झारखंड के 16 जिलों के 450 गांव डायन-बिसाही के मामले में खतरनाक, जानें क्या है इसकी बड़ी वजह

इसके बाद इन गांवों-टोलों के लोग किसी महिला या पुरुष पर डायन-बिसाही करने या ओझा-गुणी होने का आरोप लगाते हुए उसे प्रताड़ित करना शुरू कर देते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | August 14, 2023 10:58 AM

झारखंड में 16 जिलों के 450 गांव और टोले ‘डायन-बिसाही’ के मामले में खतरनाक हैं. इनमें से ज्यादातर गांव सुदूर और दुर्गम इलाकों में हैं, जहां से पुलिस थाना भी काफी दूर है. इन गांवों की साक्षरता दर भी काफी कम है, जिसकी वजह से लोग आसानी से अंधविश्वास के शिकार बन जाते हैं. ऐसे में जब भी इन गांवों में कोई इंसान या जानवर बीमार होता या उसकी मौत हो जाती है, तो झाड़-फूंक करनेवालों का प्रभाव बढ़ जाता है.

इसके बाद इन गांवों-टोलों के लोग किसी महिला या पुरुष पर डायन-बिसाही करने या ओझा-गुणी होने का आरोप लगाते हुए उसे प्रताड़ित करना शुरू कर देते हैं. कई बार ऐसे मामलों में पीड़ित महिला-पुरुष की हत्या भी कर दी जाती है. ‘प्रभात खबर’ की पड़ताल में उक्त तथ्य सामने आये हैं.

वर्ष 2022 में डायन-बिसाही को लेकर दर्ज किये गये 697 मामले :

पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, साहिबगंज जिले में वर्ष 2020 में डायन-बिसाही को लेकर दो केस दर्ज किये थे, जबकि इसी वर्ष जामताड़ा में छह, गोड्डा में पांच, देवघर में सात और दुमका में दो केस दर्ज किये गये थे.

सूत्रों का कहना है कि धनबाद और बोकारो में बारीकी से अध्ययन किया जाये, तो डायन-बिसाही को लेकर खतरनाक माने जानेवाले गांव-टोला कुल संख्या बढ़ सकती है. दूसरी ओर, राज्य के विभिन्न जिलों में वर्ष 2022 में डायन-बिसाही के नाम पर प्रताड़ना और हत्या से जुड़े कुल 697 मामले दर्ज किये गये थे. इससे पहले वर्ष 2021 में ऐसे 886 मामले दर्ज किये थे. वर्ष 2021 की तुलना में 2022 में डायन-बिसाही को लेकर प्रताड़ना व हत्या के मामलों में कमी आयी है.

कम साक्षरता दर और गांव से थानों की दूरी अधिक होने के कारण आसानी से अंधविश्वास की चपेट में आ जाते हैं ग्रामीण

किसी इंसान या पशु की बीमारी/मौत पर गांव में किसी महिला अथवा पुरुष को डायन या ओझा-गुणी बता प्रताड़ित करते हैं ग्रामीण

संताल और कोयलांचल रेंज के जिलों का बारीक अध्ययन किया जाये, तो और ऊपर जा सकता है खतरनाक इलाकों का आंकड़ा

उदाहरण : लातेहार के इन गांवों में अक्सर सामने आते हैं डायन बिसाही के मामले

लातेहार जिला के आठ थाना क्षेत्र में कई गांव थाना से काफी दूर और दुर्गम इलाकों में स्थित हैं. यहां की साक्षरता दर भी कम है. इस वजह से इन गांवों के लोग आसानी से अंधविश्वास की चपेट में आ जाते हैं. इस वजह से अक्सर इन इलाकों में डायन-बिसाही के मामले सामने आते रहते हैं. जिला के छिपादोहर थाना क्षेत्र के गणेशपुर, सेरेंदाग, रोमनदाग, गाड़ी, मतनाग, कुचिला, जुरूहाट और हरिनामार गांव डायन-बिसाही के नाम पर प्रताड़ना के मामले में सबसे आगे हैं.

लातेहार के इन क्षेत्रों में साक्षरता दर है सबसे कम

मनिका : जान्हो, पटना, बरवैया, रॉकी, डुमामारा, पल्हैया, सिंजो, माइन मटलौंग, सेमरहट, रेवतकलां

बरवाडीह : मंगरा, कल्याणपुर, अमडीहामोरवाई, मुरू कचनपुर

छिपादोहर : गणेशपुर, चातम, सेरेंदाग, लाता, बरखैता, हरडे, टोगांरी, रोमनदाग, लाडी, हरातू, चुगारू, ओपाग, होसिर, चहल, गुआ, हेहेगड़ा

महुआडांड़ : भेड़ीगंझार, ओरसा, कुर्रों, कला, नगरप्रतापुर, पहराटोली, चंपा

नेतरहाट : सोहर, बालामहुआ, दोना, दुरूप

बालूमाथ : मनसिंचा, गणेशपुर, झाबर, बलबल

हेरहंज : नारी, पाडरम, बिडिर

बरियातू : दुंडाहातू, डुमरा, इटके, लाटू, बेसरा और बिरबिर

केस स्टडी

दो मई 2023 को लातेहार जिला के चंदवा थाना क्षेत्र की लाधुप पंचायत के हेसला गांव में डायन-बिसाही का आरोप लगा कर ग्रामीणों ने वृद्ध दंपती शिबल गंझू और उसकी पत्नी बौनी गंझू की पीट-पीट कर हत्या कर दी. इस मामले में पुलिस 13 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. घटना इसलिए हुई थी, क्योंकि गांव में ओझा ने सड़क दुर्घटना में दो युवकों की मौत के लिए दंपती को जिम्मेवार ठहराया था.

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