Ranchi News: कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम-इंडिया (सीइआरटी-इन) के महानिदेशक संजय बहल ने कहा है कि अगले 10 वर्ष में एक मिलियन साइबर इंजीनियर तैयार करने का लक्ष्य है. वर्ष 2027 तक झारखंड को दुनिया के साइबर डिफेंस कॉरिडोर के रूप में बढ़ावा दिया जायेगा. साइबर सुरक्षा के लिए झारखंड में पांच बिलियन डॉलर निवेश आकर्षित करने का कार्य किया जा रहा है. श्री बहल सोमवार को उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग, झारखंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (जेयूटी) और साइबर विद्यापीठ फाउंडेशन के सहयोग से जेयूटी सभागार में प्रोजेक्ट-आरंभ के तहत आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे. श्री बहल ने कहा कि साइबर क्राइम वैश्विक समस्या बन गयी है और इससे निबटने के लिए सबको मिल कर कार्य करने की आवश्यकता है. कलस्टर बना कर इस दिशा में कार्य करने होंगे. इस ज्वलंत समस्या से निबटने के लिए देश में लगभग तीन लाख साइबर आर्मी की भी नियुक्ति की जायेगी.
जेयूटी के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव राहुल पुरवार ने कहा कि इस समस्या से निबटने के लिए गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है. ट्रेनिंग टू ट्रेनर की व्यवस्था करनी होगी. इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए रोडमैप बनाने की आवश्यकता है. उन्होंने फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के लिए निर्धारित शुल्क राज्य सरकार की ओर से दिलाने का आश्वासन भी दिया. सलाहकार डॉ अमित शर्मा ने कहा कि विवि और कॉलेजों में इस समस्या से निबटने के लिए फैकल्टी को बढ़ावा देना होगा. उन्हें जागरूक करना होगा. साइबर अपराध ऑनलाइन हो रहे हैं. ऐसे में हमें सतर्क रहना होगा.
कार्यशाला में एमआइटीवाइ की निदेशक तुलिका, साइबर विद्यापीठ फाउंडेशन के चेयरमैन शशांक एस गरूरयार और साइबर डिफेंस रिसर्चर बालाजी वेंकटेश्वर ने भी विचार रखे. स्वागत जेयूटी के कुलपति प्रो विजय पांडेय ने किया. वहीं धन्यवाद ज्ञापन उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग की उपनिदेशक डॉ विभा पांडेय और जेयूटी के रजिस्ट्रार डॉ अमर कुमार चौधरी ने किया. इस अवसर पर विभिन्न विवि व कॉलेजों से प्राचार्य, शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे.