क्रेडिट लिंकेज से आत्मनिर्भर बन रही झारखंड में सखी मंडल की महिलाएं, एक साल में 550 करोड़ की मिली राशि
Jharkhand News, Ranchi News, रांची : झारखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत राज्य में अब तक 2.54 लाख सखी मंडल के गठन के जरिये करीब 32 लाख परिवारों को सखी मंडल से जोड़ा गया है. करीब एक लाख सखी मंडलों को 387 करोड़ की राशि सामुदायिक निवेश निधि (Community investment fund- CIF) एवं लाखों सखी मंडलों को कुल 1824 करोड़ की राशि ग्रामीण आजीविका मिशन के क्रेडिट लिंकेज (Credit linkage) के जरिये बैंकों से उपलब्ध कराया गया है. सखी मंडल के जरिये मिलने वाली इन आर्थिक सहायता की मदद से ग्रामीण महिलाएं सफलता प्राप्त कर रही है.
Jharkhand News, Ranchi News, रांची : झारखंड की ग्रामीण महिलाएं खेती, पशुपालन एवं कारोबार में भी हाथ आजमाते हुए सफल उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बना रही हैं. ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखंड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) ऐसी महिलाओं को हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है, जिससे इनका आर्थिक स्वावलंबन सुनिश्चित हो सके. ग्रामीण महिलाओं को सखी मंडल से जोड़कर सशक्त आजीविका उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है. महिलाओं के इस सशक्तीकरण में सबसे अधिक सहयोगी क्रेडिट लिंकेज बन रहा है.
झारखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत राज्य में अब तक 2.54 लाख सखी मंडल के गठन के जरिये करीब 32 लाख परिवारों को सखी मंडल से जोड़ा गया है. करीब एक लाख सखी मंडलों को 387 करोड़ की राशि सामुदायिक निवेश निधि (Community investment fund- CIF) एवं लाखों सखी मंडलों को कुल 1824 करोड़ की राशि ग्रामीण आजीविका मिशन के क्रेडिट लिंकेज (Credit linkage) के जरिये बैंकों से उपलब्ध कराया गया है. सखी मंडल के जरिये मिलने वाली इन आर्थिक सहायता की मदद से ग्रामीण महिलाएं सफलता प्राप्त कर रही है.
क्रेडिट लिंकेज से तय हो रहा उद्यमी बनने का सफर
गिरिडीह जिला के पोरदगा गांव की देवंती देवी (42 वर्ष) सखी मंडल से जुड़कर आत्मनिर्भर बनी है. आज दो दुकानों की मालकिन है. सखी मंडल में पुस्तक संचालिका (Book Keeper Operator) का कार्य करते हुए एवं अन्य दीदियों के साथ बैठकर देवंती को हौसला एवं जीवन में कुछ कर गुजरने का जज्बा मिला.
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देवंती ने सखी मंडल से जुड़कर कई महिलाओं को अपना व्यवसाय शुरू कर अच्छी आमदनी करते देखा था. देवंती कहती हैं कि दूसरों को सफल उद्यमी बनते देख खुद भी हिम्मत जुटायी और 3 साल पहले अपने सखी मंडल को मिलने वाले क्रेडिट लिंकेज से 50 हजार रुपये का लोन लेकर चाय- नाश्ता का होटल शुरू किया, जिससे मेरी रोजाना की 500 से 1000 रुपये की आमदनी हो जाती है.
देवंती ने कहा कि एक साल के बाद सखी मंडल के लोन को चुकता कर फिर से एक राशन दुकान की शुरुआत की. इस राशन दुकान के चलाने में उनके बेटे भी उनकी मदद करते हैं. इस तरह सरकार द्वारा मिल रहे आर्थिक सहयोग से ग्रामीण महिलाओं को आजीविका का आधार और खुद को साबित करने का अवसर प्राप्त हो रहा है.
Posted By : Samir Ranjan.