‘महिला हिंसा पर ब्रेक के लिए तोड़ें चुप्पी’ रांची में महिला हिंसा प्रतिरोध दिवस पर शांति मार्च
महिला हिंसा प्रतिरोध दिवस पर एलिना होरो ने महिला हिंसा की रोकथाम के लिए झारखंड में महिला आयोग को सक्रिय करने की मांग की. उन्होंने कहा कि न्याय के लिए किशोरियों और महिलाओं को जागरूक होना होगा.
रांची: महिला हिंसा प्रतिरोध दिवस के उपलक्ष्य में आदिवासी वीमेंस नेटवर्क, नारी शक्ति, जोहार एवं अन्य महिला संगठनों ने कार्यक्रम का आयोजन किया. रांची के XISS में पहले सत्र में इंडिजिनियस नेविगेटर ने कंट्री रिपोर्ट पर चर्चा की और उसकी समीक्षा की. दूसरे सत्र में 16 दिवसीय लैंगिक हिंसा प्रतिरोध पखवाड़े की शुरुआत अल्बर्ट एक्का चौक पर शांति मार्च के साथ की गयी. 10 दिसंबर 2024 अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस तक लैंगिक मुद्दों पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. इस दौरान जागरूकता का संकल्प लिया गया. 25 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस भी मनाया जाता है.
किशोरियों और महिलाओं में जागरूकता की जरूरत
श्रावणी ने कहा कि महिलाओं की भागीदारी स्वशासन व्यवस्था और निर्णय प्रक्रिया में और बढ़े, उसके लिए जरूरी है समुदाय में जागरूकता लायी जाए. सुनीता मुंडा ने कहा कि किशोरियों के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं सामने आती रही हैं. इस कारण विद्यालयों के बच्चों एवं महिलाओं के बीच जागरूकता लाने की जरूरत है. चुप्पी तोड़नी है और हिंसा के खिलाफ मुंह खोलना है ताकि कोई किशोरी या महिला निडर हो कर हिंसा के खिलाफ आवाज उठा सके.
बाल विवाह से स्वास्थ्य पर पड़ रहा बुरा असर
सुषमा बिरुली ने कहा कि गांवों में बाल विवाह की वजह से किशोरियों और महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है. उसे रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम हों. रोज खाखा ने बताया कि परिवार से ही बच्चे पहले नैतिक शिक्षा लेते हैं और अच्छी-गलत बातों को समझते हैं. समाज को हिंसा मुक्त बनाने की दिशा में परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. प्रियांश ने बताया कि महिला हिंसा को खत्म करने में आज के युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्हें आगे आकर जिम्मेवारी लेने की जरूरत है.
झारखंड महिला आयोग को सक्रिय करने की मांग
एलिना होरो ने कहा कि झारखंड में महिला हिंसा की रोकथाम के लिए अभियान एक अवसर है कि सरकार तक अपनी आवाज पहुंचायी जा सके. झारखंड महिला आयोग को सक्रिय करने और महिला नीति की मांग करनी होगी ताकि महिलाओं के साथ भेदभाव और अन्याय ना हो. इस मौके पर अन्य कई जुझारू महिलाओं ने अपनी बातें रखीं. इनमें रिया पिंगुआ, ज्योति कुजूर, रेजिना, बेला जराई, मारग्रेट मिंज, ईवा बिनीत, सीरत, बिलकन डांग समेत चार जिलों के साथी उपस्थित थे.
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