कांग्रेस ने महिला आरक्षण बिल के नाम पर केंद्र की मोदी सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाया है. पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और विधायक दल के नेता सह मंत्री आलमगीर आलम ने महिला आरक्षण बिल पर केंद्र की मंशा पर सवाल खडा किया. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राजनीतिक स्वार्थपूर्ति के लिए प्रधानमंत्री ने देश की महिलाओं को भी नहीं बख्शा. जहां तक इस मुद्दे पर पार्टी के स्टैड का सवाल है, तो कांग्रेस पार्टी शुरू से ही महिला सशक्तीकरण और महिला बिल को संसद से पारित किये जाने की पक्षधर रही है. लेकिन भाजपा इसके नाम पर सिर्फ राजनीति कर रही है. जब चुनाव समीप आ गया तो भाजपा को महिला बिल पारित कराने की याद आयी.
सही मायने में भाजपा को महिलाओं को अधिकार और भागीदारी दिलाने का इरादा रहता, तो 2010 में राज्यसभा से पारित बिल को ही लोकसभा में लेकर भाजपा को जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नही किया गया. महिला आरक्षण के पूर्व जनगणना और परिसीमन का होना अनिवार्य है, जो वर्तमान परिस्थिति में 2029 के पूर्व संभव ही नहीं है. कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सोनिया गांधी ने सदन में जातीय जनगणना की मांग की है.
जातीय जनगणना कर एसटी-एससी और ओबीसी को भी आरक्षण को दायरे में लाना चाहिए. तभी देश के सभी वर्गों के साथ न्याय होगा. श्री आलम ने कहा कि राजीव गांधी ने स्थानीय निकायों में महिलाओं को आरक्षण देने का विधेयक लाया था, जो सात वोट से गिर गया था. पीवी नरसिंहा राव के समय फिर से पारित कराया गया. उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल को अविलंब अमल में लाया जाना चाहिए. साथ ही साथ जातीय जनगणना कराकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं ओबीसी महिलाओं के आरक्षण की व्यवस्था हो, यह कांग्रेस पार्टी की मांग है. मौकै पर महिला कांग्रेस अध्यक्ष गुंजन सिंह, सेवादल प्रदेश मुख्य संगठक नेली नाथन, प्रदेश प्रवक्ता डॉ एम तौसीफ, सतीश पॉल मुंजनी मौजूद थे.