Women’s Day 2022: चूल्हा-चौका करने वाली झारखंड की ग्रामीण महिलाएं आखिर कैसे भरने लगीं तरक्की की उड़ान

Women's Day 2022: झारखंड में करीब 34 लाख महिलाओं को 2.73 लाख सखी मंडलों से जोड़ा जा चुका है. ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक मदद के साथ सशक्त आजीविका के लिए भी मदद की जाती है. अब तक करीब 17 लाख से ज्यादा महिलाओं को सशक्त आजीविका के साधनों से जोड़ा गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 7, 2022 5:47 PM
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Women’s Day 2022: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में राज्य की ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाकर प्रदेश को समृद्ध बनाने के लिए सरकार सखी मंडल के जरिए विकास की नई कहानी लिख रही है. झारखंड के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को सशक्त बनाने का अभियान पिछले दो वर्षों से चल रहा है, जिसका प्रतिफल अब नजर आने लगा है. लाखों ग्रामीण महिलाएं आर्थिक तरक्की एवं सामाजिक बदलाव ला रही हैं. ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा सखी मंडल का गठन एवं क्षमतावर्धन के जरिए ग्रामीण इलाकों में बदलाव की नई दिशा दी गई है. आज हर क्षेत्र में सखी मंडल की ये बहनें अपना लोहा मनवा रही हैं. खेती, पशुपालन, उद्यमिता, सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन, ग्रामीण इलाकों में जागरूकता, कौशल प्रशिक्षण समेत कई क्षेत्रों में सखी मंडल की दीदियां बेहतर कर रही हैं.

17 लाख महिलाओं को मिली सशक्त आजीविका

झारखंड में करीब 34 लाख महिलाओं को 2.73 लाख सखी मंडलों से जोड़ा जा चुका है. सखी मंडल के जरिए ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक एवं सामाजिक तरक्की के लिए सखी मंडल की उच्चतर संस्थाएं ग्राम संगठन एवं संकुल संगठन का भी गठन किया गया है. सखी मंडल से जुड़कर ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक मदद के साथ सशक्त आजीविका के लिए भी मदद उपलब्ध कराई जाती है. राज्य में अब तक करीब 17 लाख से ज्यादा महिलाओं को सशक्त आजीविका के साधनों से जोड़ा गया है. उन्नत खेती, पशुपालन, उद्यमिता, वनोपज आधारित आजीविका एवं वेतन आधारित रोजगार से ग्रामीण महिलाओं को जोड़ा गया है, जिससे महिलाएं आज आत्मनिर्भरता के पथ पर हैं. इन प्रयासों से राज्य में करीब 7200 उत्पादक समूहों के जरिए लाखों महिलाओं के सपनों को पंख मिला है. आज ग्रामीण महिलाएं उत्पादक कंपनियों को चला रही हैं. रेशम, लाह एवं औषधीय पौधों की खेती आधारित आजीविका से भी महिलाओं को जोड़ा गया है.

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24 हजार महिलाओं को सम्मानजनक आजीविका

मुख्यमंत्री की पहल पर शुरू किए गए फूलो झानो आशीर्वाद अभियान अंतर्गत करीब 24 हजार से ज्यादा ग्रामीण महिलाओं को हड़िया-दारू बिक्री एवं निर्माण कार्यों से अलग कर सम्मानजनक आजीविका से जोड़ा गया है. मजबूरीवश हड़िया-दारू बिक्री के कार्यों से जुड़ी ये महिलाएं आज बदलाव की मिसाल हैं एवं सम्मानजनक आजीविका से जुड़कर अच्छी आमदनी कर रही हैं. खूंटी के कर्रा की रहने वाली अनिमा बताती हैं कि मजबूरीवश हड़िया बेचने का कार्य करती थीं. फूलो झानो आशीर्वाद अभियान ने मुझे एवं मेरे परिवार को सम्मान की जिंदगी दी है.

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पलाश ब्रांड से 2 लाख महिलाएं हो रहीं लाभान्वित

सखी मंडल की दीदियों के उत्पादों को बड़े बाजार से जोड़कर उनकी अच्छी आमदनी सुनिश्चित करने के लिए पलाश ब्रांड की शुरुआत की गई. ब्रांड पलाश के तहत करीब 65 उत्पादों की बिक्री की जा रही है. इस पहल से 2 लाख से ज्यादा ग्रामीण महिलाओं को लाभ हो रहा है. राज्यभर में करीब 191 पलाश मार्ट विभिन्न जिलों में खोले जा चुके हैं. पलाश के उत्पाद अमेजन एवं फ्लिपकार्ट पर भी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं. आने वाले दिनों में सखी मंडल की ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को पलाश से जोड़कर उनकी आमदनी में बढ़ोत्तरी करनी है.

सखी मंडल से सामाजिक विकास का सफर

डायन कुप्रथा को समाप्त करने के लिए गरिमा परियोजना के तहत कार्य किया जा रहा है. इसके तहत अब तक करीब 1185 पीड़ित महिलाओं को चिह्नित कर मुख्यधारा से जोड़ा जा चुका है. इन महिलाओं को सरकार की सभी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करते हुए सशक्त आजीविका से जोड़ा जा रहा है. ग्रामीण इलाकों में फैली कुरीतियों को दूर करते हुए महिला सशक्तीकरण की दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहा है. इसी कड़ी में ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के स्वास्थ्य, खान-पान एवं पोषण के लिए लगातार कार्य किए जा रहे हैं. सखी मंडल की बहनों को पोषण वाटिका से जोड़ा गया है एवं उनको खाद्य विविधता पर जागरूक किया गया है. अब तक करीब 2 लाख ग्रामीण महिलाएं पोषण वाटिका से जुड़ चुकी हैं.

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पीवीटीजी महिलाएं बन रहीं सशक्त

उड़ान परियोजना के तहत झारखंड की पीवीटीजी महिलाओं के सशक्तीकरण की पहल रंग ला रही है. विशेष जनजातीय समूह की करीब 21 हजार ग्रामीण महिलाओं को सखी मंडल में संगठित किया गया है. करीब 17 हजार पीवीटीजी परिवारों को सरकारी सुविधाओं जैसे पेंशन, छात्रवृत्ति, राशन आदि से जोड़ा गया है. इन परिवारों में से करीब 16, 800 परिवारों को आजीविका के विभिन्न साधनों से जोड़ा गया है. पीवीटीजी परिवारों की जरूरत के मुताबिक स्थानीय संसाधनों पर आधारित लोबिया की खेती एवं पोषण वाटिका से पीवीटीजी महिलाओं को आच्छादित किय गया है.

बदलाव की वाहक बन रहीं ग्रामीण महिलाएं

सखी मंडल से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं एक ओर जहां स्वयं सशक्त हो रही हैं, वहीं अन्य महिलाओं को सशक्त करने के लिए भी कार्य कर रही हैं. जेएसएलपीएस के जरिए राज्य में करीब 50 हजार ग्रामीण महिलाओं को सामुदायिक कैडर के रूप में प्रशिक्षित किया गया है. ये महिलाएं गांव में सेवा प्रदाता एवं एक्सपर्ट के रूप में सेवा देकर आमदनी भी करती हैं एवं ग्रामीणों की मदद भी. पशु सखी, कृषि सखी, वनोपज सखी, बैंक सखी एवं बीसी सखी जैसे कैडर आज ग्राम विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के जरिए ग्रामीण महिलाओं को सशक्त आजीविका से जोड़कर उनकी आमदनी बढ़ाने, उनको सामाजिक विकास में भागीदार बनाने एवं गांव के आर्थिक विकास की धुरी के रूप में प्रोत्साहित करने का कार्य किया जा रहा है. इस पहल से ग्रामीण महिलाएं आज गांव में समृद्धि की नई कहानी लिख रही हैं एवं आर्थिक विकास की धुरी बन चुकी हैं.

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महिला सशक्तीकरण के जरिए गरीबी उन्मूलन

जेएसएलपीएस के सीईओ सूरज कुमार ने बताया कि महिला सशक्तीकरण के जरिए गरीबी उन्मूलन की दिशा में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी प्रयासरत है. उन्नत खेती, उद्यमिता, वनोपज आधारित आजीविका समेत कई अभिनव प्रयास ग्रामीण महिलाओं की सशक्त आजीविका के लिए किए गए हैं. सखी मंडलों के जरिए जेएसएलपीएस लगातार ग्रामीण महिलाओं के विकास के लिए संकल्पित है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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