रांची. राज्य में एचबी स्तर 03 ग्राम-डीएल से कम हीमोग्लोबिन होने पर अति गंभीर एनीमिया माना जाता है. स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि एनीमिया का गंभीर असर महिलाओं व किशोरियों पर पड़ता है. गर्भावस्था में गंभीर एनीमिया मातृत्व व शिशु मृत्यु का कारण भी बनता है. इससे सुरक्षा के लिए प्रसव पूर्व जांच जरूरी है, ताकि खून में हीमोग्लोबिन के स्तर की जानकारी मिल सके. इसके लिए विभाग ऐसी किशोरियों और महिलाओं की पहचान करेगा, जो अति गंभीर एनीमिया की श्रेणी में हैं.
एएनसी-पीएनसी वार्ड का निरीक्षण किया
विभाग ने पूर्वी सिंहभूम जिले के अस्पतालों के एएनसी-पीएनसी वार्ड का निरीक्षण किया है. यह देखा गया कि यहां बड़ी संख्या में गंभीर एनीमिया से पीड़ित महिलाओं में एचबी स्तर 3 ग्राम-डीएल से कम है. ऐसे आंकड़ों को वास्तविक समय के आधार पर एफपीएलएमआइएस और एचएमआइएस में डेटा को रिकॉर्ड किया जायेगा. इसकी निगरानी लाइन-लिस्ट के साथ की जायेगी. एनीमिया के कारण किसी भी मृत्यु को रोकने के लिए ऐसे रोगियों को तुरंत रेफरल अस्पताल भेजने का निर्देश दिया गया है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य एनएफएचएस सर्वेक्षण-4 के अनुसार, 15 से 49 वर्ष की महिलाओं में एनीमिया का प्रसार 53% और 15 से 19 वर्ष की किशोरियों में 54% है.
5.0 से कम हीमोग्लोबिन होने पर अति गंभीर एनीमिया से ग्रसित माना जाता है
राज्य में किशोरावस्था में एनीमिया और उच्च किशोरावस्था गर्भावस्था चिंता का गंभीर विषय माना गया है. गर्भवती महिलाओं के खून में 11 ग्राम प्रति डेसीलीटर हीमोग्लोबिन होने पर उसे एनीमिया मुक्त माना जाता है. जबकि, 10.0 से 10.9 ग्राम प्रति डेसीलीटर हीमोग्लोबिन होने पर इसे हल्का एनीमिया ग्रसित माना जाता है. 7.0 से 9.9 ग्राम प्रति डेसीलीटर हीमोग्लोबिन होने पर मध्यम, 5.0 से 7.0 ग्राम प्रति डेसीलीटर हीमोग्लोबिन होने पर गंभीर व 5.0 से कम हीमोग्लोबिन होने पर अति गंभीर एनीमिया से ग्रसित माना जाता है.
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