Ranchi news : दूसरे चरण की 38 में से 13 सीटों पर आधी आबादी दिखा रही दमखम
झारखंड विधानसभा के दूसरे चरण का चुनाव 20 नवंबर को है. चार विधानसभा सीटों पर सीधे तौर पर महिला प्रत्याशी आमने-सामने.
अभिषेक रॉय,
रांची.
झारखंड विधानसभा के दूसरे चरण का चुनाव 20 नवंबर को है. इस दिन 38 सीटों के लिए वोट डाले जायेंगे. इसे लेकर राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के बीच जोर आजमाइश चल रही है. आंकड़ों पर अगर गौर करें तो दूसरे चरण की 38 में से 13 सीटों पर आधी आबादी सीधे तौर पर अपना दम-खम दिखा रही है. इसमें चार विधानसभा सीटों पर सीधे तौर पर महिला प्रत्याशी आमने-सामने हैं. गांडेय राज्य की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. गांडेय से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी व जेएमएम की स्टार प्रचारक कल्पना मुर्मू सोरेन चुनाव लड़ रही हैं. कल्पना को चुनौती देने के लिए भाजपा ने यहां से मुनिया देवी को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, झरिया भी हॉट सीट है. यहां पूर्णिमा नीरज सिंह के खिलाफ रागिनी सिंह मैदान में हैं. वहीं, रामगढ़ सीट पर भी आधी आबादी की धमक दिख रही है. यहां से ममता कुमारी के विरुद्ध सुनीता चौधरी मैदान हैं. ज्ञात हो कि रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में ममता कुमारी को सुनीता चौधरी ने शिकस्त दी थी. यहां मुकाबला दिलचस्प होनेवाला है. इसके अलावा डुमरी सीट पर भी दो महिला प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है. मंत्री जगरनाथ महतो के दिवंगत होने के बाद पत्नी बेबी देवी उनकी राजनीतिक विरासत संभाल रही हैं. उपचुनाव जीतने के बाद बेबी देवी मंत्री बनीं. बेबी देवी फिर से डुमरी के मैदान में अपने पति की राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए संघर्ष करती दिख रही हैं. इस बार यशोदा देवी उन्हें चुनौती दे रही हैं. हालांकि, इस सीट पर जयराम महतो की दावेदारी से मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैं. जामताड़ा में डॉ इरफान अंसारी के खिलाफ सीता सोरेन चुनावी रण में हैं. वहीं, मंत्री दीपिका पांडेय सिंह महगामा से, निरसा से अपर्णा सेनगुप्ता, सिंदरी से तारा देवी, जमुआ से मंजू कुमारी, बोकारो से श्वेता सिंह व जामा से डॉ लुईस मरांडी चुनाव लड़ रही हैं. इसके अलावा पाकुड़ से पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की पत्नी निशत आलम भी चुनावी मैदान में हैं. वहीं, गोमिया सीट से जयराम महतो की नेतृत्व वाली झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा से पूजा कुमारी को चुनावी समर में उतारा गया है.इन सीटों पर है महिलाओं की धमक
38 में से 13 सीटों पर आधी आबादी की मजबूत दावेदारी है. महिलाएं राजनीतिक रूप से सशक्त होकर चुनावी रण में न केवल राजनीतिक कौशल के साथ काम कर रही हैं, बल्कि अपनी सक्रियता से यह साबित कर रही हैं कि वह किसी भी मामले में राजनीतिक मैदान में पुरुषों से पीछे नहीं हैं.
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