रांची : कोरोना काल में शहर के सफाई कर्मचारियों को वरियर्स का दर्जा दिया गया है. माेहल्ले में उनके सम्मान में उन पर फूल बरसाये जा रहे हैं. तालियां बजायी जा रही हैं. यहां तक कि कोरोना से जंग लड़ते हुए किसी सफाईकर्मी की मौत हो जाती है तो निगम द्वारा 10 लाख रुपये देने की व्यवस्था की गयी है. वहीं, दूसरी ओर अगर कोई कर्मी काम करने के दौरान घायल हो जाता है तो उसे देने के लिए निगम के पास फूटी कौड़ी तक नहीं है. निगम की ऐसी ही एक सफाईकर्मी है, जो बुरी तरह से घायल है. डॉक्टरों ने उसके पैर की अंगुलियों को सर्जरी कर जोड़ने की सलाह दी है, लेकिन उसके पास इलाज के लिए पैसे तक नहीं हैं. ऐसे में वह आधा अधूरा इलाज कराकर घर में रहने को विवश है.
रविवार को ड्यूटी जाने के दौरान हुई घायलवार्ड 13 की सफाईकर्मी सुशीला हेंब्रम रविवार को आम दिनों की तरह निगम के ट्रैक्टर से ड्यूटी जा रही थी. वह ट्रैक्टर व ट्रॉली के बीच लोहे पर बैठी हुई थी. अचानक खादगढ़ा बस स्टैंड के समीप ट्रैक्टर मुड़ा तो उसका पैर चक्का व लोहे की बीच आ गया, जिससे उसके पैर की अंगुलियां बुरी तरह कुचल गयी. इसके बाद सुशीला को सदर अस्पताल ले जाया गया. यहां से उसे रिम्स ले जाने की सलाह दी गयी. इलाज में देरी होता देख उसके परिजन निजी अस्पताल ले गये. यहां डॉक्टरों ने बताया कि अंगुलियां क्षतिग्रस्त हो गयी हैं. इसे दोबारा जोड़ना होगा.
इलाज में 45 हजार का खर्च आयेगा. परिजनों ने किसी प्रकार पैसे का जुगाड़ कराकर उसका इलाज कराया. डॉक्टर की बात सुन उड़ गयी नींदडॉक्टर ने इलाज कर सुशीला को घर भेज दिया. साथ ही सलाह दी कि प्रतिदिन ड्रेसिंग करानी होगी. एक महीने बाद जरूरत पड़ने पर प्लास्टिक सर्जरी करनी होगी. डॉक्टर की यह बात सुनकर सुशीला व उसके परिजनों की नींद उड़ी हुई है. सुशीला का कहना है कि पहले ही किसी तरह उधार लेकर इलाज कराया है. अब पैसा भी नहीं है. सर्जरी कैसे करायेगी. निगम से ही कुछ आस है. मदद मिलेगी तभी कुछ हो सकेगा.
-
घायल महिला सफाईकर्मी को परेशान होने की जरूरत नहीं है. मंगलवार दिन को 10 बजे मैं खुद उसके घर जाऊंगा. उसे निगम से हर वो मदद दिलायी जायेगी, जिसकी उसे जरूरत है.
संजीव विजयवर्गीय, डिप्टी मेयर