रांची. महिला पुलिस की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कानून और नीतियां बनायी गयी हैं, जैसे कि कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम-2013. महिला सुरक्षा के लिए शक्ति ऐप और टोल फ्री नंबर 15100 भी है, जो 24 घंटे कार्यस्थल पर हो रही किसी भी परेशानी के लिए कानूनी सलाह उपलब्ध कराते हैं. ये बातें झालसा की सदस्य सचिव रंजना अस्थाना ने कहीं. वह जैप 01, डोरंडा के शौर्य सभागार में आयोजित दो दिवसीय प्रथम राज्यस्तरीय महिला पुलिस सम्मेलन में बोल रही थीं. सम्मेलन में कार्यस्थल पर महिला पुलिस पदाधिकारियों की सुरक्षा और महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध विषय पर चर्चा हुई. सम्मेलन में पूरे राज्यभर से अलग-अलग पदों में पदासीन महिला पुलिसकर्मियों ने हिस्सा लिया.
महिला पुलिसकर्मियों की समस्याओं पर हुई चर्चा
कार्यक्रम के अलग-अलग सत्र में महिला पुलिसकर्मियों की समस्याओं और समाधान पर चर्चा की गयी. मौके पर महिला पुलिसकर्मियों ने खुद अपनी बातें सामने रखीं. इस मौके पर कई बदलाव और नीतियों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया. जिससे महिला पुलिसकर्मी और भी मजबूती व जोश से काम करने के लिए प्रेरित हुईं. इसके अलावा कार्यस्थल पर होनेवाले भेदभाव और यौन शोषण को लेकर कानूनी प्रावधानों के बारे में बताया गया. झालसा की सदस्य सचिव रंजना अस्थाना ने आगे कहा कि महिला पुलिसकर्मी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें. इसके साथ ही हमें अपने आत्मसम्मान और आत्म रक्षा के प्रति भी सजग रहना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार का शोषण और अत्याचार हम तक नहीं पहुंचे.
महिलाएं पोषक तत्वों का सेवन करें
इस मौके पर स्वास्थ्य एवं पोषण विषय पर आहार विशेषज्ञ डॉ अनामिका ने कहा कि महिलाओं को स्वस्थ रहने के लिए कई तरह के पोषक तत्वों का सेवन करना चाहिए. इनमें पानी, कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन, और खनिज शामिल हैं. उन्होंने कहा कि सभी तत्वों को सही मात्रा में भोजन में शामिल करना ही सही आहार है. इसके साथ-साथ मोटापा और कुपोषण विषय पर विस्तृत चर्चा की गयी. कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं पोषण विषय पर यूनिसेफ की ओर से डॉ वंदिता ने बताया कि महिलाओं को कई तरह की ऐसी आम बीमारियां होती हैं, जिनका पता उन्हें शुरुआती स्टेज में नहीं मिल पाता है. उन्होंने बताया कि भारत में कैंसर की समस्या तेजी से बढ़ रही है, जिसमें सबसे अहम महिलाओं में होनेवाला स्तन कैंसर और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर है. इस मौके पर दीपशिखा की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ अनुराधा वत्स ने लैंगिक विविधता और समावेशी कार्यस्थल के बीच संबंध पर ज़ोर देना विषय पर कहा कि पहले हमें समझना चाहिए कि विविधता और समावेशन के बीच क्या संबंध है.विविधता और समावेशन दो परस्पर जुड़ी अवधारणाएं हैं. इस मौके पर महिलाओं से जुड़े अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई.
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