में चल रहे विचारों को जाना. इसके बाद बच्ची के दिमाग से इस वहम को निकाल दिया कि वह सफल नहीं हो पाएगी. उसे समझाया कि आत्महत्या समस्या का समाधान नहीं है. अपने ऊपर विश्वास रखो. कुछ सलाह भी दी. एक फोन कॉल ने उस बच्ची की जिंदगी बचा ली.
गंभीर रूप से बीमार युवक को ऐसे मिली नयी जिंदगी
एक युवा गंभीर मानसिक रोग से पीड़ित था. उसने दवा लेनी बंद कर दी. दवा बंद करने के दो साल बाद फिर से उसमें बीमारियों के लक्षण दिखने लगे. उसके मन में कई भ्रम भी पल रहे थे. उसने दवाईयों के बारे में, उसके साइड इफेक्ट्स के बारे में इंटरनेट पर पढ़ लिया था. इसकी वजह से वह दिग्भ्रमित हो गया और दवाई लेनी बंद कर दी. बाद में उसे भी कहीं से इस नंबर के बारे में पता चला. उसने 14416 को डायल किया. फोन अटेंड करने वाली ने उसकी भी समस्या को समझा और सही परामर्श दिया. युवक को अपनी गलती का अहसास हुआ और काउंसलर की सलाह पर उसने पास के मनोचिकित्सक से परामर्श लिया. डॉक्टर के बताये दवाइयों का सेवन करना शुरू किया और अब सामान्य जीवन जी रहा है.
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कोटा में तैयारी कर रही लड़की की तरह, रांची में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे एक युवक के मन में भी आत्महत्या करने के विचार आने लगे थे. इस लड़के को अपने साथ पढ़ने वाली लड़की से प्रेम हो गया. लड़की के सामने जब उसने अपनी मोहब्बत का इजहार किया, तो उसने साफ इंकार कर दिया. लड़की ने कहा वह उसकी दोस्त है. कभी उसके मन में प्रेम जैसी कोई बात आयी ही नहीं. कभी भी उसने उसे उस नजरिये से नहीं देखा. इस बात से लड़के के मन पर गहरा आघात लगा. इसके बाद लड़के का पढ़ाई में मन नहीं लगता था. हमेशा उस लड़की के ख्याल आते रहते थे. धीरे-धीरे उसका स्ट्रेस यानी तनाव बढ़ने लगा. उसके मन में ख्याल आया कि अब मेरे पास कोई चारा नहीं है. मैं पढ़ाई नहीं कर पा रहा. जिस लड़की से प्यार किया, वह मुझे प्यार नहीं करती. ऐसी जिंदगी का क्या मतलब. इससे अच्छा तो मर जाना है. इत्तेफाक से इस लड़के को भी उसी नंबर से मदद मिली, जिस नंबर से उन दो लोगों को मदद मिली थी. 14416. फोन लाइन पर मौजूद काउंसलर ने उसके मन से भी आत्महत्या के विचार को निकाला. साथ ही इससे उबरने के तरीके भी बताए. लड़का अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चला है.
मानसिक समस्या का निदान देता है टेली मानस केंद्र
ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं. यहां हमने किसी व्यक्ति का नाम इसलिए नहीं बताया, क्योंकि इस सेंटर से जुड़े एक्सपर्ट्स की टीम ने हमें बताया कि इस नंबर पर फोन करने वालों की सारी सूचनाएं गुप्त रखी जाती हैं. सिर्फ लोगों की मदद के लिए इस सेंटर की स्थापना हुई है. इस नंबर पर किसी भी तरह की समस्या का समाधान मिल जाता है. व्यक्तिगत समस्या हो या पारिवारिक झगड़ा, आप एक फोन कॉल करके यहां से मदद ले सकते हैं. पति-पत्नी का झगड़ा हो जाए, तो भी लोग फोन करके मदद लेते हैं. मानसिक तनाव और अवसाद में जीने वाले लोग फोन करते हैं, तो यौन समस्या से पीड़ित लोगों के भी फोन यहां आते हैं. भारत सरकार की इस पहल का नाम है – टेली मानस. इसका ऑल इंडिया टोल फ्री नंबर है – 14416. 10 अक्टूबर 2022 से अब तक 2,93,306+ लोगों ने इस नंबर पर कॉल करके अपनी समस्या का समाधान प्राप्त किया है. झारखंड में भी यह संख्या करीब 6,000 पहुंच गई है.
10 अक्टूबर से हुई टेली मानस केंद्रों की शुरुआत
देश में पहली बार 10 अक्टूबर 2022 को टेली मानस केंद्र की शुरुआत हुई. इसका एक टोल फ्री नंबर जारी हुआ- 14416. भारत के सभी राज्यों में टेलीमानस केंद्रों की स्थापना की गई है, ताकि लोगों को मानसिक समस्या का आसानी से निदान मिल सके. झारखंड की राजधानी रांची स्थित केंद्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान (सीआईपी रांची) देश के छह राज्यों (झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश) का रीजनल को-ऑर्डिनेटिंग सेंटर (आरसीसी) और मेंटरिंग इंस्टीट्यूट है. सीआईपी स्थित टेली मानस केंद्र के प्रमुख और नोडल ऑफिसर डॉ सुरजीत प्रसाद हैं. यहां कुल 35 लोगों की टीम काम करती है, जिसमें 20 काउंसलर हैं. दो सीनियर कंसल्टेंट, 2 सीनियर रेजिडेंट, 2 सेकेंड्री सोशल वर्कर्स, 2 क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, 2 प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर, 2 अटेंडेंट, 2 डाटा इंट्री ऑपरेटर्स और एक नोडल ऑफिसर हैं.
चार एक्सपर्ट्स ने बताया : कोई भी इंसान मरना नहीं चाहता
सीआईपी स्थित टेली मानस केंद्र के नोडल ऑफिसर ने हमारी मुलाकात अपनी टीम के चार सीनियर मेंबर्स से करवाई. इन चार लोगों ने हमें बताया कि टेली मानस केंद्र में किस-किस तरह के लोग फोन करते हैं. उनकी मदद ये लोग किस तरह से करते हैं. आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में इस नंबर की कितनी अहमियत है, इसके बारे में लोगों को जानना जरूरी है. डॉ पृथा रॉय, डॉ रौनक महर्षि, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट अलीशा अरोड़ा और साइकियाइट्रिक सोशल वर्कर विजयलक्ष्मी दोराई ने हमें जो बातें बतायीं, उसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि अगर मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति से कोई कुछ मिनट प्यार भरी बातें कर ले, तो यकीन मानिए वह आत्महत्या नहीं करेगा. इन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी इंसान मरना नहीं चाहता.
हर मानसिक उलझन को सुलझाता है टेली मानस
इन चारों एक्सपर्ट ने प्रभात खबर (prabhatkhabar.com) को बताया कि यह (14416) एक ऐसा नंबर है, जिसको डायल करने पर आपको अपनी किसी भी मानसिक उलझन या परेशानी का समाधान मिलेगा. यहां ट्रेंड काउंसलर्स हैं, जो प्रैंक कॉल को भी आसानी से डील करते हैं. इन्हें पता होता है कि आत्महत्या के पहले लोग क्या सोचते हैं, उनके मन में क्या विचार आते हैं. इसलिए सुसाइड करने का फैसला कर चुके लोगों को कैसे समझाना है, उन्हें अच्छे से पता है. तभी महज 11 महीने में करीब 6,000 लोगों की इस केंद्र के काउंसलर्स मदद कर चुके हैं. कई लोगों की तो फोन कॉल पर जान तक बचायी गयी है.
ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे टेली मानस
एक्सपर्ट्स की टीम ने हमें बताया कि पांच से सात काउंसलर्स सुबह सात बजे से शाम के सात बजे तक काम करते हैं. ऑफिस में लोग सुबह नौ बजे से पांच बजे तक काम करते हैं. इसके बाद टेलीफोन पर 24×7 उपलब्ध रहते हैं. यानी किसी भी समय कॉल आ जाये, वे रिसीव करने के लिए तैयार रहते हैं. टेली मानस के इन एक्सपर्ट्स ने हमें यह भी बताया कि अभी हर दिन 25 से 30, कभी-कभी 40 फोन कॉल आते हैं. चूंकि इसके बारे में अभी सभी लोगों को पता नहीं है, इसलिए ज्यादा लोग कॉल नहीं करते. इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जानकारी होनी चाहिए. तभी भारत सरकार की इस पहल के सार्थक परिणाम आएंगे.
लोग आत्महत्या क्यों करते हैं?|Why People Commit Suicide?
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट अलीशा अरोड़ा से जब हमने पूछा कि लोग आत्महत्या क्यों करते हैं, तो उन्होंने बताया कि कभी-कभी लोग अचानक आत्महत्या कर लेते हैं. कई बार लंबे समय तक बीमार रहने के बाद उनके मन में जान देने का विचार आता है और वह सुसाइड कर लेते हैं. ऐसे लोगों के मन में यही विचार आता है कि अब जिंदगी बेकार है. कोई मेरा अपना नहीं रहा. कुछ लोगों को ऐसा भी लगता है कि उनकी वजह से उनके परिवार के अन्य सदस्य परेशान हो रहे हैं. इसलिए वह अपनी जान दे देते हैं.
कोई भी व्यक्ति मरना नहीं चाहता : अलीशा अरोड़ा
अलीशा अरोड़ा ने आगे हमें बताया कि ऐसे लोगों के साथ अगर कोई 10 मिनट प्यार से बात कर ले. उनके दुख को बांटने की कोशिश करे, उनकी बात को धैर्य के साथ सुन भी ले, तो यकीन मानिए उनके मन से आत्महत्या का विचार निकल जाएगा. टेलीमानस सेंटर में मौजूद हमारे काउंसलर्स यही काम कर रहे हैं. अलीशा कहती हैं कि कोई भी व्यक्ति मरना नहीं चाहता. वह अपने लोगों के साथ रहना चाहता है. हर किसी को प्यार और देखभाल की जरूरत है. अलीशा कहतीं हैं कि कुछ लोगों को मनचाहा प्यार नहीं मिलता, तो वह खुद को जान-बूझकर नुकसान पहुंचाते हैं, ताकि जिसे वो चाहते हैं, उनकी सहानुभूति हासिल कर सकें. मनोविज्ञान की भाषा में इसे डेलिबरेट सेल्फ हार्म (डीएसएच) यानी जान-बूझकर खुद को नुकसान पहुंचाना कहते हैं.
आत्महत्या करने के तीन कारण|Reasons To Commit Suicide
डॉ रौनक महर्षि ने बताया कि आत्महत्या करने के प्रमुख रूप से तीन कारण होते हैं. बायोलॉजिकल यानी जैविक, साइकोलॉजिकल यानी मनोवैज्ञानिक और सोशल यानी सामाजिक. कोई व्यक्ति स्ट्रेस यानी तनाव को आसानी से हैंडल कर लेता है. कुछ लोग इसे मैनेज नहीं कर पाते. ऐसे लोगों के मन में सवाल आने लगते हैं कि आखिर इतना तनाव मेरे ही जीवन में क्यों है? ऐसे लोगों को अगर परिवार और समाज का सहयोग नहीं मिलता है, तो वे आत्महत्या के लिए प्रेरित होने लगते हैं.
दिमाग में केमिकल की कमी की वजह से होता है स्ट्रेस : डॉ रौनक महर्षि
डॉ रौनक ने यह भी बताया कि कुछ लोग शर्मीले होते हैं. कुछ लोग खुशमिजाज होते हैं. कुछ लोग स्ट्रेस में आने पर ड्रग्स लेने लगते हैं. वहीं, कुछ लोग हेल्दी लाइफ अपनाते हैं और तनाव से, अवसाद से बाहर आने के रास्ते तलाश लेते हैं. ये वे लोग होते हैं, जिनको कोई अच्छा गाइड करने वाला मिल जाता है. जिन लोगों की मदद करने वाला कोई नहीं होता, वैसे लोग ही सुसाइड करते हैं. डॉ रौनक ने कहा कि हमारे दिमाग में कुछ केमिकल्स होते हैं, जिसकी कमी हो जाने की वजह से स्ट्रेस बढ़ जाता है. कई बार पारिवारिक समस्या की वजह से भी लोग तनाव में आ जाते हैं, जिसके बाद वे खुद को नुकसान पहुंचा लेते हैं. डॉ रौनक के मुताबिक, तनाव की वजह कुछ भी हो सकती है. कई बार लोग वित्तीय समस्या (फाइनेंशियल प्रॉब्लम) की वजह से भी स्ट्रेस में होते हैं. जब पैसे नहीं कमा पाते या कर्ज नहीं चुका पाते, तो सुसाइड का रास्ता चुन लेते हैं.
ऐसे लोगों की जिंदगी बचाने के लिए ही केंद्र सरकार ने बेंगलुरु स्थित निम्हांस (NIMHANS) की सलाह पर देश के सभी राज्यों में टेली मानस केंद्र (Tele Manas Center) की स्थापना की. देश के बड़े राज्यों में दो-तीन सेंटर भी खोले गए हैं. इसका उद्देश्य वैसे लोगों को भी मानसिक इलाज की पहुंच सुनिश्चित करना है, जो अस्पताल या मानसिक चिकित्सक के पास नहीं जा पाते या जा सकते. इसके लिए भारत सरकार ने टोल फ्री नंबर 14416 की शुरुआत की है, जहां कोई भी व्यक्ति फोन करके अपनी मानसिक स्थिति के बारे में बता सकता है. यहां उसे उसकी समस्या का समाधान मिल जाता. इस नंबर पर फोन करने पर कॉल का चार्ज नहीं कटता. यानी यह पूरी तरह से फ्री है.
लोगों में जागरूकता फैला रहा सीआईपी का टेली मानस केंद्र
टेली मानस केंद्र को डिस्ट्रिक्ट मेंटल हेल्थ प्रोग्राम (जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम) से जोड़ा गया है. टेली मानस पर फोन करने वाले व्यक्ति को अगर दवाई की जरूरत हो, तो जिला अस्पताल की मदद से उसे मुफ्त दवाइयां भी उपलब्ध करवाई जाती है. टेली मानस का काम सिर्फ लोगों को टेलीफोन पर मदद देना नहीं है. लोगों में जागरूकता फैलाना भी है. इसके लिए बाकायदा आउटरीच प्रोग्राम्स होते हैं. ग्रामीण इलाकों में जाकर लोगों को तरह-तरह की मानसिक समस्याओं के बारे में बताया जाता है, ताकि वे खुद अपनी समस्या को समझ सकें. उसका इलाज करवा सकें.
ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिले मानसिक समस्या का समाधान
टेली मानस की साइकियाइट्रिक सोशल वर्कर विजयलक्ष्मी दोराई ने हमें बताया कि 14416 पर फोन करके मदद लेने वाले किसी भी व्यक्ति का कोई रिकॉर्ड उनके पास यानी सीआईपी या किसी और टेली मानस केंद्र के पास नहीं रहता. अगर फोन करने वाला शख्स अपना नाम भी न बताना चाहे, तो भी उसे मदद मिलती है. उसे अपनी पहचान बताने के लिए कतई मजबूर नहीं किया जाता. वह सिर्फ अपनी समस्या बताता है और उसकी मदद की जाती है. टेली मानस का एकमात्र उद्देश्य यह है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को मानसिक समस्या का समाधान मिल सके.
यूनिक आईडी के जरिये होता है इलाज
डॉ पृथा रॉय बताती हैं कि फोन कॉल आने पर उसका एक यूनिक आईडी जेनरेट होता है और उसका इलाज कहें या मदद, तत्काल शुरू हो जाती है. पहले काउंसलिंग होती है. फिर अगर साइकोलॉजिस्ट की जरूरत पड़ती है, तो उनसे बात करायी जाती है. इसके बाद अगर दवाई की जरूरत महसूस हुई, तो उन्हें बता दिया जाता है कि उनके सबसे करीब मानसिक चिकित्सक कहां उपलब्ध हैं. अगर व्यक्ति अपने जिले के सदर अस्पताल पहुंच जाता है, तो वहां उसे डॉक्टर देख भी लेते हैं और दवाई भी दे देते हैं. अभी सभी जिला अस्पतालों में एक मानसिक चिकित्सक का होना अनिवार्य कर दिया गया है.
कैसे काम करता है टेली मानस?|How Tele Manas Works
अब आपको बताते हैं कि टेली मानस काम कैसे करता है. सीआईपी रांची के निदेशक डॉ बासुदेव दास के मुताबिक, कोरोना संक्रमण के बाद दुनिया भर में मानसिक समस्या बढ़ी. भारत में भी बहुत से लोगों में यह समस्या देखी गयी. पहली बार वर्ष 2023 के आम बजट में वित्त मंत्री ने मानसिक स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्य बजट में अलग से प्रावधान किया. टेलीमानस केंद्र का एक टोल फ्री नंबर है- 14416. इस नंबर पर जब आप डायल करते हैं, तो आपको उस राज्य के टेली मानस केंद्र से कनेक्ट कर दिया जाता है, जिस राज्य में आपके मोबाइल फोन का सिम कार्ड रजिस्टर्ड है. टेली मानस केंद्र के काउंसलर्स सिर्फ आपकी समस्या के बारे में पूछते हैं. आपकी व्यक्तिगत कोई भी जानकारी नहीं मांगते. आपका फोन नंबर हो या आपका एड्रेस, कुछ भी नहीं. वे सिर्फ आपकी समस्या के बारे में आपसे बात करेंगे और उसका समाधान आपको देंगे. हालांकि, अभी बहुत से लोगों को इसके बारे में नहीं मालूम, लेकिन टेली मानस और उसके टोल फ्री नंबर के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जानकारी होनी चाहिए, तभी टेली मानस के काउंसलर्स तक ज्यादा से ज्यादा लोग पहुंचेंगे और उनको इसका लाभ मिल पायेगा.
टेली मानस पर इन समस्याओं का मिलता है समाधान
मानसिक/मनोवैज्ञानिक समस्या
अवसाद, चिंता
शराब/भांग/गांजा एवं अन्य नशीले पदार्थ के सेवन से होने वाली समस्या
खुद को नुकसान पहुंचाने/आत्महत्या के विचार मन में आना
आपसी मतभेद/पारिवारिक समस्या
याददाश्त की समस्या
यौन समस्या
मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सरकारी योजनाएं एवं उनसे जुड़े लाभ की जानकारी
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.