Ranchi News: गुमला के सिरसी-ता-नाले को आदिवासी तीर्थस्थल के रूप में विकसित करेंगे : मंत्री
Ranchi News : आदिवासी धर्म और संस्कृति को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए अहम पहल की गयी है. सरना धर्म को भारत सरकार से मान्यता दिलाने के लिए संघर्ष जारी रहेगा.
रांची. आदिवासी धर्म और संस्कृति को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए अहम पहल की गयी है. सरना धर्म को भारत सरकार से मान्यता दिलाने के लिए संघर्ष जारी रहेगा और यह आयोजन उसी दिशा में मजबूत कदम है. इसके साथ ही सिरसी-ता-नाले क्षेत्र को आदिवासी तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया जायेगा. इसे राष्ट्रीय स्तर पर कुंभ मेला की तरह मान्यता दिलाने की कोशिश होगी. उक्त बातें राज्य सरकार के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने कहीं. वह गुमला जिले के डुमरी प्रखंड स्थित अकासी पंचायत में सोमवार को सिरसी-ता-नाले (दोन) कंकड़ोलता राजकीय समारोह में संबोधित कर रहे थे.
आध्यात्मिक जागरूकता का बनेगा केंद्र
इस मौके पर मंत्री ने आगे घोषणा की कि यह स्थान भारत के आदिवासियों के लिए आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक जागरूकता का केंद्र बनेगा. जहां लोग अपने दुखों से मुक्ति और आत्मिक शांति प्राप्त कर सकेंगे. माघ पंचमी पर हर वर्ष यहां भव्य आयोजन होगा, जिसमें हर साल लाखों श्रद्धालुओं के भाग लेने की संभावना है.
कार्यक्रम में ये हुए शामिल
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि सिसई विधायक जिग्गा सुसारन होरो, खूंटी विधायक राम सूर्य मुंडा, चक्रधरपुर विधायक सुखराम उरांव, ख़िजरी विधायक राजेश कच्छप, डीसी कर्ण सत्यार्थी, एसपी शंभु कुमार सिंह, खेल पदाधिकारी मनोज कुमार, डीपीआरओ ललन रजक सहित आदिवासी समाज के हजारों लोग मौजूद थे. कार्यक्रम की शुरुआत देश के वीर शहीदों को नमन करते हुए उनके चित्र पर माल्यार्पण कर और दीप प्रज्वलन के साथ की गयी. इसके बाद सभी अतिथियों ने सिरसी-ता-नाले में पूजा-अर्चना कर सामूहिक प्रार्थना की.
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