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विश्व साइकिल दिवस : शान और फिटनेस की सवारी है साइकिल

साइकिल की सवारी शौक भी है और जरूरत भी. शहर के कई ऐसे लोग हैं, जो विभिन्न सुविधाओं के बावजूद वर्षों से साइकिल की सवारी कर रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | June 3, 2020 5:53 AM

रांची : साइकिल की सवारी शौक भी है और जरूरत भी. शहर के कई ऐसे लोग हैं, जो विभिन्न सुविधाओं के बावजूद वर्षों से साइकिल की सवारी कर रहे हैं. वहीं, कई लोग ऐसे भी हैं, जो साइकिलिंग कर देशवासियों तक ‘हम फिट तो इंडिया हिट’ व ‘गो ग्रीन’ जैसे संदेश पहुंचा रहे हैं. रांची के एक साइकिल प्रेमी के पास आज भी 1978 की इटालियन रेसिंग साइकिल मौजूद है. वहीं, कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो आज भी वर्षों से साइकिल से ही आना-जाना कर रहे हैं. उन्हें देख दूसरे लोग भी मोटिवेट होते हैं.

शैलेश के पास है 1978 की इटालियन रेसिंग साइकिलधुर्वा सेक्टर टू निवासी शैलेश कृष्णा के पास इटालियन रेसिंग साइकिल है. इस साइकिल को ब्रिटेन के एक टूरिस्ट ने उन्हें पुणे में दिया था. शैलेश बताते हैं कि वर्ष 2014 में ब्रिटेन से एक टूरिस्ट इंडिया आये थे. तब मैं पुणे में रहता था. उसी दौरान पुणे में साइकिलिंग के दौरान ब्रिटिश टूरिस्ट से मुलाकात हुई. धीरे-धीरे जान-पहचान बढ़ी, फिर अपने वतन लौटने से पहले पूर्व उस टूरिस्ट ने अपनी मासी ब्रांड की 1978 की साइकिल मुझे भेंट की. इस साइकिल से पुणे से मुंबई, चेन्नई से पांडिचेरी सहित विभिन्न जगहों पर आना-जाना कर चुका हूं.

60 सालों से चला रहे साइकिल मुरारी अग्रवाल पिछले 60 सालों से साइकिल की सवारी कर रहे हैं. कहते है कि साइकिल उन्हें बेस्ट ट्रांसपोर्ट लगता है. लॉकडाउन के दौरान भी साइकिल चलानेवालों पर कोई पाबंदी या पास की जरूरत नहीं थी. वे जगन्नाथपुर, धुर्वा आदि दूर-दूर के जगह पर साइकिल से ही आना-जाना करते रहे. वहीं, ऑल इंडिया रेडियो रांची में कार्यरत बेनी लाल महतो आज भी साइकिल से ही दफ्तर आना-जाना करते हैं. पिछले 15वर्षों से आकाशवाणी रांची में इलेक्ट्रिशियन के पद पर हैं.

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बेनी लाल कहते हैं कि मैं 1990 से साइकिल चला रहा हूं. वहीं, कांके रोड निवासी सुमन सुंदर प्रसाद ने लॉकडाउन के दौरान साइकिल को अपना साथी बनाया. रोजाना कांके से लालपुर स्थित ऑफिस इसी से आना-जाना करने लगे. 10 दिन में तय किया सफरसाइकिल दोस्त ग्रुप के सदस्यों के लिए साइकिलिंग जुनून है. ग्रुप के सात सदस्यों ने जुलाई 2019 में मनाली से खारदुंगला के बीच 520 किमी का सफर साइकिल से पूरा किया.

18,380 फीट की ऊंचाई पर स्थित रोहतांगला, बारलछला, नकीला, लाचुंगला, टंगलंगला पास को पार करते हुए सफर 10 दिन में पूरा किया. ग्रुप के विनय विभाकर कहते हैं कि पिछले साल हमने एक जुलाई को मनाली से साइकिलिंग के सफर की शुरुआत की थी, नौ को लेह पहुंचे थे. फिर खारदुंगला पहुंचे. इनके लिए साइकिलिंग है बेस्ट फिटनेस मंत्र . मैंने हाल ही में साइकिलिंग शुरू की है. साइकिलिंग से फिटनेस बनी रहती है. साथ ही नॉर्मल आउटडोर विजिट से आस-पास के इलाकों को एक्सप्लोर किया जा सकता है.

प्रिया दूबे, आइजी ऑपरेशन्स मैं पांच सालों से साइकिलिंग कर रहा हूं. वीकएंड में साइकिल से 50 से 60 किलोमीटर का सफर करता हूं. अब तक साइकिल से मैक्लुस्कीगंज, हजारीबाग, बंगाल बॉर्डर तक जा चुका हूं.जब्बर सिंह, वरीय आइएफएस मैंने दो साल पहले साइकिलिंग शुरू की. साइकिलिंग से न केवल फिट रहा जा सकता है, बल्कि प्रकृति के प्रति प्रेम की भावना भी जागृत होती है.मुरारी लाल मीणा, एडीजी ऑपरेशनपिछले चार साल से नियमित साइकिलिंग कर रहा हूं.

मेरे पास माउंटेन बाइक 27 व 29 और हाइब्रिड साइकिल है. साइकिल से शहर के कई हिस्से और देश के कई राज्यों का सफर कर चुका हूं.- गणेश रेड्डी, सचिव, सिटीजंस फाउंडेशन बॉक्सफैक्ट फाइल- झारखंड में साइकिल का सालाना कारोबार : करीब 50 करोड़- रांची में साइकिल का सालाना कारोबार : 10 से 12 करोड़- रांची में साइकिल की दुकान : करीब 35- रांची में हाइब्रिड साइकिल की दुकानें : करीब 10- बाजार में साइकिल का रेंज : 3500 से 55 हजार रुपयेकोट -बच्चों से लेकर बुजुर्गों में साइकिल की डिमांड रहती है.

पिछले पांच साल में साइकिल का कारोबार उसके स्टाइलिज अंदाज की वजह से बदला है. युवा अब हाइब्रिड और माउंटेन साइकिल्स को पसंद कर रहे हैं. इसकी रेंज 3500 से लेकर 55 हजार रुपये तक है. लोगों के डिमांड पर फॉरेन ब्रांड की साइकिल भी मंगवायी जाती है. इनमें डीटीबी, फॉक्स, बीएमडब्ल्यू की बीटवीन, डिकेथलॉन, माउंटेन सीरिज समेत अन्य ब्रांड शामिल हैं. – अरुण कुमार सिंह, संचालक, साइकिल म्यूलियम

Posted by Pritish Sahay

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